Tatpurush Samas Ki Paribhasha or Udaharan || तत्पुरुष समास के उदहारण
तत्पुरुष समास की परिभाषा – Tatpurush Samas Ki Paribhasha
जहां पूर्व पद विशेषण होने के कारण गौण तथा उत्तर पद विशेष्य होने के कारण प्रधान होता है । वहां तत्पुरुष समास (Tatpurush Samas) होता है । इस प्रकार तत्पुरुष समास में सदैव पूर्ण पूर्व पद गौण तथा उत्तर पद प्रधान होता है।
सामान्यता तत्पुरुष समास (Tatpurush Samas) दो प्रकार से बनते हैं ।
संज्ञा और संज्ञा के समास से जैसे-
युद्ध का क्षेत्र – युद्ध क्षेत्र
स्नान के लिए ग्रह – स्नानगृह
घोड़े पर सवार – घुड़सवार
दान में वीर – दानवीर
देश का वासी – देशवासी
राजा का कुमार – राजकुमार
संज्ञा और क्रिया मुलक शब्दों के समास से जैसे
शरण में आगत – शरणागत
हस्त द्वारा लिखित – हस्तलिखित
पथ से भ्रष्ट – पथभ्रष्ट
सूखे द्वारा पीड़ित – सूखा पीड़ित
आप पर बीती – आप बीती
ग्राम को गत – ग्रामगत
विशेष
समस्त पद बनते समय विभक्ति चिन्हों का लोप हो जाता है तथा इसके विपरीत समास विग्रह के अंतर्गत विभक्ति चिन्ह “से” “पर” “को” आदि का प्रयोग किया जाता है ।
संस्कृत से हिंदी में कुछ ऐसे समास भी आ गए हैं जिसमें कुछ विशिष्ट नियमों के कारण संस्कृत की विभक्तियो का लोप नहीं होता जैसे –
सर से उत्पन्न – सरसिज
युद्ध में स्थिर – युधिष्ठिर
मृत्यु को जीतने वाला – मृत्युंजय
विश्व को भरने वाला – विशंभर
अनेक बार दोनों पदों के मध्य आने वाला पूरा शब्द समूह परसर्ग की तरह लुप्त हो जाता है जैसे –
दहीबड़ा- दही में डूबा हुआ बड़ा
बैलगाड़ी – बैलो से खींची जाने वाली गाड़ी
वनमानुष – वन में रहने वाला मानव
तत्पुरुष समास (Tatpurush Samas) के अन्य उदाहरण
समस्त पद | विग्रह | समस्त पद | विग्रह |
पूंजीपति | पूँजी का पति | प्राण पति | प्राणों का पति |
नगर वास | नगर में वास | परलोक गमन | परलोक को गमन |
दिनचर्या | दिन की चरिया | देशवासी | देश का वासी |
दानवीर | दान में वीर | घुड़दौड़ | घोड़ों की दौड़ |
गिरह कट | गिरह को काटने वाला | ज्ञान युक्त | ज्ञान से युक्त |
आप बीती | आप पर बीती | क्रीडा क्षेत्र | क्रीडा के लिए क्षेत्र |
आमचूर | आम का चूरा | उद्योगपति | उद्योग का पति |
अनुभवजन्य | अनुभव से जन्य | आशातीत | आशा से अतीत |
धरम वीर | धरम में वीर | रणवीर | रण में वीर |
गंगाजल | गंगा का जल | जलधारा | जल की धारा |
प्रेम सागर | प्रेम का सागर | अकाल पीड़ित | अकाल से पीड़ित |
देशवासी | देश का वासी | पाठशाला | पाठ के लिए शाला |
जेब घड़ी | जेब के लिए घड़ी | दिनचर्या | दिन की चर्या |
गुरु दत्त | गुरु द्वारा दत्त | घुड़दौड़ | घोड़ों की दौड़ |
ज्ञान युक्त | ज्ञान से युक्त | गृह स्वामी | ग्रह का स्वामी |
पुस्तकालय | पुस्तका का आलय | पराधीन | पर के अधीन |
राजपुरुष | राजा का पुरुष | राजपूत्र | राजा का पुत्र |
हथकड़ी | हाथ के लिए कड़ी | लखपति | लाखों रुपयों का पति |
यह सब तत्पुरुष समास के उदाहरण हैं|
तत्पुरुष समास के उपभेद-
तत्पुरुष समास के दो उपभेद हैं
- कर्मधारय समास और
- द्विगु समास
क्योंकि इन दोनों में ही उत्तर प्रद प्रधान होता है अतः इन्हें कर्मधारय समास के अंतर्गत ही लिया जाता है
कर्मधारय समास की परिभाषा – कर्मधारय समास वहां होता है जहां पूर्व पद विशेषण और उत्तर पद विशेष से होता है पूर्व पद तथा उत्तर पद में उपमेय – उपमान संबंध भी हो सकता है।
विशेषण + विशेष्य
कर्मधारय समास के उदाहरण – Karmdharay Samas ki Paribhasha
- नीलकंठ – नीला है जो कंठ
- नीलकमल – नीला है जो कमल
- पीताम्बर – पीट है जो एम्बर
- महादेव – महान है जो देव
- अंधकूप – अंधा है जो कूप
- अंधविश्वास – अंधा है जो विश्वास
- कृष्ण सर्प काला है जो सर्प
- नीलकंठ नीला है जो कठ
- परमानंद परम है जो आनंद
- महाराजा महान है जो राजा
- महादेव महान है जो देव
- महाजन महान है जो जन
- लाल टोपी लाल है जो टोपी
- महात्मा महान है तू आत्मा
- घनश्याम घन के समान
- कमल नयन – कमल के समान
- नरसिंह – नर रूपी
- चंद्र मुख – चंद्र के समान
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द्विगु समास की परिभाषा (Dwigu Samas ki Paribhasha) – द्विगु समास में भी उत्तर पद प्रधान होता है और विशेष्य होता है जबकि पूर्व पद संख्यावाची विशेषण होता है अर्थ किसी दृष्टि से यह समास समूहवाची होता है जैसे –
- पंचवटी – पांच वैट वाला स्थान
- तिराहा – तिराहों का समूह
- चतुर्भुज – चार भुजाओ का समूह
- चारपाई – चार पेरो का समाहार
- त्रिलोक – तीन लोको का समाहार
- दुराहा – दो राहो का समाहार
- पंजाब – पांच आबो का समूह
- चवन्नी – चार आनो का समूह
- सतसई – सात सौ दोहो का समूह
- नवरत्न – नव रत्नो का समाहार
- पंचतंत्र – पांच तंत्रो का समाहार
- त्रिफला – तीन फलो का समूह
- सप्ताह – सात दिनों का समूह
- दोपहर – दो पहरो का समाहार
- नवग्रह – नौ ग्रहो का समाहार
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