कोका कोला के महानायक रोबर्ट वुडरूफ की सफलता के राज क्या है || The Coca-Cola Company Man Robert Woodruff Success Story

कोका कोला के महानायक रोबर्ट वुडरूफ की सफलता के राज क्या है || The Coca-Cola Company Man Robert Woodruff Success Story 


हम यह सुनिश्चित करेंगे कि वर्दी वाले हर व्यक्ति को कोका कोला की बोतल 5 सेंट में मिल जाए । चाहे वह कहीं भी हो और चाहे लागत कितनी भी आए यह कहना है रॉबर्ट वुडरफ़ का
coke, robert w. woodruff, coca-cola history, cocacola, coca-cola, earnest woodruff, the coca-cola company, history, Inspirational, Motivational Thoughts,
 The Coca-Cola Company Man Robert Woodruff Success Story 


सबसे बड़ी बेवरेज कंपनी:-  दा कोका कोला कंपनी एक अमेरिकी मल्टीनैशनल कॉरपोरेशंस है। जो अल्कोहल रहित पेय पदार्थ बनाते हैं और बेचती है। यह संसार की सबसे बड़ी बेवरेज कंपनी है। कोका कोला के अलावा यह 500 अन्य ब्रांड के पदार्थ बनाती है। 200 से अधिक देशों में इसके 1.4 करोड़ रिटेल आउटलेट है । आज कंपनी में लगभग 1,46,000 कर्मचारी काम करते हैं। (In 1919, a group of investors headed by Ernest Woodruff and W. C. Bradley purchased The Coca-Cola Company for $25 million)

संसार का सबसे मूल्यवान ब्रांड  



कोका कोला नामक सॉफ्ट ड्रिंक में ऐसी क्या खूबी है। जो आज यह संसार की सबसे लोकप्रिय सॉफ्ट ड्रिंक बन चुकी है । कंपनी की सफलता के मंत्र क्या है । जिसकी बदौलत आज कोका कोला संसार का सबसे मूल्यवान ब्रांड बन गया है और इंटर ब्रांड के अनुसार इसके ब्रांड का मूल्य 71.861$ है  । इसकी विश्वव्यापी सफलता का राज क्या है?
कोका कोला के महानायक रोबर्ट वुडरूफ की सफलता के राज क्या है

नायाब विचार



1886 में जॉन पेंबरेटन नामक फार्मासिस्ट किसी ऐसी दवा का आविष्कार करना चाहते थे। जिससे वे अमीर बन जाए। वह पहले कई दवाई बना चुके थे। लेकिन किसी में भी उन्हें फायदा नहीं हुआ था। उसी समय अटलांटा शहर को ड्राई एरिया घोषित कर दिया गया। पेंबरेटन के मन में आया क्यों न कोई ऐसा अल्कोहल रहित पेय पदार्थ बनाया जाए, जिसका स्वाद भी अच्छा हो और जो सेहत के लिए फायदेमंद भी हो। तब उन्हें यह मालूम नहीं था, कि उनका यह विचार आगे चलकर संसार में इतनी धूम मचा देगा, कई प्रयोग करने के बाद पेंबरेटन ने आखिरकार जब पेय पदार्थ का फार्मूला तैयार कर लिया। तो उनके मन में विचार आया कि क्यों ना इसका स्वाद बढ़ाने के लिए इसे कार्बोनेटेड कर दिया जाए। नतीजा था कोका कोला जो आज विश्व का सबसे लोकप्रिय शॉफ्ट बियर बन गया है।
कोका कोला के महानायक रोबर्ट वुडरूफ की सफलता के राज क्या है
कोका कोला के महानायक रोबर्ट वुडरूफ की सफलता के राज क्या है

शुरुआती संघर्ष




पेंबरेटन का सॉफ्ट ड्रिंक सबसे पहले 8 मई 1886 को अटलांटा में   जैकब्स फार्मेसी के सोडा फाउंटेन तक भेजा गया। कीमती थी  5 सेंट में एक गिलास है। हैरानी की बात है कि जिस ड्रिंक को आज पूरे संसार में बड़े चाव  से पिया जाता है 1886 में लोगों ने उसे कोई महत्व नहीं दिया। हर दिन औसतन सिर्फ नौ गिलास बिकते थे। पहले साल कुल $50 की बिक्री हुई और रोचक बात यह है, कि उस साल जॉन पेंबरेटन  का खर्च $74 आया था ।यानी पहले साल कोका कोला को घाटा हुआ था। 2 साल बाद भी जब ड्रिंक लोकप्रिय नहीं हुआ, तो 1888 में पेेंबरेटन को लगा,कि यह उनके पिछले प्रोडक्ट्स की तरह असफल हो गया, निराश होकर उन्होंने अपनी मृत्यु के कुछ सप्ताह पहले कोका कोला अधिकार एक स्थानीय फार्मासिस्ट आशा कैलेंडर को बेच दिए। इस तरह हम देखते हैं। कि पेंबरेटन ने शुरुआती मुश्किलों के सामने घुटने टेक दिए ,बहरहाल कोका कोला के नए मालिक आशा कैलेंडर में जीवट थावे मुश्किलों से जूझे है। और अंततः उन्होंने कोका कोला को एक आविष्कार से व्यवसाय में बदल दिया। 


कोका कोला के महानायक रोबर्ट वुडरूफ की सफलता के राज क्या है
कोका कोला के महानायक रोबर्ट वुडरूफ की सफलता के राज क्या है


कंपनी की स्थापना




कोका कोला कंपनी अपनी स्थापना 1892 से मानती है। जब आशा कैलेंडर ने इसका गठन किया, इसका लोगो 1893 में रजिस्टर्ड हुआ। कैलेंडर ने ही कोका कोला को पूरे अमेरिका में लोग ठीक कराने का अभियान छेड़ दिया। वे घड़ियों, कैलेंडर से तथा अन्य चीजों पर कोका कोला के लोगों का प्रचार करने लगे। उन्होंने फ्री कोक से कूपन बनवाएं ताकि लोग इसे चेक कर देखें, उनका लक्ष्य था, कि लोग इसे पसंद करें और बाद में खरीदे उनके प्रयासों से 1895 तक कोको कोला अमेरिका के हर राज्य में पहुंच गया। बहरहाल आशा कैलेंडर से अंतरराष्ट्रीय व्यवसाय में नहीं बदल पाए ।इसका मूल कारण यह था, कि उन्होंने इसे बोतल में पैक करके भेजने की संभावनाओं को नहीं पहचाना कोका कोला को सोडा फाउंटेन पर ही भेजने की योजना बनाते रहे। 1899 में बेंजामिन थॉमस और जोसेफ व्हाइटहेड नामक दो वकीलों ने आशा कैलेंडर से इसकी मॉडलिंग राइट्स मात्र $1 में खरीद लिए।यह कैलेंडर की ऐतिहासिक भूल थी, क्योंकि आगे चलकर कोका कोला सोडा फाउंटेन के बजाय बोतल में ही बिकने वाला था।

महत्वपूर्ण मोड़

कोका कोला कंपनी के सफर में महत्वपूर्ण मोड़ तब आया जब 1923 में   रॉबर्ट डब्लू वुडरफ़ इसके प्रेसिडेंट बने। उन्होंने ही कोका कोला को विदेशों में लोकप्रिय किया और इसे एक अंतरराष्ट्रीय मैदान के रूप में स्थापित किया। उन्होंने फाउंड इन सेल्फ पर बिक्री करने की वजह बोतलों की बिक्री को अधिक महत्व दिया। उनके प्रयासों की बदौलत 1929 में पहली बार कोका कोला बिक्री फाउंटेन सेल्फ के बजाय बोतलों से अधिक हुई। वुडरफ़ 31 वर्षों तक कोका कोला की  सीईओ रहे और इस दौरान कोका कोला ने विदेशों में धूम मचा दी। उनके रिटायर होने तक होगा कोला की बिक्री $7000000000 हो गई थी। और यह एक नया प्रोडक्ट बन चुका था।

 सफलता के मंत्र


1- बड़ा सपना देखें


प्रथम विश्व युद्ध के दौरान कोका कोला के प्रेसिडेंट रॉबर्ट वुडरफ ने घोषणा की थी। हम यह सुनिश्चित करेंगे कि वर्दी वाले हर व्यक्ति को कोका कोला की बोतल 5 सेंट में मिल जाए। चाहे वह कहीं भी हो और चाहे लागत जो भी आए। युद्ध खत्म होने पर उन्हें एहसास हुआ, कि उनका सपना छोटा था, और इसे बड़ा करने की जरूरत है। उन्होंने इसे बड़ा बनाते हुए कहा कि वह चाहते हैं, कि उनके जीवन काल में संसार का हर वक्ति कोका कोला का स्वाद चख ले। और उनका प्रोडक्ट पृथ्वी के किसी भी कोने में इच्छा होते हुए हाथ बढ़ाने के दायरे के भीतर हो, वे चाहते थे, कि पूरा संसार कोका कोला का स्वाद चखने का बहुत बड़ा सपना था, इतना बड़ा कि पूरा होना नामुमकिन था। लेकिन इस बड़े सपने ने ही उन्हें प्रेरित किया। कि वे कोका कोला का प्रचार करें, विज्ञापन दें,और इसी संसार के अधिक से अधिक व्यक्तियों तक पहुंचाएं, और कोका कोला की वर्तमान अंतरराष्ट्रीय ख्याति उनके इसी सपने का परिणाम है।

2- विज्ञापन करें 

सॉफ्ट ड्रिंक में मार्जिन और मुनाफा तगड़ा होता है। इसलिए इनका विज्ञापन भी ज्यादा होता है। रॉबर्ट वुडरफ़ जानते थे, कि कोक एक ऐसा प्रोडक्ट था, जो किसी के लिए आवश्यक नहीं है। इसलिए इससे लोगों को बेचने की जरूरत है। और  उसका तरीका यही है कि इसका प्रचार प्रसार किया जाए। विज्ञापन किया जाए तथा इसे लोकप्रिय बनाने के हर अवसर को भुनाया जाए, दरअसल कोका कोला ने शुरुआत में ही विज्ञापन पर जोर दिया है। 1901 में कोकाकोला का विज्ञापन बजट $100000 था। और 1911 में $1000000 उस वक्त के लिहाज से यह बहुत बड़ी रकम थी। 1921 में सार्वजनिक स्थानों पर बिलबोर्ड्स के जरिए विज्ञापन शुरू हुए, 1950 में टीवी पर विज्ञापन आने लगे कोका कोला का विश्वास रहा है। कि विज्ञापन ही बाजार में सफलता की कुंजी है। रोचक बात यह है, कि प्रोडक्ट बनाने में कितना खर्च होता है। उससे अधिक विज्ञापन पर होता है। कोका कोला उन शुरुआती कंपनियों में से एक है। जिसकी मार्केटिंग लागत उत्पादन लागत से अधिक होती है। और यही इसकी लोकप्रियता का एक प्रमुख कारण है।

Read Also

 3- फार्मूले की गोपनीयता का प्रचार करें-

 वुडरफ ने कोका कोला के प्रचार के लिए हर संभव तरीके आजमाए। उन्होंने अखबारों में इंटरव्यू दिए, कि कोका कोला का फार्मूला गोपनीय है। और अटलांटा की एक बैंक की तिजोरी में बंद है।  जाहिर है, कि इस प्रचार अभियान से जनता कोका कोला की ओर आकर्षित हुई। वुडरफ़ ने क्या ऐलान भी किया कि कोका कोला की रेसिपी में कोई फेरबदल नहीं किया गया है। और ना ही कभी किया जाएगा। आगे चलकर यह फॉर्मूला कोका कोला के आकर्षण का एक प्रमुख कारण बन गया। कपड़े नहीं से गोपनीय बनाए रखा है। क्योंकि इससे अनुरूची बढ़ती है। जैसा जॉन एम्स्ले कहते हैं, कोका कोला कंपनी अपने को अपने फार्मूले की इतनी सावधानी से रक्षा करती है। कि यह इसे प्रकट करने के बजाय अदालत के आदेश की अवहेलना करने को तैयार रहती है। भारत में ड्रिंक निर्माताओं को कानूनन बताना पड़ता है। कि पेय पदार्थ में क्या क्या है, लेकिन 1977 में कंपनी ने अपना रहस्य उजागर करने के बजाय भारत में कोका कोला की बिक्री बंद करने की घोषणा कर दी। 

4- अंतरराष्ट्रीय विस्तार करें


 जब राबर्ट वुडरफ़ ने कार्यभार संभाला कोका कोला 10 से भी कम देशों में दिखता था। लेकिन अब उन्होंने प्रेसिडेंट पद छोड़ा, तब तक कोका कोला 120 देशों में पहुंच चुका था ।राबर्ट वुडरफ़ ने वर्ष में कंपनी के अंतर राष्ट्रीय विस्तार पर जोर दिया। 1926 में उन्होंने विदेशी प्रभाव स्थापित किया। जो 1930 में कोका कोला एक्स रोड्स कारपोरेशन बन गया। फ्रांस, ग्वाटेमाला, होंडुरास, मैक्सिको, बेल्जियम, इटली और दक्षिण अफ्रीका में प्लांट लगाए गए। जब 1928 में एम्सटर्डम ओलंपिक से हुई। तो दूर रखने के सुनहरे अवसर का लाभ उठाकर अमेरिकी टीम के साथ कोका कोला भी भेज दिया। 
तृतीय विश्व युद्ध में जब उत्तर अफ्रीकन से जनरल ड्वाइट आइजनहॉवर ने कोका कोला भेजने का आग्रह किया। तो वुडरफ़ ने अपने युद्ध के दौरान अमेरिकी सैनिकों के लिए पूरे संसार में 64 बॉटलिंग प्लांट से ताबड़तोड़ तैयार किए। बाद में इनमें से कई प्लांट से जारी रहे। और इससे कंपनी के विश्वव्यापी कारोबार ने गति पकड़ ली। राबर्ट वुडरफ़ के अंतरराष्ट्रीय विस्तार की नीति का ही परिणाम है। कि आज कोका कोला की 75% आमदनी विदेशों से होती है। और कार्बोनेटेड ड्रिंक्स के बाजार में इसकी 50% हिस्सेदारी है।

5- नए-नए प्रोडक्ट्स बनाएं


ब्रांड के लिहाज से एक प्रोडक्ट अच्छा रहता है। लेकिन जनता को विविधता पसंद होती है। यदि आपकी कंपनी विविधता नहीं दे पाती तो ग्राहक दूसरी कंपनी के प्रोडक्ट खरीदने लगेंगे। जैसा फोर्ड की मॉडल की कार के साथ हुआ था। 70 वर्षों तक कोका कोला कंपनी के पास एक ही ब्रांड था। एक ही प्रोडक्ट था। कोका कोला बहरहाल 1950 के दशक में कंपनी ने अपनी नीति बदली।यह नये नये प्रोडक्ट बाजार में लाने लगी, क्योंकि अलग-अलग लोगों की रूचि भी अलग-अलग होती है। सबसे पहले  उतरा फैंटा। फिर 1960 में स्प्राइट। फिर 1963 में टैब। और 1966 में फ्रेस्को। 
ध्यान रहे coca-cola कंपनी के प्रोडक्ट तो बाजार में ला रही थी। लेकिन इसने अपने मूल ब्रांड कोका कोला के साथ कोई छेड़छाड़ नहीं की थी। और नए प्रोडक्ट के लिए नए काम रखी थी।  1980 के दशक में कोका कोला ने पहली बार ब्रांड एक्स स्टेशन करते हुए डाइट को निकाला एक बार जब छेड़छाड़ शुरू हुई तो फिर यह बढ़ती चली गई। 1983 में कैफीन फ्री कोका कोला, 1985 में कोका कोला चेरी ,और न्यू कोक ,2001 में कोका कोला विद लेमन, 2002 में कोका कोला वेनिला, 2005 में कोका कोला जीरो, 2007 में कोका कोला ऑरेंज, लेकिन आज फिर कोका कोला के और ओरिजिनल ब्रांड का जादू चल रहा है। आखिर शुरुआत तो वहीं से हुई थी।। 

कोका कोला के महानायक रोबर्ट वुडरूफ की सफलता के राज क्या है || The Coca-Cola Company Man Robert Woodruff Success Story 


Read Some Health Tips


Post a Comment

0 Comments