लक्ष्मी मित्तल की सफलता के ये 5 अचूक राज | Who Is Laxmi Mittal Explain His Success Story

लक्ष्मी मित्तल की सफलता के ये 5 अचूक राज | Who Is Laxmi Mittal Explain His Success Story


मैं संसार की सबसे बड़ी नहीं बल्कि सबसे लाभदायक स्टील कंपनी चलाना चाहता हूं- लक्ष्मी मित्तल 
लक्ष्मी मित्तल की सफलता के ये 5 अचूक राज | Who Is Laxmi Mittal Explain His Success Story
लक्ष्मी मित्तल की सफलता के ये 5 अचूक राज

इस पोस्ट में हम जानेंगे लक्ष्मी मित्तल द्वारा बताए गए सफलता के राज । उन मंत्रों के बारे में आखिर वे कौन से राज है जिनको अपनाकर लक्ष्मी मित्तल संसार की सबसे बड़ी स्टील कंपनी के मालिक बन गए और इतने सफल हुए । 

आर्सेलोरमित्तल


आर्सेलोरमित्तल संसार की सबसे बड़ी स्टील कंपनी है जिसका मुख्यालय लक्जमबर्ग में है इस कंपनी की स्थापना 2006 में हुई जब मित्तल स्टील के 34 अरब डॉलर में आर्सेलोर का अधिग्रहण किया और दोनों का विलय हुआ । लक्ष्मी मित्तल इसके चेयरमैन और सीईओ है । यह विश्वव्यापी कंपनी 7 देशों में सक्रिय है और इसमें 2,61,000 कर्मचारी काम करते हैं । मित्तल की कंपनी को संसार की सबसे बड़ी स्टील कंपनी और महान स्टील कंपनी कहा जाता है । आर्सेलरमित्तल का मुख्यालय भले ही लक्जमबर्ग में हो लेकिन जैसा लक्ष्मी मित्तल के बेटे आदित्य का कहना है शक्ति तो लंदन में है जहां लक्ष्मी मित्तल रहते हैं ।

सबसे अमीर आदमियों में होती है गिनती 


नाममात्र की पूजी से कारोबार शुरू करने वाले लक्ष्मी मित्तल ने ऐसा क्या किया कि आज उनके पास अरबों डॉलर की संपत्ति है । अमीरों की फोब्स सूची में उनका नाम 21वें स्थान पर आता है । उनकी सफलता के मंत्र क्या है एक छोटे से स्टील मिल से शुरुआत करके भी संसार की सबसे बड़ी स्टील कंपनी बनाने में कैसे कामयाब हुआ है । 

अगर हम उनके बचपन पर नजर डाले तो लक्ष्मी मित्तल का जन्म 1950 में भारत के पश्चिमी राजस्थान के रेगिस्तानी इलाके में हुआ था| वह कैसे गांव में पैदा हुए थे जहां बिजली नहीं थी । ऐसे विपरीत परिवेश में पैदा होने का उन्हे लाभ मिला । उन्होंने परिस्थितियों से संघर्ष करना सीख लिया था । यह सब बाद में उन्हें बड़ा काम आया क्योंकि कारोबार के दौरान उनके सामने बहुत से विपरीत परिस्थितियां आई । जब वे सेंट जेवियर कॉलेज में पढ़ते थे तो वे सुबह कॉलेज आते थे  । और दिन में अपने परिवार की छोटी मिल संभालते थे । दिन भर कड़ी मेहनत के बावजूद भी थकान महसूस नहीं करते थे । बल्कि स्टी की बारीकियो के बारे में सोचते रहते थे । तब कौन जानता था कि आगे चलकर वे संसार की सबसे बड़ी स्टील कंपनी चलाने वाले हैं ।

मन में नए विचारों का आना 


लक्ष्मी मित्तल के पिता स्टील व्यवसाय में थे । लेकिन पिता पुत्र में मतभेद हो गया और लक्ष्मी मित्तल अकेले कुछ करने की ठान ली । उनके पास पैसा नहीं था लेकिन तेज दिमाग था । उनके दिमाग में विचार आया कि नई स्टील मिल बनाने में बहुत खर्च आएगा । इसलिए क्यों ना कोई बीमार मिल खरीद ली जाए और उसका कायाकल्प कर दिया जाए । भावी संभावनाओं को भापते हुए इस नतीजे पर पहुंचे की नई स्टील मिल बनाने में पैसे भी अधिक लगते हैं और समय भी बहुत ज्यादा लगता है । इसलिए अगर अपनी सारी पैसे और ऊर्जा बीमार मिल को खरीद कर उनको लायक बनाने में केंद्रित करें , तो इससे उन्हें बहुत फायदा हो सकता है । और इसी विचार के डदम पर वह स्टील किंग बन गए ।

कंपनी की स्थापना 


लक्ष्मी मित्तल भारत में पैदा हुए । भारत में पढे लेकिन उन्होंने अपना फौलादी करियर भारत में शुरू नहीं किया । यह काम उन्होंने इंडोनेशिया में किया । जहां उन्होंने 1976 में 26 साल की उम्र में इस्पात इंटरनेशनल कंपनी की स्थापना की । और पहला स्टील प्लांट लगाया । 1989 में उन्होंने त्रिनिदाद में काम शुरू किया जिससे उनकी कंपनी अंतर्राष्ट्रीय कंपनी बन गए । 2004 में उनका विनय मित्तल की अन्य कंपनी में हुआ और मित्तल स्टील कंपनी का गठन हुआ । मित्तल स्टील कंपनी के आरसेलोर में विलय के बाद गठित आर्सेलरमित्तल विश्व की सबसे बड़ी स्टील कंपनी है । और अकेले ही संसार के 10% स्टील का उत्पादन करती है ।

लक्ष्मी मित्तल के शुरुआती संघर्ष 


लक्ष्मी मित्तल ने कहा है कि हर व्यक्ति के सामने मुश्किल दौर आता है । आपके संकल्प और समर्पण का इम्तिहान तो यह है कि आप उनका किस तरह सामना करते हैं । और उसके बाद कैसे उस से बाहर निकलते हैं । उन्होंने 1976 में स्टील प्लांट को डाल लिया लेकिन संतोष नहीं हुए थे । वह तो खुद को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्थापित करना चाहते थे । मित्तल को इस क्षेत्र में पहली बड़ी सफलता 1989 में मिली, जब उन्होंने त्रिनिदाद में एक बीमार स्टील मिल को खरीदा । जिसमें 1 मिलीयन डॉलर का नुकसान हो रहा था । उन्होंने इसमें एक करोड़ डालर का निवेश किया और आधुनिक मशीनों से उत्पादन करना शुरू करवाया । 1 साल के भीतर ही इस मिल का उत्पादन दुगना हो गया और यह मुनाफा कमाने लगे । इस तरह से हमें यह पता चलता है कि मित्तल में मुश्किलों को अवसरों में बदलने की कला थी । वह संघर्ष को विजय में बदलने का तरीका जानते थे । और उन्होंने यह कमाल कई बार कर दिखाया ।

उनकी जिंदगी में महत्वपूर्ण मोड़ कब आया 


अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बड़े खिलाड़ी बनने के लिए लक्ष्मी मित्तल ने कनाडा और जर्मनी के स्टील कंपनियों को खरीद लिया । फिर वह कजाकिस्तान की ओर मुड़े और वहां 400 मिलियन डॉलर में कार्मेंट स्टील वर्क्स खरीद लिया । इस एक निवेश ने उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहुंचा दिया । 1995 में मित्तल ने मैक्सिको की तीसरी सबसे बड़ी स्टील कंपनी सिबाल्सा को $22 करोड में खरीदा । मैक्सिकन सरकार ने इस मिल को 10 साल पहले 22 अरब डॉलर में बनाया था । लेकिन 10 साल के भीतर ही यह असाध्य रूप से बीमार दिखने लगे । मित्तल ने इसे ठीक करने का बीड़ा उठाया और जल्द ही इसका उत्पादन कई गुना बढ़ा दिया । बीमार मिलो को सस्ते में खरीद कर उन्हें मुनाफे में लौटाने की नीति मित्तल के बड़े काम आए और यही उनकी कामयाबी का सबसे बड़ा राज है ।

लक्ष्मी मित्तल की सफलता के मंत्र 


नई तरीके से काम करना 


साधारण कामों से साधारण सफलता मिलती है यदि आप असाधारण कामयाबी चाहते हैं तो आपको असाधारण काम करना होगा लक्ष्मी मित्तल ने भी इसी असाधारण काम को अपनाया नहीं तरीके से काम किया प्लीज से हटकर चलें इसी का नतीजा है कि आज संसार में उनके नाम का डंका बज रहा है मित्तल बीमार और घाटे में चल रही स्टील में लोगों खरीदते हैं जिन्हें कोई दूसरा खरीदने को तैयार नहीं होता जाहिर है वे उन्हें बहुत सस्ते दामों पर मिल जाती है फिर मित्तल और मिलों पर कायाकल्प करते हैं उत्पादन की लागत फॉरेन कम करते हैं कर्मचारियों की संख्या घट आते हैं और आधुनिक मशीनों का इस्तेमाल करते हैं उनकी सफलता का रहस्य भी यही है कि उन्होंने नहीं मिले बनाने के बजाय एमआर मेलों के कायाकल्प पर ध्यान केंद्रित किया जिससे समय भी बचा और पूछी भी इसलिए आज मित्तल की कंपनी को दुनिया की सर्वश्रेष्ठ स्टील कंपनी कहा जाता है ।

एक ही चीज पर पूरा ध्यान केंद्रित करें 


"एकै साधे सब सधे सब साधे सब जाए" पूरी एकाग्रता से एक ही चीज पर ध्यान केंद्रित करेंगे तो सफलता की संभावना बढ़ जाती है । लक्ष्मी मित्तल ने अपने जीवन में यही किया है  ।उन्होंने अपना पूरा ध्यान स्टील पर केंद्रित किया । पिछले दो दशकों में लक्ष्मी मित्तल ने लगभग हर साल एक स्टीटमिल का अधिग्रहण करने की नीति को अपनाया । 1 साल मे वे उसे पटरी पर ले आते हैं और अगले साल अगले मिल खरीद कर उसे बेहतर बनाने में जुट जाते हैं । इस तरह वे स्टिल के क्षेत्र में लगातार प्रगति करते जा रहे हैं । उन्होंने कभी मेटल किंग बनने के बारे में नहीं सोचा बल्कि स्टील किंग बनने के बारे में ही सोचा । यही वजह है कि वह अपने चुने हुए क्षेत्र में कामयाब हुए और सच में स्टील स्टील कम किंग बन गए ।

बड़े सपने देखे 


लक्ष्मी मित्तल ने शुरुआत से ही अंतर्राष्ट्रीय कंपनी बनाने का सपना देखा था । वह संसार की सबसे लाभदायक कंपनी बनाना चाहते थे । उनके सपने ने उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया । 1976 में अपना पहला स्टील प्लांट खोला तो उन्होंने यह नहीं सोचा कि आप इसी तक सीमित रहना है । उन्होंने तो उसे पायदान की पहली सीढ़ी माना । उनका लक्ष्य स्पष्ट था उनका सपना बड़ा था इसलिए भी आगे प्रयास करते गए और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर स्टील प्लॉट खरीदे गए । जाहिर है यह बड़ी मेहनत का काम है लेकिन बड़े सपने इंसान को मेहनत करने की प्रेरणा देते हैं । लक्ष्मी मित्तल ने कहा है "मेहनत निश्चित रूप से काफी दूर तक ले जाती है" आजकल बहुत से लोग कड़ी मेहनत करते हैं इसलिए आपको यह सुनिश्चित करना चाहिए कि आप उनसे भी अधिक कड़ी मेहनत करें और अपने काम तथा लक्ष्य के प्रति खुद को सचमुच समर्पित कर दे ।

अवसरों की तलाश करना 


अबसर अचानक आकर उनकी चौखट पर नहीं खड़े हो जाते हैं । उन्हें तो पैनी नजरों से भापना पड़ता है । और जैसे ही वे नजर आए उन्हें पकड़ना होता है । तभी आप अफसरों को भुना सकते हैं । मित्तल में अफसरों को भापने की अद्भुत क्षमता है । इसका एक उदाहरण देखें 2004 में कजाकिस्तान के स्टील प्लांट से मित्तल को एक तिहाई मुनाफा हो रहा था । जब मित्तल ने इस सरकारी प्लांट को खरीदा था तब वह 70000 कर्मचारी थे । और बेचने के लिए सरकार के एक शर्त यह थी कि मित्तल कर्मचारियों की संख्या को कम नहीं कर सकते । मित्तल जानते थे कि कर्मचारियों की संख्या को कम किए बिना कंपनी को मुनाफा नहीं दिलाया जा सकता । लेकिन विश्लेषण के बाद मित्तल को अवसर दिख गया और उन्होंने सरकार के शर्त मानकर प्लांट खरीद लिया । मित्तल ने देखा कि उनके प्लाट की जमीन पर कोयले के विशाल भंडार हैं और कजाकिस्तान से चीन के सीमा लगी हुई है । जहां कोयले की भारी कमी है । मित्र ने चीन को भारी मात्रा में कोयला बेचा और अतिरिक्त कर्मचारियों का भरपूर उपयोग किया । अवसरों के बारे में मित्तल का कहना है हमेशा बॉक्स के बाहर सोचे और सामने आने वाले अवसरों को लपक ले चाहे जो भी हो ।

आधुनिक मशीनें लगाएं 


अगर आप आगे बढ़ना चाहते हैं तो आधुनिक मशीनें आपकी मदद कर सकते हैं । इससे उत्पादन बडढता है और लागत कम होती है । और कर्मचारियों की संख्या भी कम होती है  । मित्तल की सफलता का सबसे बड़ा कारण यह है कि वे पारम्परिक ब्लास्ट फर्नेस के बजाए मिनी मिल्स नामक अधिक प्रभावी तकनीक पर भरोसा करते हैं । आधुनिक मशीनों और प्रभावी मैनेजमेंट तकनीक का इस्तेमाल करते हैं । मित्तल बीमार मिल को स्वास्थ्य करने का काम करते हैं । मित्तल के आधुनिकीकरण करके पुरानी मिलों को आधुनिक मिलों में बदल लिया और यह भी काफी सस्ते में । इसमे कोई हैरानी नहीं है कि आज इतने सफल हुए हैं ।


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