इसबगोल का इस्तेमाल किन किन बीमारियों में राहत पाने के किया जा सकता है?
बाजार में औषधि के रूप में मिलने वाले ईसबगोल का उपयोग आपने कभी किया हो या न किया हो। लेकिन इसके गुणों को जानना आपके लिए बेहद फायदे का सौदा साबित हो सकता है। यदि आप सोच रहे हैं कि वह कैसे, तो जरूर पढ़ें नीचे दिए गए ईसबगोल के उपाय
इसबगोल का इस्तेमाल किन किन बीमारियों में राहत पाने के किया जा सकता है |
ईसबगोल क्या है ?
ईसबगोल का पौधा छोटी झाड़ी के समान होता है। इसके पत्ते और फूल बहुत छोटे छोटे होते हैं। इसकी पत्तियों पर एक प्रकार का रोयां होता है। इसके बीज छोटे नाव की शक्ल के गहरे भूरे रंग के होते हैं। इसबगोल के इन्हीं बीजों से भूसी तैयार की जाती है। जो दवाइयों के काम आती है।
ईसबगोल का प्रमुख उपयोग आंतों के अंदर की झिल्लीयो को आराम देने के लिए किया जाता है। अर्थात इसके उपयोग से पेट की आंते बड़ी सरलता पूर्वक मलके को बाहर निकालने में सहायता करती हैं। इसके उपयोग से किसी भी प्रकार की आंतों की बेचैनी दूर होती है।
कब्ज
ईसबगोल की भूसी का उपयोग प्रायः कब्ज दूर करने के लिए किया जाता है। इसकी विशेषता यह है, कि इसके प्रयोग से ना तो किसी प्रकार की कमजोरी होती है, ना किसी प्रकार का कोई बुरा प्रभाव। कब्ज दूर करने के लिए इसे दूध अथवा गर्म पानी के साथ प्रयोग में लाया जाता है। ईसबगोल की भूसी के अतिरिक्त बीजों को भी कब्ज दूर करने के लिए प्रयोग में लाते हैं। इसके लिए इसबगोल के बीजों को काफी देर पानी में भिगो देना चाहिए। पानी में भिगो देने से बीज फूल जाते हैं, और उनमें एक विशेष प्रकार का लसीलापन पैदा हो जाता है। इसबगोल का या लसीलापन ही पेट की आंतों की अंदर की झिल्ली को राहत देता है। इसी कारण मल आसानी से बाहर आ जाता है। इससे मल मार्ग भी कोमल होता है। और पेट को सरलता पूर्वक साफ रखने में सहायता मिलती है।
कब्ज दूर करने के लिए दो चम्मच ईसबगोल के बीज को पानी में भिगो देने के बाद गर्म दूध से लेने चाहिए। पानी में भूसी को भी भिगोने की आवश्यकता नहीं होती। आवश्यकता के अनुसार एक डेढ़ चम्मच रात को सोते समय गर्म दूध के साथ लेने से प्रातः काल पेट प्रायः बड़ी आसानी से साफ हो जाता है। जिन्हें दूध उपलब्ध ना हो,वे ईसबगोल की भूसी को गर्म पानी के साथ भी ले सकते हैं।
आंव और मरोड़
पेट दर्द के साथ आंव आने पर ईसबगोल के बीज अथवा ईसबगोल की भूसी का सेवन करने से लाभ होता है। रात्रि में सोने से पूर्व इसबगोल अथवा भूसी को एक चम्मच की मात्रा में गर्म दूध में भली प्रकार पकाकर सेवन करने से आंव और मरोड़ में लाभ होता है। और मरोड़ वाले रोगियों को प्रात काल दही में नमक सोंठ और जीरा भूनकर मिलाकर खिलाने से आंव आना बंद हो जाता है।
आंव अथवा मरोड़ वाले रोगियों को ईसबगोल के बीज अथवा भूसी ठंडे पानी में भिगो कर दी जा सकती है। इन रोगियों को खाने के लिए दो बार दही अथवा मट्ठा देना चाहिए।
पेट का फोड़ा
पेट में फोड़े के कारण यदि भयंकर दर्द और बेचैनी अनुभव हो, तो इसबगोल का उपयोग अत्यंत लाभकारी सिद्ध होता है। ऐसी स्थिति में ईसबगोल अथवा इस की भूसी को पानी में कुछ घंटे अथवा दूध में भिगो देना चाहिए। जब दोनों चीजें भली प्रकार फूल जाए तो, उन्हें साफ पतले कपड़े से छानकर रात में सोने से पूर्व लेना चाहिए। इस प्रकार यह लसीला घोल आंतों की झिल्ली में फैल कर होने वाले पेट दर्द को आराम पहुंचाता है।
पेशाब की जलन
जिन रोगियों को पेशाब करने के वक्त जलन अनुभव होती हो। उन्हें चाहिए कि वे ईसबगोल की भूसी को पानी में भिगोकर मिश्री मिलाकर शरबत के रूप में प्रयोग करें। इससे पेशाब की जलन खत्म होती है। और पेशाब खुलकर आता है।
पेट में कीड़े और पेचिश
जिस पेचिश में कीड़े भी साथ निकलते हो, ऐसी स्थिति में भी इसबगोल का उपयोग सहायक सिद्ध होता है। ऐसी स्थित में ईसबगोल की भूसी के साथ भुनी हुई सौंफ का चूर्ण मिलाकर लेने से पेट साफ हो जाता है। पेचिश के साथ आने वाले कीड़े भी समाप्त हो जाते हैं। ऐसे में इसबगोल को भिगोकर भी सौंफ के साथ प्रयोग में लाया जा सकता है।
बवासीर
जैसा कि पहले बताया जा चुका है। कि इसबगोल के उपयोग से कब्ज दूर होती है। जबकि बवासीर का प्रमुख कारण कब्ज ही है। इसके कारण इसबगोल के प्रयोग से आंतों की सूजन और उनमें किसी प्रकार के जख्म होने की संभावना खत्म हो जाती है। ईसबगोल के बीजों को पानी में भिगोकर प्रयोग करने से मलद्वार तक आंतों का पूरा मार्ग नरम हो जाता है। इस प्रकार बवासीर के रोगियों को दोहरा लाभ मिलता है। इसका प्रमुख कारण यह है। कि इसबगोल के बीजों में टैनिन नामक तत्व तो और मलद्वार को कोमल करने में सहायता पहुंचाता है। जैसा कि पहले बताया जा चुका है, कि इसबगोल के प्रयोग से मूत्र जलन समाप्त होती है। इसलिए सुजाक आदि रोग भी इसबगोल के प्रयोग से दूर होते हैं। इसके प्रयोग से मूत्र खुलकर आता है। मूत्र से संबंधित अन्य रोगों में भी लाभ होता है।
श्वास रोग
ईसबगोल की भूसी दिन में दो बार गर्म पानी उसे लेते रहने से श्वास संबंधी रोगों में आराम आता है। यहां तक कि स्वास्थ संबंधी पुराने रोग भी दूर हो जाते हैं।
ईसबगोल को खसखस के शरबत के साथ प्रतिदिन प्रयोग करने से मूत्राशय की गर्मी समाप्त होती है। इससे शीघ्रपतन में आराम मिलता है।जोड़ों के दर्द में
इसबगोल के बीजों को भिगोकर उन से बनाए गए पुल्टिस शरीर में जोड़ों के दर्द के आराम के लिए उपयुक्त मानी जाती है। गठिया आदि रोगों में जब शरीर के जोड़ों में सूजन अथवा भयंकर दर्द उत्पन्न हो, तो उस समय इसबगोल की पुल्टिस का प्रयोग लाभदायक सिद्ध होता है।
ईसबगोल के प्रयोग से पूर्व उसके संबंध में यह जान लेना आवश्यक है। कि उसे किस प्रकार काम में लाया जाए। इसबगोल के बीजों को प्रयोग से पूर्व काफी समय तक पानी अथवा दूध में भिगोकर प्रयोग में लाएं। सूखे बीजों को निकालना उचित नहीं।
भूसी को भी यदि दूध अथवा पानी में भिगोकर प्रयोग किया जाए तो जल्दी लाभ होने की संभावना होती है। परंतु भूसी को बिना भिगोए भी काम में लाया जा सकता है। आवश्यकता के अनुसार अगर हम या गर्म जल अथवा दूध के साथ प्रयोग में ला सकते हैं। तो दस्त आदि में ईसबगोल की भूसी का प्रयोग दही अथवा छाछ के साथ करना चाहिए।
ईसबगोल की भूसी के साथ आंवले अथवा त्रिफला का चूर्ण बनाकर प्रयोग करने से पुराने से पुराना कब्ज दूर होता है।
ईसबगोल जहां पेट के रोगों के लिए लाभदायक है, वहीं उसे यदि निरंतर सौंफ के चूर्ण के साथ मिलाकर प्रयोग में लाया जाए तो शरीर को स्वस्थ रखने में बहुत सहायता मिलती है।।।
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