हिंदी व्याकरण - अर्थ की दृष्टि से वाक्य-भेद और परिवर्तन

हिंदी व्याकरण वाक्य-भेद – अर्थ की दृष्टि से वाक्य-भेद और परिवर्तन

 

वाक्य का स्वरूप 

 

जब भी हमें अपने मन की बात दूसरों तक पहुँचानी होती है या किसी से बातचीत करनी होती है तो हम वाक्यों का सहारा लेकर ही बोलते हैं। यद्यपि वाक्य विभिन्न शब्दों (पदों) के योग से बनता है और हर शब्द का अपना अलग अर्थ भी होता है, पर वाक्य में आए सभी घटक परस्पर मिलकर एक पूरा विचार या संदेश प्रकट करते हैं। वाक्य छोटा हो या बड़ा किसी-न-किसी विचार या भाव को पूर्णतः व्यक्त करने की क्षमता रखता है। अत:

भाषा की वह लघुत्तम इकाई जिसके माध्यम से वक्ता अपने भावों एवं विचारों को संप्रेषित करता है, वाक्य कहलाता है।

 

‘वाक्य’ में निम्नलिखित बातें होती हैं :

 

1. वाक्य की रचना पदों एवं पदबंधों के योग से होती है।

2. वाक्य अपने में पूर्ण तथा स्वतंत्र होता है।

3. वाक्य किसी-न-किसी भाव या विचार को पूर्णतः प्रकट कर पाने में सक्षम होता है।

 

उदाहरण के लिए यदि कोई व्यक्ति कहता है सफ़ेद जूते तो यह वाक्य नहीं कहा जा सकता, क्योंकि यहाँ किसी ऐसे विचार या संदेश का ज्ञान नहीं होता जिसे वक्ता बताना चाहता हो; जबकि मुझे सफ़ेद जूते खरीदने हैं एक पूर्ण वाक्य है, क्योंकि यहाँ ‘सफ़ेद जूतों’ के विषय में बोलने वाले का भाव स्पष्टत: प्रकट हो रहा है।

 

1. शीला अध्यापिका है।
२. होस्टल में रहने वाली सभी लड़कियाँ फ़िल्म देखने जा रही हैं।
3. मज़दूरों ने पेड़ काट दिए हैं।
4. हम लोगों ने माता जी को सब रुपये दे दिए थे।
5. बच्चे मैदान में खेल रहे हैं।

 

ऊपर के इन उदाहरणों को देखकर वाक्य के बारे में कुछ और बातों का भी ज्ञान होता है। वाक्य में कोई भी शब्द किसी भी रूप में न आकर व्याकरणिक नियमों में बँधकर आता है। साथ ही हर शब्द का अपना एक क्रम होता है। कोई शब्द कर्ता के स्थान पर आता है तो कोई कर्म के; कोई क्रिया के तो कोई पूरक के। फिर इन शब्दों के बीच परस्पर अन्विति होती है। वे लिंग, वचन, पुरुष आदि व्याकरणिक कोटियों के अनुसार अपना स्वरूप निर्धारित करते हैं। इस प्रकार वाक्य की निम्नलिखित विशेषताएँ सामने आती हैं :

 

  • वाक्य, भाषा की ऐसी इकाई है जो किसी भाव या विचार को व्यक्त करता है।
  • वाक्य की रचना पदबंधों या शब्दों के योग से होती है।
  • किसी वाक्य में आने वाले शब्दों के बीच एक निश्चित क्रम होता है।
  • वाक्य की रचना उद्देश्य और विधेय के योग से होती है।

वाक्य के भेद


हमें पता होना चाहिए की वाक्य के भेद दो आधारों पर किए जाते हैं-रचना के आधार पर तथा अर्थ के आधार पर। प्रस्तुत अध्याय में कक्षा IX के पद्यक्रम के अनुसार केवल अर्थ के आधार पर होने वाले वाक्यों के भेदों की चर्चा की जा रही है।

 

अर्थ के आधार पर वाक्यों के भेद ।

 

अर्थ के आधार पर वाक्यों के (वाक्य-भेद) निम्नलिखिित भेद हो सकते हैं :

1 . नकारात्मक या निषेधवाची वाक्य
2 . कथनात्मक या विधानवाचक वाक्य
3. आज्ञार्थक या विधिवाचक वाक्य
4.प्रश्नवाचक वाक्य
5. इच्छावाचक वाक्य
6. संदेहवाचक वाक्य
7. विस्मयादिबोधक या मनोवेगात्मक वाक्य
৪. संकेतवाचक वाक्य।

 

1. कथनात्मक या विधानवाचक वाक्य

 

सामान्य कथन या किसी वस्तु या व्यक्ति की स्थिति/अवस्था का बोध करानेवाले वाक्य ‘कथनात्मक वाक्य’ या ‘सकारात्मक वाक्य’ कहे जाते हैं; जैसे :

 

(क) लड़कियाँ नृत्य कर रही हैं।

(ख) उसकी पत्नी बहुत बीमार थी। 

(ग) शीला अध्यापिका है।

 

2.नकारात्मक या निषेधंवाची वाक्य

 

इनको ‘निषेधात्मक वाक्य’ भी कहा जाता है। इन वाक्यों में कथन का निषेध किया जाता है। सामान्यत: हिंदी में सकारात्मक वाक्यों में ‘नहीं’, ‘न’, ‘मत’ लगाकर नकारात्मक वाक्य बनाए जाते हैं; जैसे :

 

(क) वे बाज़ार गए हैं। = वे बाज़ार नहीं गए।
(ख) आप इधर बैठें। = आप इधर न बैठे।
(ग) घूमने चले जाओ = घूमने मत जाओ।

इसके अलावा हिंदी में नकारात्मक वाक्य और भी कई तरीकों से बनाए जाते हैं; जैसे :

(क) मैं तो अब यह काम करने से रहा। = (नहीं करूँगा)

(ख) अब तुम मुझे क्यों पूछोगे। = (नहीं पूछोगे)

(घ) अब क्या करेगा वह तुम्हारा काम। = (नहीं करेगा)

(ग) अब वह कहाँ मिलेगी। = (नहीं मिलेगी)

(ङ) मैं थोड़े ही डरता हूँ उनसे। = (नहीं डरता)

 

3. आज्ञार्थक या विधिवाचक वाक्य (वाक्य-भेद)

 

जिन वाक्यों में आज्ञा, निर्देश, प्रार्थना या विनय आदि का भाव प्रकट होता है, वे आज्ञार्थक वाक्य कहे जाते हैं; जैसे:

 

(क) निकल जाओ कमरे से बाहर।

(घ) मेहरबानी करके आप बाहर बैठिए।

(ख) सारा सामान खरीद लाना।

(ग) शाम तक ज़रूर आ जाना।

(ङ) कृपया पत्रोत्तर शीघ्र दें।

 

4. प्रश्नवाचक वाक्य

 

जिस तरह अधिकांश सकारात्मक वाक्यों के निषेधात्मक वाक्य (वाक्य-भेद) बन जाते हैं, उसी तरह उनके प्रश्नवाचक रूप भी बन सकते हैं। प्रश्नवाचक रूप तो सकारात्मक तथा नकारात्मक दोनों ही प्रकार के वाक्यों से बनाए जा सकते हैं। प्रश्नवाचक वाक्यों में वक्ता कोई-न-कोई प्रश्न पूछता है। ये दो प्रकार के होते हैं :

 

(i ) ऐसे प्रश्नवाचक जिनका उत्तर केवल हॉ/ना में प्राप्त होता है। इनमें ‘क्या’ (प्रश्नवाचक शब्द) वाक्य के आरंभ में आता है; जैसे :

(क) क्या वह आगरा जा रही है? 

(ख) क्या उसने झूठ बोला था?

(ग) क्या आप मुझसे नहीं मिलेंगे?

 

(ii) अन्य प्रश्नवाचक वाक्यों में प्रश्नवाचक शब्द वाक्य के बीच में आता है; जैसे :

 

(क) आप लोग यहाँ से कब जा रहे हैं?

(ख) वे लोग कहाँ रहते हैं?

(ग) आपको किससे मिलना है?

सभी प्रश्नवाचक वाक्यों के अंत में प्रश्नवाचक चिह्न (?) अनिवार्य रूप से लगाया जाता है।

 

5. इच्छावाचक वाक्य

 

इन वाक्यों में वक्ता अपने लिए या दूसरों के लिए किसी-न-किसी इच्छा के भाव को प्रकट करता है; जैसे :

 

(क) आज तो कहीं से पैसे मिल जाएँ।
(ख) आपकी यात्रा शुभ हो।

 

6. संदेहवाचक वाक्य

 

इन वाक्यों में वक्ता प्राय: संदेह की भावना को प्रकट करता है; जैसे :

 

(क) शायद आज बारिश हो!

(ख) हो सकता है आज धूप न निकले !

(ग) अब तक बाघ नदी पार कर चुका होगा।

इन वाक्यों को संभ.वनार्थक भी कह सकते हैं, क्योंकि कार्य होने के प्रति वक्ता संभावना भी व्यक्त करता है।

 

7. विस्मयादिबोधक या मनोवेगात्मक वाक्य

 

इन वाक्यों में विस्मय, आश्चर्य, घृणा, प्रेम, हर्ष, शोक आदि के भाव अचानक वक्ता के मुँह से निकल पड़ते हैं; जैसे :

 

(क) ओह ! कितना सुंदर दृश्य है। 

(ख) हाय! मैं मर गया।

(ग) धत्! सब गड़बड़ कर दिया।

৪. संकेतवाचक वाक्य

 

इन वाक्यों में किसी-न-किसी शर्त की पुर्ति का विधान किया जाता है इसीलिए इनको ‘शर्तवाची वाक्य’ भी कहते हैं; जैसे :

 

(क) यदि तुम भी मैरे साथ रहोगी तो मुझे अच्छा लगेगा।

(ख) अगर वे आ जाते तो मेरा काम बन जाता।

(ग) अगर उसने झूठ न बोला होता तो उसकी नौकरी न जाती।

(घ) वर्षा होती तो अनाज पैदा होता।

 

रूपांतरण/रचनांतरण

 

अर्थ की दृष्टि से वाक्यों के आठों वाक्य-भेद के बीच परस्पर रूपांतरण ( रचनांतरण) किया जा सकता है; जैसे :

 

बच्चा दूध पीता है। = बच्चा दूध नहीं पीता। (निधात्मक)
क्या बच्चा दूध पीता है? = (प्रश्नवाचक)

 

वैसे तो किसी भी वाक्य को किसी भी प्रकार के वाक्य में रूपांतरित किया जा सकता है पर सामान्यत: विधानवाचक (कथनात्मक) वाक्यों को आधार वाक्य माना जाता है और उन्हीं का अन्य प्रकार के वाक्यों में रूपांतरण किया जाता है। इस प्रकार एक विधानवाचक वाक्य को लगभग सभी प्रकार के वाक्यों में रूपांतरित किया जा सकता है; जैसे :

 

लड़की स्कूल जाती है।


1. लड़की स्कूल नहीं जाती। (निषेधवाचक) 

2. क्या लड़की स्कूल जाती है? (प्रश्नवाचक)

3, लड़की, स्कूल जाओ। (आज्ञावाचक)

4. अरे! लड़की स्कूल जाती है। (विस्मयवाचक)

5. (मैं चाहता हूँ कि) लड़की स्कूल जाए। (इच्छावाचक)

6. लड़की स्कूल जाती होगी। (संदेहवाचक)

7. लड़की स्कूल जाती तो । (संकेतवाचक)

 

इसी प्रकार विभिन्न प्रकार के वाक्यों को विधानवाचक वाक्यों में बदला जा सकता है। इस प्रकार के रूपांतरण में निम्नलिखित (वाक्य-भेद) बातें ध्यान रखिए :

1. प्राय: आधारभूत वाक्य विधानवाचक (कथनात्मक) वाक्य होता है।

2. प्रश्नवाचक वाक्यों में रूपांतरण करते समय प्रश्न बनाने वाले शब्द- क्या, कब, कहाँ, कैसे, क्यों, किधर, किसलिए  आदि का यथास्थान प्रयोग किया जाता है तथा वाक्य के अंत में प्रश्नवाचक चिह्न लगाया जाता है; जैसे: वे पत्र लिख रहे हैं। क्या वे पत्र लिख रहे हैं? वे किसे पत्र लिख रहे हैं? वे पत्र क्यों लिख रहे हैं? आदि

3. निषेधवाचक वाक्यों में अंतरण करते समय प्रायः न. नहीं और मत में से किसी एक निषेधवाची अव्यय का प्रयोग किया जाता है। नहीं का प्रयोग तो हिंदी में ‘सामान्य’ रूप से सभी स्थिति में हो सकता है परंतु मत का प्रयोग प्राय: आज्ञावाचक वाक्यों में तथा न का प्रयोग ‘अगर’, ‘यदि’ से आरंभ होने वाले वाक्यों में या इच्छावाचक वाक्यों में किया जाता है; जैसे : बच्चा दुध पीता है। = (क) बच्चा दूध नहीं पीता। (ख) बच्चे, दूध मत पियो। (ग) यदि बच्चा दूध पिए ।

4. इच्छावाचक तथा संकेतवाचक वाक्यों में परिवर्तन करते समय दोनों प्रकार के वाक्यों में अंतर करने के लिए इच्छावाचक वाक्यों के आरंभ में कोष्ठक में इस प्रकार के वाक्य पहले लिख लें-मेरी इच्छा है कि, मैं चाहता हूँ कि, वे चाहती हैं कि आदि; जैसे :

 

बच्चा लिख रहा है। = (मैं चाहता हूँ कि) बच्चा लिखे। 

इसी प्रकार संकेतवाचक वाक्यों के आरंभ में यदि, अगर जैसे शब्दों का प्रयोग कर सकते हैं; जैसे :

बच्चा लिख रहा है। = (यदि) बच्चा लिखता तो,  (अगर) बच्चा लिखे तो

5. इसी प्रकार संदेहवाचक वाक्यों की पहचान के लिए ‘शायद’ का प्रयोग कोष्ठक में करके देख सकते हैं: जैसे :

बच्चा लिख रहा है। = (शायद) बच्चा लिख रहा होगा।

6, विस्मयवाचक वाक्यों में अंतरण करते समय पहले विस्मयादिबोधक शब्दों का प्रयोग करना चाहिए; जैसे :

बारिश हो रही है।

= अरे! बारिश हो रही है।

= ओह! बारिश हो रही है।

= क्या! बारिश हो रही है। आदि।

 

कुछ और उदाहरण देखिए :

 

1. मेरी चिट्ठी आई है। = प्रश्नवाचक =  क्या मेरी चिट्ठी आई है? 

2. बच्चे लाइन में जाएँगे = प्रश्नवाचक = क्या बच्चे लाइन में जाएँगे?

3. लड़के घर में आराम कर रहे हैं। = आज्ञावाचक = लड़को, घर में आराम करो।

4. कृपया पत्र लिख दीजिए। = आज्ञावाचक = पत्र लिखो।

5. बच्चा स्कूल नहीं जाएगा। = संकेतवाचक = बच्चा स्कूल जाता तो ।

6. अच्छी वर्षा से फसल अच्छी होती है। = संकेतवाचक = वर्षा अच्छी होती है, तो फसल भी अच्छी होती है।

7, रोगी उठ-बैठ सकता है। = निषेधवाचक = रोगी उठ-बैठ नहीं सकता।

8. यह काम कर दीजिए। = निषेधवाचक =  यह काम मत कीजिए।

9. वाह! क्या सुंदर दृश्य है। = विधानवाचक =  दृश्य बहुत सुंदर है।

10. क्या आज स्कूल की छुट्टी है? = विधानवाचक = आज स्कूल में छुट्टी है।


वाक्य-भेद में ध्यान देने योग्य

 

1. सार्थक शब्दों का व्यवस्थित समूह जो आशय प्रकट कर सकने में समर्थ हो, वाक्य कहलाता है।

2. वाक्य रचना के दो अनिवार्य तत्व-पदक्रम और अन्विति हैं।

3. उद्देश्य (कर्ता तथा उसका विस्तार) एवं विधेय (उद्देश्य के विषय में जो भी कहा जाए, मुख्यतः क्रिया) वाक्य के प्रमुख अंग हैं।

4. अर्थ के आधार पर वाक्य-भेद आठ भेद-विधानवाचक, निषेधवाचक, आज्ञार्थक, प्रश्नवाचक, इच्छावाचक, संदेहवाचक, विस्मयादिबोधक तथा संकेतवाचक।

5. आठों भेदों में परस्पर रूपांतरण किया जा सकता है।

 

Read More

 

  1. अनुप्रास अलंकार की परिभाषा | अनुप्रास अलंकार क्या है
  2. प्रत्यय की परिभाषा और उदहारण
  3. यमक अलंकार की परिभाषा और उदहारण
  4. उपसर्ग की परिभाषा और इसके प्रकार बताये
  5. द्वंद समास की परिभाषा और उदहारण
  6. List of Anekarthi Shabd in Hindi – अनेकार्थी शब्द की लिस्ट | Hindi Vyakaran
  7. बैंक खाते के मोबाइल नंबर बदलवाने के लिए पत्र || Bank Application
  8. A Letter to the SHO about Your Missing Brother
  9. Write a letter to The Police Commissioner Complaint Against the Negligence of Police
  10. A Letter to the SHO about Your Missing Brother
  11. Possessive Adjectives in Hindi | What is Possessive Adjectives | Possessive  Adjectives Examples
  12. Write a Letter to The Postmaster Complaining Against the Postman of Your Area
  13. पढाई के लिए बैंक से ऋण प्राप्ति के लिए आवेदन पत्र || letter for study loan

Post a Comment

0 Comments