जानिये एप्पल कंपनी के मालिक स्टीव जाॅब्स के सफलता के मंत्र | Steve Jobs Success Mantra

जानिये एप्पल कंपनी के मालिक स्टीव जाॅब्स के सफलता के मंत्र | Steve Jobs Success Mantra

काफी हद तक एप्पल और डेल ही है जो इस उद्योग में पैसे कमा रहे हैं डेल वॉलमार्ट बनकर पैसा कमाता है हम नयाविचार करके पैसे कमाते हैं 
जानिये एप्पल कंपनी के मालिक स्टीव जाॅब्स के सफलता के मंत्र | Steve Jobs Success Mantra
जानिये एप्पल कंपनी के मालिक स्टीव जाॅब्स के सफलता के मंत्र | Steve Jobs Success Mantra

 सबसे बड़ी सार्वजनिक  कंपनीः-

एप्पल इन अमेरिका का मल्टीनेशनल कार्पोरेशन है जो कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स कंप्यूटर सॉफ्टवेयर और पर्सनल कंप्यूटर बनाता  व बेचता है जिसके मशहूर प्रोडक्ट्स हैं मैकिनटोश कम्प्यूटर्स आईपॉड   आईफोन और  आईपैड इसका मुख्यालय  क्यूपर्टिनो कैलिफोर्निया में है ऑनलाइन स्टोर के अलावा इसके 13 देशों में 364 रिटेल स्टोर्स है मार्केट केपीटलाइजेशन के लिहाज से यह संसार की सबसे बड़ी सार्वजनिक कंपनी है कंपनी में 60,400 कर्मचारी काम करते हैं 2011 में एप्पल की आमदनी 108.249 अरब डॉलर थी और मुनाफा 25.922 अरब डॉलर पर्सनल कंप्यूटर का  आविष्कारः क्या आप जानते हैं की पर्सनल कंप्यूटर का आविष्कार एप्पल ने किया था इसके बाद  इसने ऐसा क्या किया जो आज इंटर ब्रांड द्वारा जारी सर्वश्रेष्ठ ग्लोबल ब्रांड की सूची में एप्पल का नाम आठवें स्थान पर था और इसके ब्रांड का मूल्य 33़ 4 9 2 अरब डॉलर आ गया है एप्पल की सफलता के कौन से मंत्र है जिसकी बदौलत इसके संस्थापक स्टीव जॉब्स 2011 की फॉक्स सूची में विश्व के अरबपतियों में 110 वीं स्थान पर थे और उनके पास 8.3 अरब डालर की संपत्ति थी

बचपन के सबक

 स्टीव जॉब्स की इलेक्ट्रॉनिक में रुचि अपने आप जागृत नहीं हुई थी । वह तो उनके पिता पॉल जॉब्स की परवरिश का नतीजा था। जो लेजर बनाने वाली कंपनी में तकनीशियन थे उन्होंने घर के गैरेज में स्टीव को इलेक्ट्रॉनिक्स के गुर दिखाएं । बचपन में ही स्टीव जॉब्स ने रेडियो और टीवी को खोलना और जोड़ना सीख लिया था। नतीजा यह हुआ कि इलेक्ट्रॉनिक्स में जॉब की रुचि जागृत हुई । तो कौन जानता था कि आगे चलकर यही रुचि संसार में कंप्यूटर और इलेक्ट्रॉनिक का नक्शा बदल देगी । किशोरावस्था में स्टीव जॉब्स पर एक और व्यक्ति का प्रभाव पड़ा जिसने उनके जीवन को बदल दिया। 13 साल की उम्र में एक मित्र ने गेरेज में जॉब की मुलाकात स्टीफन बोजनियाक  से हुई। जॉब्स उनसे बड़े प्रभावित हुए क्योंकि वह पहले व्यक्ति थे जो इलेक्ट्रॉनिक्स के बारे में उनसे ज्यादा जानते थे । जॉब्स और वोजनियाक अच्छे मित्र बन गए क्योंकि दोनों ही कंप्यूटर में रुचि थी और यहीं से साझेदारी का वह सिलसिला शुरू हुआ जिसने इतनी बड़ी और विश्व विख्यात कंपनी की नींव रखी।

 
नायाब विचार

 स्टीव जॉब्स 1955 से 2011 और स्टीफन वोजि्नयाक जन्म 1950 के मन में यह विचार आया कि भारी भरकम  मेनफ्रेम कंप्यूटर के बजाय एक छोटा पर्सनल कंप्यूटर बनाया जाए जिसे लोग अपने घर या ऑफिस के डैक्स पर  रख सके आईबीएम और इंटर जैसी बड़ी कंपनियां मानती थी कि कंप्यूटर्स को बड़े पैमाने पर नहीं भेजा जा सकता है इसलिए उन्होंने इस दिशा में कोई कोशिश नहीं की दूसरी और हो जॉब्स और वोजि्नयाक को पूरा विश्वास था कि कंप्यूटर आम आदमी के काम आ सकता है और बाजार  मे बिक भी सकता  है इसी विश्वास के दम पर उन्होंने एप्पल कंप्यूटर बनाया और संसार में पर्सनल कंप्यूटर युग का सूत्र पात्र किया 

कंपनी की स्थापना

 स्टीव जॉब्स और स्टीफन  वोजि्नयाक ने 1 अप्रैल 1976 को अपनी कंपनी बनाए और या 3 जनवरी 1977 को एप्पल कंप्यूटर इंक के नाम से पंजीबद्ध  हुई चूँकि यह शुरुआती कंपनी थी इसीलिए इसका कोई भी दमदार प्रतिस्पर्धी नहीं था नतीजा यह हुआ कि कंपनी शुरुआत में 150% की वार्षिक दर से विकास करती रही जब पूंजी की समस्या आने लगी तो 1980 में एप्पल कंपनी ने $22 प्रति शेयर की कीमत पर अपना आईपीओ निकाला 22 डालर का शेयर पहले दिन ही 29 डालर का हो गया और कंपनी का बाजार मूल्य 1 पॉइंट 2 अरब डॉलर आंका गया क्योंकि उस वक्त पर्सनल कंप्यूटर पर एप्पल का अधिकार सा था इसलिए इसके शेयर के भाव तेजी से बढ़ते चले गए एप्पल इतिहास में सबसे तेजी से फॉर्चून 500 में पहुंचने वाली कंपनी बन गई स्थापना के साडे 4 साल बाद ही  इसने यह कमाल कर दिखाया और 1992 तक इसकी बिक्री 7अरब डालर तक पहुंच गई ।



शुरुआती संघर्ष

 शुरुआत में वोजि्नयाक और जाब्स के पास सिर्फ क्रांतिकारी विचार था पूंजी नहीं थी उनके पास किराए पर ऑफिस लेने के पैसे तक नहीं थे लिहाजा वे जाब्स के गैरेज में काम करने लगे कंपनी शुरू करने के लिए स्टीव जॉब्स ने  फॉक्सवैगन गाड़ी बेची थी और स्टीफन  वोजि्नयाक  ने अपने एचपी कैलकुलेटर तब कहीं जाकर 1,300 डॉलर की पूंजी का इंतजाम हुआ था फिर भी सैंपल कंप्यूटर लेकर स्टोर मालिकों को रिझाने लगे बहुत से स्टोर मालिक उनकी बात सुनकर हंस दिये, क्योंकि वे सोचते थे कि पर्सनल कंप्यूटर भला कौन खरीदेगा आखिरकार उनकी लगन सफल हुई और 1  स्टोर ने उन्हें 50 कंप्यूटर्स का ऑर्डर दे दिया दोनों मित्रों ने $25,000 का सामान उधार खरीदा ।और गैरेज में एप्पल वन कंप्यूटर असेंबल करने लगे। पहले साल सिर्फ 175 कंप्यूटर की बुक बाय शुरुआती संघर्ष कब खत्म हुआ।जब हॉप्स और वोजनियाक ने अपने प्रोडक्ट में बहुत से सुधार करके एप्पल टू बनाया जो 1977 में बाजार में उतरा। महत्वपूर्ण मोड़ पर्सनल कंप्यूटर बनाने के बाद  एप्पल को जो रातो रात सफलता नहीं मिली शुरुआत में एप्पल कंपनी की हालत बहुत खस्ता थी 1975 से लेकर 1977 तक कि यहां दिवालियेपन के कगार पर खड़ी थी इसके पास उतनी पूँजी या कर्मचारी नहीं थे जितने की आईबीएम एचपी इंटेल के पास थे ।स्थिति इतनी गंभीर थी कि एप्पल कंप्यूटर के संस्थापकों ने अब कंपनी बेचने का फैसला कर लिया 1976 मैं जॉब्स ने कमोडोर अटारी और एचपी जैसी दिग्गज कंपनियों के सामने यह प्रस्ताव रखा कि $100000 में एप्पल कंपनी खरीद लें। शर्त बस इतनी थी कि संस्थापकों को $36000 की तनख्वाह देकर नौकरी पर रख लिया जाए तीनों कंपनियों ने इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया  यह दूरदर्शिता का जबरदस्त उदाहरण है क्योंकि 4 साल बाद एप्पल में सिर्फ जॉब्स की  हिस्सेदारी का मूल्य $260000000 हो गया था।

सफलता के मंत्र:- नवाचार करें

 स्टीव जॉब्स ने कहा है नवाचार ही लीडर और अनुयाई के बीच का फर्क है नया काम करने वाला लीडर होता है क्योंकि वह सबसे पहले सबसे आगे होता है जो भी इंसान व्यवसाय की दुनिया में सफल होना चाहता है उसे नवाचार की आदत सीख लेनी चाहिए नवाचार की बदौलत ही एप्पल ने पर्सनल कंप्यूटर क्रांति शुरू की और इसी कारण बाद में इतने इलेक्ट्रॉनिक संगीत और फोन जैसे क्षेत्रों में झंडे गाड़े स्टीव जॉब्स ने कहा है नवाचार का संबंध इस बात से नहीं है कि आप शोध पर कितने डॉलर खर्च करते हैं जब एप्पल ने मैक कंप्यूटर बनाया था तब आईबीएम शोध पर कम से कम 100 गुना अधिक खर्च कर रहा था बात पैसे की नहीं है बात तो यह है कि आपके पास कैसे लोग हैं आप किस तरह नेतृत्व करते हैं और आप इसे कितनी अच्छी तरह समझते हैं इस मामले में दुनिया की कोई भी कंप्यूटर कंपनी एप्पल से टक्कर नहीं ले सकती एप्पल ने ही सबसे पहले ग्राफिक्स और माउस बाजार में उतारे हालांकि हाउस का आविष्कार जेरॉक्स लैब ने कर लिया था लेकिन बाजार में नहीं उतारा था जिनकी मदद से आम आदमी भी आसानी से कंप्यूटर चला सकता है 2001 में इनसे आईपॉड नामक और पोर्टेबल मीडिया प्लेयर का आविष्कार किया और अब तक यह लगभग 20 करोड़ आईपॉड भेज चुकी है फिर आई ट्यूंस फिर आईफोन आईपैड आई लाइफ आईक्लाउड और भी बहुत कुछ।

2) प्रोडक्ट का विस्तार कैसे करें 

कारोबार की दुनिया में सफलता का सूत्र यह है कि आप एक प्रोडक्ट से शुरुआत करें और फिर धीरे-धीरे दूसरे प्रोडक्ट की ओर बढ़े । आप एक देश से शुरुआत करें और फिर धीरे-धीरे दूसरे देशों में विस्तार करें । एप्पल कंपनी इस सूत्र वाक्य की आदर्श मिसाल है । इसकी शुरुआत कंप्यूटर से हुई थी लेकिन आईपॉड उतारकर इसने संगीत के क्षेत्र में विस्तार किया । इसी वजह से इसने 2007 में अपना नाम एप्पल कंप्यूटर इंक से बदलकर एप्पल इन कर दिया, जो कि एप्पल ने कंप्यूटर से आगे जाकर इलेक्ट्रॉनिक्स बाजार में लाइन एक्सटेंशन का काम कर लिया था । एप्पल ने अमेरिका से अपना कारोबार शुरू किया लेकिन बाद में इसे दूसरे देशों में भी फैला दिया । 

3) बेहतर लक्ष्य बनाएं 

कारोबार में सफलता इस बात पर भी निर्भर करती है कि आप कैसा लक्ष्य बनाते हैं । आपका लक्ष्य पैसा कमाना है या फिर बेहतर काम करना है । अगर आपका लक्ष्य पैसे कमाना है तो आप काम चलाऊ चीजें बनाएंगे अपना मार्जिन ज्यादा रखेंगे और ग्राहक से अधिक से अधिक पैसा खींचने की कोशिश करेंगे । नतीजा यह होगा कि ग्राहक आपसे छिटक जाएंगे और आपकी कंपनी बैठ जाएगी । दूसरी बात यदि आपका लक्ष्य सर्वश्रेष्ठ बनना है तो आप ग्राहकों का पूरा ध्यान केंद्रित करेंगे और उन्हें ज्यादा से ज्यादा संतुष्ट करने की कोशिश करेंगे । स्टीव जॉब्स और वोज्यनियाक का लक्ष्य पैसे कमाना नहीं था उनका लक्ष्य तो संसार में क्रांति करना था । यही वजह है कि उन्होंने बाजार में सबसे बेहतर प्रोडक्ट उतारने की ढाणी । स्टीव जॉब्स ने कहा है हमारा लक्ष्य संसार के सबसे बड़े नहीं बल्कि सबसे अच्छे उपकरण बनाना है । एप्पल के सह संस्थापक स्टीफन वोज्नियाक ने कहा है मेरा लक्ष्य ढेर सारे पैसे कमाना नहीं था यह तो अच्छे कंप्यूटर बनाना था । अगर में 200 चिप से कंप्यूटर बना लेता था तो फिर मैं इसे 150 चिप से बनाने की कोशिश करता था । मैंने चीजों को ज्यादा से ज्यादा छोटा बनाने के लिए हर किस्म के दांव पेच आजमाएं  ।सफलता के सूत्र का सार जॉब्स के इन शब्दों में छुपा हुआ है "गुणवत्ता संख्या से अधिक महत्वपूर्ण है एक होम रन 2 डबल से कहीं बेहतर है ।"

4) मार्केट रिसर्च या प्रतिद्वंद्वियों पर ध्यान केंद्रित ना करें 

ज्यादातर कंपनिया एक दूसरे की नकल करती हैं । नए प्रोडक्ट उतारने से पहले मार्केट रिसर्च करती हैं । लेकिन एप्पल ने ऐसा कभी नहीं किया एप्पल के संस्थापक जानते थे कि वह नया विचार कर रहे हैं । इसलिए मार्केट रिसर्च का कोई मतलब नहीं है । मार्केट रिसर्च में इतना दम नहीं था कि वे एप्पल के प्रोडक्ट इतने नये विचारी थे कि जनता को यह पता ही नहीं था कि उसे इसकी जरूरत थी । स्टीव जोब्स ने कहा है कि आप ऐसा नहीं कर सकते कि ग्राहकों से जाकर पूछिए कि वह क्या चाहते हैं । और फिर उन्हें वह देने की कोशिश करें । जब तक आप उस चीज को बनाएंगे तब तक वह कोई नई चीज चाहने लग जाएंगे । इसी वजह से एप्पल ने माइक्रो सॉफ्टवेयर डेल की नकल नहीं की बल्कि बेहतरीन प्रोडक्ट बनाने पर जोर दिया । स्टीव ने कहा है कि "बहुत से कंपनियों ने अपने कर्मचारियों की छटनी करने का विकल्प चुना है । और शायद यही उनके लिए सही भी था हमने अलग मार्ग चुना । हमारा विश्वास था कि अगर हम ग्राहकों के सामने बेहतरीन प्रोडक्ट रखते रहेंगे तो वे अपने पर्स खोलते रहेंगे ।"

5) सही कर्मचारी चुनाव करे


अच्छी कंपनी अच्छी कर्मचारियों से बनती है । अगर कर्मचारी निराशावादी हैं आलसी हैं सुरक्षा वादी हैं । तो आप एप्पल जैसी नये विचार की कंपनी नहीं बना सकते हैं । उसने शुरुआत से ही अपने कर्मचारियों को गुणवत्ता पर ध्यान दिया । उन्होंने शुरू से ही सही कर्मचारी नियुक्त किये । जिनमें काम करने की योग्यता थी उनका नजरिया अच्छा था । इस बारे में स्टीव जाब्स का कहना है कि हम उन लोगों को नौकरी देते हैं तो संसार में बेहतर चीजें बनाना चाहते हैं । जाहिर है नए विचार दी कम्पनी में केवल कार्यकुशलता से काम नहीं चलता है । यहां वैचारिक कार्यकुशलता बहुत मायने रखती है । शुरुआत में एप्पल के कर्मचारी ही तय करते हैं कि कोई प्रोडक्ट अच्छा है या नहीं । हमेशा याद रखें कि सही कर्मचारी किसी कंपनी को बना भी सकता है और डुबा भी सकता है । क्योंकि कंपनी के संस्थापक चाहे कितना भी बेहतर क्यों ना हो ग्राहको का पाला तो कर्मचारियों से ही पड़ता है ।

जानिये एप्पल कंपनी के मालिक स्टीव जाॅब्स के सफलता के मंत्र | Steve Jobs Success Mantra



Post a Comment

0 Comments