क्षमादान और सजा में परिवर्तन क्या है || क्षमादान की शक्तिया किसके पास होती है

क्षमादान और सजा में परिवर्तन क्या है 


क्षमादान और सजा में परिवर्तन क्या है



भारतीय संव‍िधान में राष्ट्रपति और राज्यपाल को क्षमादान का अधिकार दिया गया है। संविधान के अनुच्छेद 72 में राष्ट्रपति को किसी अपराध के लिए सिद्धदोष ठहरा दिए गए किसी व्यक्ति के दंड को क्षमा करने, अस्थायी निलंबन करने, कम करने, परिवर्तित करने की निम्नलिखित मामलों में शक्ति प्राप्त है-

(क) सेना न्यायालय द्वारा दिए दंड को,
(ख) संघ की कार्यपालिका शक्ति के विषय से संबंधित विधि के विरुद्ध अपराध में,
(ग) उन सभी मामलों में जिनमें मृत्युदंड दिया गया हो

राष्ट्रपति एवं राज्यपाल की क्षमादान शक्तियां : न्यायिक पुनर्विलोकन के अधीन : सर्वोच्च न्यायालय ने सन् 2006 में इपुरु वि. आंध्रपदेश राज्य के मामले में यह मानकर कि राष्ट्रपति और राज्यपाल की क्षमादान की शक्ति का पुनर्विलोकन किया जा सकता है, का ऐतिहासिक निर्णय देकर सराहनीय कार्य किया है।

इसमें ‍सर्वोच्च न्यायालय ने माना कि क्षमादान की शक्ति का प्रयोग राजनीतिक, धार्मिक और जाति के आधार पर नहीं करना चाहिए।

यहां सबसे बड़ा प्रश्न यह है कि क्या क्षमादान की शक्ति का प्रयोग राजनीतिक, धार्मिक और जाति के आधार पर ही नहीं होता है? क्या न्यायालय के उपर्युक्त दिशा-निर्देश का कार्यपालिका पालन करेगी? नहीं करेगी और नहीं करती है, क्योंकि हमारे यहां संसदीय प्रजातंत्र है और इस संसदीय प्रजातंत्र में बहुमत दल की सरकार बनती है।

आंध्रप्रदेश के इपुरू के मामले में क्षमादान के अधिकार का राजनीतिक उपयोग किया गया था। तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने 35 मृत्युदंड के केस को उम्रकैद में बदल ‍दिया था। यह भी राजन‍ीतिक आधार पर किया गया भेदभाव था, जो संविधान की भावना के विरुद्ध है।

 
* सेशन न्यायालय अथवा दंड विधि संशोधन अधिनियम 1952 का 46 के अधीन स्थापित विशेष न्यायालय द्वारा विचारणीय अपराध के सह अपराधी को सशक्त क्षमा दान दिया जा सकता है। 

* अपराध की सजा 7 वर्ष का कारावास या उससे अधिक कठोर दंडनीय अपराध हो। 

* क्षमा दान करते हुए न्यायाधीश ऐसा करने के कारणों को लेखा बंद करेंगे एवं यहां भी अभी लिखित करेंगे की क्षमादान स्वीकार किया गया अथवा नहीं। 

* क्षमादान का अभियुक्त आवेदन करके न्याय का अभिलेख की कॉपी निशुल्क प्राप्त कर सकता है। 


* सह अपराधी( जहां क्षमादान स्वीकार किया गया)  कि बतौर गवाह विचारण में परीक्षा ली जाएगी। 

* ऐसा व्यक्ति यदि जमानत पाता हो तो विचारण समाप्त होने तक अभिरक्षा में रखा जाएगा। 

* क्षमादान सह अपराधी की शर्तों की पालना के आधार पर सेशन कोर्ट मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट महानगर मजिस्ट्रेट विशेष न्यायाधीश एवं प्रथम वर्ग मजिस्ट्रेट द्वारा गंभीर श्रेणी के अपराधों में क्षमा दान दिया जा सकता है। 

* सह अभियुक्त क्षमादान की शर्तों का पालन करता है तो उसे रिहाई प्राप्त हो। 

* भारतीय संवैधानिक व्यवस्था के अनुसार अपराध की सजा कम करवाने या सजा माफ करने के लिए महामहिम राष्ट्रपति के पास अपील कर सकता है राष्ट्रपति द्वारा फिर अपील पर परिस्थिति वह विवेका अनुसार निर्णय दिया जाएगा। 

* धारा 307 के अनुसार यहां से अपराधी को इस शर्त पर क्षमा दान दिया जा सकता है जब वह अपराध के विषय में विचारण के दौरान गवाही प्रदान करें। 

* मिथ्या गवाही (साक्ष्य) देने के अपराध के लिए (इसी प्रकार के सह अभियुक्त) का विचारण उच्च न्यायालय की स्वीकृत के पश्चात ही किया जाएगा। 

* यह साबित करना अभियोजन का कार्य है कि क्षमा दान प्राप्त व्यक्ति के क्षमादान की शर्तों का पालन किया है। या नहीं विचार और योग्य मामला होने पर विचारण होगा यदि न्यायाधीश को लगता है, कि क्षमादान की शर्तों का पालन किया गया है, तो समाधान प्राप्त व्यक्ति को दोषमुक्त कर दिया जाएगा। 

* राज्यपाल द्वारा मृत्युदंड की सजा को माफ नहीं किया जा सकता वह सजा कम कर सकता है सैनिक अदालतों में दी गयी सजा को राज्यपाल माफ नहीं कर सकता। 


शमन उस व्यक्ति द्वारा किया जा सकता है जिसके विरुद्ध अपराध हुआ है इन मामलों में न्यायालय की इजाजत प्राप्त करके भी अदालती प्रकरण को अदालत के बाहर निपटाया जा सकता है लेकिन सभी अपराधों में ऐसा नहीं किया जा सकता।

Post a Comment

0 Comments