साबुन का झाग सफ़ेद क्यों होता है – Why does the Soap Leave White Foam
साबुन का उपयोग तो हर कोई हर रोज करता है। बात लिक्विड सोप की हो या फिर ड्राई सोप की, बाजार में सभी के लिए बहुत सारे विकल्प उपलब्ध हैं। साबुन कई खुशबू और कई रंगों में आते हैं। बाजार में बिकने वाले साबुन पर अलग अलग कम्पनिया अलग अलग दावे करती है अपने सोप को कई कलर में निकलती है पर अलग अलग दामों पर और अलग अलग कलर और खूबी के साथ बिकने वाले साबुन पर सभी कम्पनिया उसके झाग को लेकर एकमत है। अपना सवाल सिर्फ इतना सा है कि साबुन लाल हो या हरा, महंगा हो या सस्ता हो उसका झाग सफेद क्यों होता है। साबुन का झाग साबुन के रंग जैसा क्यों नहीं होता। आइए समझने की कोशिश करते हैं:-
Soap/साबुन कैसे बनता है ?
साबुन विशेषकर टॉयलेट सोप बनाने मे सबसे पहले जो कच्चा माल प्रयोग होता है वह है नूडल हैं और नूडल को सफेद ही बनाया जाता है ताकि उसमे कोई भी रंग मिला के उस रंग का साबुन बनाया जा सके । असल मे नूडल ही वह साबुन होता है उसे बाद में मिक्सर में मिक्स करके जरूरत के हिसाब से रंग , पानी, परफ्यूम आदि वस्तुयें मिलाई जाती हैं उसके बाद एक मशीन में उसके डाई के हिसाब से साबुन बनाया जाता है।
विशेष प्रकार के साबुन में कलर मिलाये जाते है जो कि पानी के संपर्क में आने पर छूटते नही है न ही पानी में घुलनशील होते हैं (सिंदूर भी उनमें से एक है ) । इसीलिए तो साबुन का झाग उसकी (नूडल) की प्रकर्ति के अनुसार सफेद ही होता है। और रंग तो पानी मे मिक्स होते नही है ।
साबुन का झाग सफ़ेद क्यों होता है –
विज्ञान की पढ़ाई के दौरान यह नियम सिखाया और समझाया जाता है कि किसी वस्तु का अपना कोई रंग नहीं होता। उस पर जब प्रकाश की किरणें पड़ती हैं तो वह बाकी रंगों को सोखकर जिस रंग को परावर्तित करती है, वही उसका रंग होता है. यही नियम कहता है कि जब कोई वस्तु सभी रंगों को सोख लेती है तो वह काली और सभी रंगों को परावर्तित करती है तो सफेद दिखती है।
साबुन का झाग कैसे बनता है – How to make Soap
Soap /साबुन का झाग सफेद दिखाई देने के पीछे भी यही कारण है. झाग कोई ठोस पदार्थ नहीं है. इसकी सबसे छोटी इकाई पानी, हवा और साबुन से मिलकर बनी एक पतली फिल्म होती है. यह पतली फिल्म जब गोल आकार ले लेती है, हम इसे बुलबुला कहते हैं. दरअसल साबुन का झाग बहुत सारे छोटे बुलबुलों का समूह होता है।
साबुन के एक बुलबुले में घुसते ही प्रकाश किरणें अलग-अलग दिशा में परावर्तित होने लगती हैं. यानी उसके अंदर प्रकाश की किरणें किसी एक दिशा में जाने के बजाय अलग-अलग दिशा में बिखर जाती हैं। यही कारण है कि साबुन का एक बड़ा बुलबुला हमें पारदर्शी सतरंगी फिल्म जैसा दिखाई देता है। अगर ऐसे किसी बुलबुले में से प्रकाश किरणें एक ही दिशा में लौटतीं तो यह कागज की तरह सफेद दिखाई देता.
झाग बनाने वाले छोटे-छोटे बुलबुले भी इसी तरह की सतरंगी पारदर्शी फिल्मों से बने होते हैं. लेकिन ये इतने बारीक होते हैं कि इनमें हम सातों रंगों को नहीं देख पाते, वहीं दूसरी ओर इनमें प्रकाश इतनी तेजी से घूमता है कि ये एक ही समय पर तकरीबन सभी रंगों को परावर्तित करते रहते हैं। इसलिए यहां पर रंगों से जुड़ा विज्ञान का वही नियम लागू होता है जिसके मुताबिक कोई वस्तु अगर सभी रंगों को परावर्तित कर दे तो उसका रंग सफेद दिखाई देगा. इस तरह साबुन का झाग हमें सफेद दिखाई देता है।
सरल शब्दों में
सरल शब्दों में बात सिर्फ इतनी सी है कि जब हम साबुन का उपयोग करते हैं मारे हाथ में मौजूद उत्पाद में से केवल नूडल ही झाग बनाता है। उसके अलावा जो कुछ भी उसके अंदर है को पानी के साथ बह जाता है। साबुन का रंग कुछ इस तरह का होता है कि वह पानी के साथ घुलकर हाथ पर नजर नहीं आता, बल्कि पानी के साथ बह जाता है और अपने हाथ में सिर्फ सफ़ेद झाग रह जाता है।
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