यमक अलंकार की परिभाषा और उदहारण

यमक अलंकार की परिभाषा और उदहारण

 

जब एक ही शब्द दो या दो से अधिक बार आए और उसका अर्थ हर बार भिन्न हो तो वहाँ यमक अलंकार होता है।

 

यमक अलंकार के उदहारण

 

  • कहै कवि बेनी, बेनी ब्याल की चुराई लीनी,
    रति-रति सोभा सब रति के सरीर की।

 

-पहली पंक्ति में बेनी शब्द की आवृत्ति दो बार हुई है। पहली बार प्रयुक्त शब्द बेनी कवि का नाम है तथा दूसरी बार प्रयुक्त बेनी का अर्थ है चोटी। इसी प्रकार दूसरी पंक्ति में प्रयुक्त रति शब्द तीन बार प्रयुक्त हुआ है। पहली बार प्रयुक्त रति-रति का अर्थ है रत्ती के समान ज़रा-ज़रा-सी और दूसरे स्थान पर प्रयुक्त ‘रति का अर्थ है-कामदेव की परम सुंदर पत्नी रति। इस प्रकार ‘बेनी और रति शब्दों की आवृत्ति से चमत्कार उत्पन्न किया गया है।

 

  • काली घटा का घमंड घटा, नभ मंडल तारक वृंद खिले।

 

-उपर्युक्त काव्य-पंक्ति में शरद के आगमन पर उसके सौंदर्य का चित्रण किया गया है। वर्षा बीत गई है, शरद ऋतु आ गई है। काली घटा का घमंड घट गया है। घटा शब्द के दो विभिन्न अर्थ हैं-घटा = काले बादल और घटा = कम हो गया । घटा शब्द ने इस पंक्ति में सौंदर्य उत्पन्न कर दिया है। यह यमक का सौंदर्य है।

 

  • भजन कह्यौ ताते भज्यौ, भज्यौ न एको बार।
    दूरि भजन जाते कयौ, सो तू भज्यौ गँवार ॥

-प्रस्तुत दोहे में भजन और भज्यौ शब्दों की आवृत्ति हुई है। भजन शब्द के दो अर्थ हैं भजन = भजन-पूजन और भजन = भाग जाना। इसी प्रकार भज्यौ के भी दो अर्थ हैं भज्यौ = भजन किया और भज्यौ = भाग गया। इस प्रकार भजन और भज्यौ शब्दों की आवृत्ति ने इस दोहे में चमत्कार उत्पन्न कर दिया है। कवि अपने मन को फटकारता हुआ कहता है हे मेरे मन ! जिस परमात्मा का मैंने तुझे भजन करने को कहा, तू उससे भाग खड़ा हुआ और जिन विषय-वासनाओं से भाग जाने के लिए कहा, तू उन्हीं की आराधना करता रहा। इस प्रकार इन भिन्नार्थक शब्दों की आवृत्ति ने इस दोहे में सौंदर्य उत्पन्न कर दिया है।



• कनक कनक ते सौगुनी, मादकता अधिकाय। (कनक = सोना, कनक = धतूरा)
वा खाए बौराए जग, या पाए बौराय॥ (मनका = माला का दाना, मन का = हृदय का 

• माला फेरत जुग भया, फिरा न मनका फेर।
कर का मनका डारि दे, मन का मनका फेर॥

• जे तीन बेर खाती थीं ते तीन बेर खाती हैं। (तीन बेर = तीन बार, तीन बेर = तीन बेर के दाने)

• तू मोहन के उरबसी वै उरबसी समान।

• पच्छी परछीने ऐसे परे पर छीने बीर,
तेरी बरछी ने बर छीने हैं खलन के।

 

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