आम खाने के चमत्कारी फायदे और इसके विभिन्न उपयोग क्या है | Amazing Facts of Mango fruits and Health Benefits

आम खाने के चमत्कारी फायदे और इसके विभिन्न उपयोग क्या है

 आम को फलों का राजा कहा जाता है। उनके अनेक किस्में होती हैं। और अनेक उष्णकटिबंधीय स्थानों में पैदा होता है। आम पैदा करने वाले देशों में भारत का पहला स्थान है। आम की कुछ किसमे ऐसी होती हैं । जिनमे रेशा बहुत अधिक होता है। परंतु बहुत ही महत्वपूर्ण किसनमे ऐसी भी हैं। जिनमे रेसे बहुत कम और बहुत अधिक स्वादिष्ट गुर्दे की अधिकता होती हैं। आम की कुछ किसमें ऐसी भी होती हैं। जो  चूसने के काम आती हैं। आम के फल के अंदर बहुत मोटी गुठली होती है। आम का पौधा सदा हरा भरा रहता है।

आम खाने के चमत्कारी फायदे और इसके विभिन्न उपयोग क्या है

आम खाने के चमत्कारी फायदे और इसके विभिन्न उपयोग क्या है

आम के वृक्ष की विशेषताएं क्या है

इसका प्रत्येक भाग मनुष्य के उपयोग में आता है।  शुभ कार्य के समय आम के पत्तों की बंदनवार बनाई जाती है। आम का फल कच्चे और पके दोनों रूपों में अनेक प्रकार से प्रयोग में आता है। आम के वृक्ष की टहनियां और लकड़ियां हवन के लिए समिधाओं का काम देती हैं। आम के वृक्ष की लकड़ी  अनेक कामो के प्रयोग में आती है। 

प्राचीन काल में ग्रंथों में आम को स्वर्ग का फल कहा गया है आम से अनेक कहानियां जुड़ी हैं पौराणिक ग्रंथों में कहा गया है कि पार्वती जी को आम बहुत प्रिय था परंतु जब शिव और पार्वती हिमालय से पृथ्वी के लोगों को देखने के लिए पृथ्वी पर आए तो हिमालय से आम लाना भूल गए पार्वती जी के आग्रह पर शिवजी ने योग माया से धरती पर आम उत्पन्न कर दिए इस प्रकार आम भारत में उत्पन्न हुआ।

 आम की बौर के साथ रितु ओं का ऐसा परिवर्तन जुड़ा है की संस्कृत कवियों ने उस पर बहुत कुछ लिखा आम का अस्त्र आम्र मंजरी भावनाओं की  उच्चतम अभिव्यक्ति का प्रतीक है या जिस के आगमन की सुगंध से मन उत्साहित और उत्तेजित हो उठता है । आम को संस्कृत में रसाल भी कहा गया है, अर्थात रसों का घर सभी फलों का मिश्रित रूप होता है इसके रस में।

 

आम से संबंधित भारतीय इतिहास 

 आम से संबंधित भारतीय इतिहास से जुड़ी एक और बड़ी सुप्रसिद्ध घटना है। राजा भरतरी धारा नगरी के संस्कृत के बहुत प्रसिद्ध कवि और बहुत ही प्रेमी राजा थे। उन्होंने एक बहुत बढ़िया आम का फल अपने प्रिय रानी को भेंट में दिया। परंतु ऐसा कहा जाता है, कि रानी ने वह फल अंतापुर में काम करने वाले एक अनुच्छेद को भेंट में दे दिया। अश्वशाला में काम करने वाले उस अनुच्छेद ने वहां पर अपनी प्रेमिका एक वैश्या को दिया। उसने सोचा कि इतना सुंदर फल अपने राजा को क्यों ना भेट किया जाए? उसने वह फल एन- केन प्रकारेण राजा तक पहुंचा दिया। राजा ने जब वह फल देखा तो वह बड़े आश्चर्य में डूब गया ।

राजा ने सोचा जिस प्रिय नारी का मैं चिंतन करता हूं वह मुझसे विभक्त है और किसी दूसरे मनुष्य को चाहती है वह मनुष्य भी उससे विरक्त है वह भी किसी अन्य स्त्री से प्रेम करता है । और मेरे लिए किसी दूसरी स्त्री के हृदय में प्रसन्नता अनुभव होती हैं कामदेव ये कितनी विडंबना है

 इसके बाद की घटना बहुत लंबी है परंतु अंत में राजा को वैराग्य हो गया और सब कुछ छोड़ कर वह भगवान की शक्ति में लीन हो गये।

विटामिन से भरपूर

  आम प्रत्येक स्थिति में चाहे वह कच्चा हो या पक्का हुआ प्रयोग में आता है। कच्चे आम में स्टार्स की अधिकता होती है। वह धीरे धीरे ग्लूकोज के रूप में बदलती जाती है। आम में नमी के बाद सबसे अधिक प्रतिशत कार्बोहाइड्रेट का होता है। विटामिन सी काफी मात्रा में होती है। विटामिन बी कंपलेक्स की भी कुछ मात्रा रहती है । पका हुआ आम पर आया बहुत शक्ति देने वाला होता है ।आयुर्वेद में आम्र कल्प का विधान है, जिसमें प्रतिदिन केवल आम और दूध का भोजन किया जाता है। और कोई चीज नहीं ली जाती ,इससे शरीर के प्रत्येक कण का नव निर्माण होता है।

लू और धूप से बचने के लिये

 लू अथवा धूप से बचने के लिए कच्चे आम को आग में भूनकर अथवा पानी में उबालकर उसका पना बनाया जाता है। इससे धूप और गर्मी का असर दूर होता है। पानी में चीनी अथवा गुण और भुना हुआ जीरा तथा काला नमक मिलाकर खाने अथवा शरबत के रूप में पीने से धूप अथवा गर्मी का असर समाप्त हो जाता है।

 

दुर्बलता

 किसी रोग अथवा अन्य कारणों से जब मनुष्य दुर्बल होने लगता है और उसके शरीर का भार कम होने लगता है,  आम और दूध का प्रयोग करने से शरीर में शर्करा की कमी पूरी होती है और शरीर बलवान बनता है वर्ष में एक बार कुछ दिन तक आम और दूध का पूजन करने से शरीर पुष्ट होता है।  इसमें कार्बोहाइड्रेट विटामिन सी के अतिरिक्त कैल्शियम और फास्फोरस और  आयरन आदि खनिज भी रहते हैं इनसे शरीर की पुष्ट होता है उसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।

आम और दूध

आम का प्रयोग करने से पूर्व उसे ठंडे पानी में अथवा धोकर फ्रिज में रख कर ठंडा करना चाहिए इससे आम की स्वाभाविक गर्मी दूर होती है। आम खाने के बाद दूध पीना आवश्यक है ।दूध आम के साथ आवश्यक आम के रस को दूध में मिलाकर पीने से वीर्य की दुर्बलता दूर होती है। शरीर की कमजोरी दूर होकर मर्दाना सबकी बढ़ाती है। अत्यंत दुर्बल शरीर वाले व्यक्तियों के लिए आम और दूध का सेवन बहुत ही उपयोगी सिद्ध होता है। इसके निरंतर सेवन करने से  दुबले पतले शरीर पर मोटापा चढ़ता है।

आंखों के रोग

 जिन लोगों को रात्रि में कम दिखाई देता है। उनके लिए पका आम अत्यंत लाभदायक सिद्ध होता है। आंखों के रोगों का मुख्य कारण विटामिन ए की कमी है। जिन बच्चों को पोषक आहार नहीं मिलता और निधर्रनता के कारण विटामिन ए की कमी होती है। उन्हें चाहिए कि आम के मौसम में आम का खुलकर प्रयोग करें। आम के प्रयोग से आंखों का खुश्क रहना और आंखों की जलन दूर होती हैं। ऐसा विश्वास किया जाता है, कि प्रत्येक व्यक्ति को प्रतिदिन 5000 विटामिन ए प्रति यूनिट की आवश्यकता होती है। इसकी आपूर्ति केवल 100 ग्राम आम चूसने से हो जाती है।

तपेदिक के रोगी को लाभ होता है

 यक्ष्मा अथवा तपेदिक होने का प्रमुख कारण शारीरिक कमजोरी है। आम के रस के साथ शहद मिलाकर दिन में दो बार प्रातः और सायं काल प्रयोग करने से तपेदिक के रोगी को लाभ होता है। तपेदिक के रोगी के लिए आवश्यक है। कि आम के रस के साथ दूध में पीपली उबालकर पीएं। इससे जल्दी लाभ होता है। तपेदिक के व्यक्ति यदि आम के रस के साथ लहसुन की  एक या दो कलियां छीलकर दूध में उबालकर पीते रहे तो और भी अधिक जल्दी लाभ होता है।

 

मधुमेह

 मधुमेह के रोगी के लिए आम के कोमल पत्तों का रस अथवा उनका काढ़ा बनाकर प्रातः काल पीते रहने से मधुमेह की प्रारंभिक स्थिति में रोग बढ़ने का खतरा दूर हो जाता है।
 आम के पत्तों का एक और प्रयोग है, कि उन्हें सुखाकर उनका चूर्ण बनाकर एक चम्मच चूर्ण पाने के साथ दिन में दो बार लेने से मधुमेह के रोगियों को निश्चित रूप से लाभ होता है।

 

दिमाग की कमजोरी में

दिमाग की कमजोरी के लिए एक कप आम का रस थोड़ा दूध और एक चम्मच अदरक का रस तथा चीनी मिलाकर पीने से दिमाग की कमजोरी दूर होती है। दिमाग की कमजोरी के कारण सिर दर्द रहना और उसके कारण आंखों के आगे अंधेरा छाना दूर होता है। इससे शरीर एक व्यक्ति भी साफ होता है। रक्त की शुद्धि के कारण शरीर स्वस्थ रहता है। आम के रस का प्रयोग करने वाले के मुख पर एक विशेष प्रकार की क्रांति  झलकने लगती है।

 

पेट के रोगों में

आम पेट के रोगों में भी लाभ करता है।आम की गुठली को सुखाकर उसका चूर्ण बना लेना चाहिए । गुठली का चूर्ण  डेढ़ से 2 ग्राम की मात्रा में पानी के साथ लेने से दस्त दूर हो जाते हैं।

आम के रस में थोड़ा दही मिलाकर एक चम्मच अदरक के रस के साथ दिन में तीन बार लेने से दस्त अपच और बवासीर में लाभ होता है।

एक ऐसा फल है जिससे कब्ज प्राकृतिक रूप से दूर होती है ।आम चूस कर दूध पीने से आंखों में एक प्रकार का कोमल लेप सा हो जाता है और झिल्ली में चिपके हुए मल के कड धीरे-धीरे साफ होने लगते हैं।

आम के प्रयोग से जहां पाचक शक्ति बढ़ती है वही जिगर को बल मिलने से शरीर में रक्त की कमी दूर होती है रक्त अधिक पैदा होने लगता है आम के बीच का रस और दही मिलाकर लेने से दस्त बंद हो जाते हैं।
आम की छाल का रस अथवा काढ़ा बनाकर पीने से मासिक धर्म के समय अत्यधिक खून बहने में लाभ होता है।

 

पित्त के प्रकोप में

कच्चे आम के प्रयोग से पित्त संबंधी कष्ट दूर होते हैं ।कच्चे आम के खाने से आतो में  पाचक रस पैदा होता है।।शहद और काली मिर्च के साथ कच्चे आम का प्रयोग करने से पित्त प्रकोप दूर होता है। आम के पेड़ की जड़ वायु और कफ का नाश करती हैं। इसे हाथ पर बांधने से पित्त के कारण आने वाला  भी शांत होता है।

अन्य उपयोग

 विभिन्न रोगों में यहां पर भी किसी प्रकार अपनी करामात दिखाता है या आपने पढ़ लिया अब यह दूसरे रूपों में भी कैसे हमारे लिए उपयोगी होता है इसकी भी बानगी देखिए –

 

आमचूर

कच्चे आम की छोटी-छोटी अंबियों को काट कर सुखा लिया जाता है आमचूर का उपयोग सभी घरों में मसाले के रूप में किया जाता है इससे अनेक प्रकार के चूर्ण भी बनाए जाते हैं आमचूर की फाक को पीसकर जहरीले जानवर के काटे हुए स्थान पर लगाने से  जहर उतर जाता है।

 

मुरब्बा

आम का मुरब्बा बिना पैसे वाले आम के गूदे से बनाया जाता है, या विशेष रूप से पौष्टिक और भूख को बढ़ाने वाला होता है। आम का मुरब्बा महा रसायन के रूप में काम करता है। इससे दिल और दिमाग को शक्ति मिलती है।

कच्चे आम को चटनी के रूप में भी प्रयोग में लाया जाता है या चटनी बहुत स्वादिष्ट और भूख बढ़ाने वाली होती है आम के मौसम में प्राया सभी घरों में कच्चे आम की चटनी को भोजन करते समय प्रयोग में लाते हैं। इससे भोजन का स्वाद बढ़ जाता है।

आम और दूध के प्रयोग से पेट साफ होने के कारण अनिद्रा रोग के लाभ होता है। 

 

जैसा कि पहले बताया गया है, कि आमचूर को घिसकर लगाने से विषैले जानवर के काटने पर प्रभाव कम होता है। उसी प्रकार यदि आम को पेड़ से तोड़ते समय उससे जो सफेद द्रव सा  रस निकलता है। उसे भी बिच्छू के काटने के स्थान पर लगाने से  विष  का प्रभाव दूर होता है।
आम जहां इतना गुणकारी है वहीं इसके संबंध में यह जानना भी आवश्यक है, कि आपको सदैव धोकर उस का प्रारंभिक रस निकालकर प्रयोग करना चाहिए। अधिक कच्चा आम खाने से पेट को हानि होती है। तथा गले में जलन उत्पन्न हो जाती हैं। आम के प्रयोग के बाद पानी पीना सर्वथा वर्जित है। आम के संबंध में एक कहावत प्रचलित है। कि (आम के आम गुठलियों के दाम) इससे सिद्ध है। कि आम का प्रत्येक भाग मनुष्य के लिए अत्यंत उपयोगी है, परंतु आम का उपयोग बहुत सोच-समझकर किया जाना चाहिए। आम जहां शरीर के लिए अत्यंत उपयोगी है, वही इसे ठीक ढंग से उपयोग ना लाने से रक्त विकार हो जाता है। और शरीर में फोड़े फुंसियां निकल आते हैं। इसलिए आवश्यक है, कि आम का उपयोग करते समय सब बातों का ध्यान रखा जाए ,और उसका उचित मात्रा में ही प्रयोग किया जाए।

आम का अचार

प्रायः सभी भारतीय आम का अचार खाना पसंद करते हैं आम का अचार कई प्रकार से बनता है। प्रायः सभी सद्-गृहस्थ महिलाएं आम का अचार बनाना जानती हैं।

आम का अचार बनाते समय यह बात ध्यान में रखनी चाहिए ,कि औरत के मासिक धर्म का समय ना हो, मासिक धर्म के दिनों में डाला गया, अचार खराब हो जाता है।
वैसे तो आम का अचार बनाने में कुछ समय लगता है। परंतु आम की फाड़ियों को काटकर हल्का सा उबाल लेते हैं। इससे प्रतिदिन ताजा अचार भी बनाया जा सकता है।

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