पितृसत्ता पर शार्ट नोट लिखो | Write a Short note on Patriarchy

पितृसत्ता पर शार्ट नोट लिखो 

 

भारत में समाज पितृसत्तात्मक है सत्ता, नीति निर्माण तथा निर्णय लेने में महिलाओं की हिस्सेदारी कम है। महिलाएँ राजनीति एवं प्रबन्धन में भी पीछे हैं। वैसे उनकी स्थिति अभी भी अत्यन्त पिछड़ी हुई है। लिंगभेद में प्रजनन के संदर्भ में महिलाओं की भूमिका और भी जटिल हो जाती है। पुरुष जब वयस्क होता है तो उसकी भूमिका में बहुत परिवर्तन नहीं होता है। किन्तु महिला की भूमिका में उसके जीवन में परिवर्तन प्रत्येक दशक से होता रहा है।

 

स्त्री और पुरुषों की संख्या का अनुपात स्त्रियों के प्रतिकूल है। 2001 में भारत में प्रति एक हजार पुरुषों के मुकाबले स्त्रियों की संख्या 933 थी। भारत में पुरुषों की संख्या 75 प्रतिशत साक्षर है जबकि सिर्फ 54 प्रतिशत महिलाएँ ही साक्षर हैं। महिलाओं के विरुद्ध हिंसा में शामिल है-बलात्कार, दहेज के लिए उत्पीड़न, छेड़-छाड़, लैंगिक दुर्व्यवहार, अपहरण, लड़कियों तथा महिलाओं का देह व्यापार आदि। भारतीय संविधान में महिलाओं तथा पुरुषों को समान अधिकार दिए जाने का प्रावधान किया गया है परंतु रोजगार तथा राजनीति की दृष्टि से आज की महिलाएँ अत्यन्त पीछे हैं।

 

जहाँ तक राजनीति की बात है भारत के महत्वपूर्ण संवैधानिक पदों पर महिलाएँ नियुक्त हो चुकी है। निम्न जाति की महिलाओं को लिंग-भेद का सामना अधिक करना पड़ता है ।

 

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