वन का देश कांगो लोकतंत्रीय गणराज्य (जायरे)

वन का देश : कांगो लोकतंत्रीय गणराज्य (जायरे) | Forest Country Democratic Republic of the Congo (Zaire)

वन का देश : कांगो लोकतंत्रीय गणराज्य


जायरेः : एक परिचय

  • अफ्रीका के जायरे देश (वर्तमान नाम डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो) पर वर्षों से “बेल्जियम” का शासन रहा है। इसे वर्ष 1960 में स्वतंत्रता मिली।
  • क्षेत्रफल की दृष्टि से यह भारत का तीन-चौथाई भाग के बराबर है।
  • इसकी राजधानी किनशाशा है।

जायरे की भूमि और जलवायु

  • जायरे का अधिकतर भाग जायरे नदी की द्रोणी में पड़ता है। इसी नदी के नाम पर इस देश का नाम जायरे पड़ा। यह नदी संसार की सबसे बड़ी नदियों में से एक है परन्तु इसका कुछ ही भाग नावों के चलने के लिए उपयुक्त है क्योंकि इसके मार्ग में अनेक जलप्रपात पड़ते हैं।
  • जायरे “विषुवतीय प्रदेश में स्थित होने के कारण यहाँ वर्ष भर ऊँचा तापमान रहता है और भारी वर्षा भी होती है जिससे यहाँ पेड़-पौधे शीघ्रता से बढ़ते हैं परिणामस्वरूप यह देश “ऊष्ण कटिबंधीय वर्षा” वाले वनों से ढका है। ये वन सदाबहार हैं क्योंकि इन वनों के सभी वृक्ष अपनी पत्तियाँ एक साथ नहीं गिराते। “
  • इन वनों में वृक्ष बहुत ऊँचे होते हैं क्योंकि वे सूर्य का प्रकाश प्राप्त करने के लिए एक-दूसरे से ऊपर निकलने की होड़ लगाए रहते हैं। इनमें से कई वृक्ष प्राय: 40 मीटर या उससे भी ऊँचे होते हैं। इन वनों में एक छोटे से क्षेत्र में कई तरह के वृक्ष एक साथ पाए जाते हैं। ऊँचे-ऊँचे वृक्षों के नीचे छोटे-छोटे पेड़ उगते हैं और इन छोटे पेड़ों के नीचे तरह-तरह की झाडिँयाँ, लताएँ और चटाई की तरह बिछी हरी घास होती है। इन सब कारणों से वनों से गुजरना बहुत कठिन कार्य होता है केवल नदियों के मार्ग से जाया जा सकता है।
  • ये वन इतने सघन हैं कि सूर्य की किरणें धरातल पर मुश्किल से ही पहुँच पाती हैं। इसलिए इन वनों में अंधेरा छाया रहता है।
  • इन ऊष्ण कटिबंधीय वर्षा वाले वनों के दोनों ओर सवाना की घास वाली भूमियाँ विस्तृत हैं।

जायरे के साधन और उनका उपयोग

  • जायरे अनेक प्राकृतिक साधनों जैसे-वन, वन्य प्राणी, मिट्टी, खनिज और जल शक्ति से सम्पन्न देश है।
  • यहाँ के लोगों का मुख्य व्यवसाय – कृषि एवं खानों से खनिज निकालना है। –
  • वन : देश का बहुत बड़ा भाग “ऊष्ण कटिबंधीय” वर्षा वनों से ढका होने के कारण इन वनों में कठोर लकड़ी के संसार के सबसे बड़े भंडार हैं परन्तु इनका उपयोग अभी सीमित है।
  • वन्य प्राणी : इस देश में वन्य प्राणियों की इतनी विविधता है जिसके कारण इसे “विशाल चिड़ियाघर” कहा जाता है। जायरे के वनों और दलदलों में साँप, अजगर, बंदर, हाथी और दरियाई घोड़े रहते हैं। इनके अतिरिक्त तरह-तरह के पक्षी भी इन वनों में रहते हैं ।
  • मिट्टी और फसलें : जायरे एक निम्न (निचला) भूमि प्रदेश है, यहाँ की कुल भूमि के केवल पाँचवें हिस्से में ही खेती होती है। इसका मुख्य कारण वनों का विस्तार है। चावल, मक्का, कैसावा और ज्वार इस देश की मुख्य खाद्य फसलें हैं। जबकि रबड़, कहवा, कपास और तेलताड़ जैसी नकदी फसलें निर्यात के लिए पैदा की जाती हैं। ऊँचे भू-भागों विशेष रूप से सवाना प्रदेशों में पशु पाले जाते हैं।
    नोट: हाँ खेती का ढंग पुराना है और खाद्यान्न फसलों का प्रयोग किसान स्वयं के उपभोग के लिए ही करते हैं।
  • खनिज तथा उद्योग : जायरे में ताँबा, हीरा, कोबाल्ट, टिन, जस्ता, मैग्नीज और यूरेनियम के विशाल भंडार हैं। ये खनिज मुख्यत: कटंगा के शाबा प्रान्त में मिलते हैं। यह देश संसार के ताँबे और औद्योगिक हीरों के बड़े उत्पादक देशों में से एक है।
  • जल विद्युत : जायरे में नदियों पर अनेक बाँध और जल विद्युत उत्पादन केन्द्र होने के कारण वह अपने पड़ोसी देशों जैसे कांगों और बुरुण्डी को मुख्य रूप से जल विद्युत का कुछ भाग देता है। भविष्य में जायरे में जल विद्युत के विकास की बहुत सम्भावनाएं हैं।
  • जनसंख्या : यहाँ के निवासी मुख्य रूप से अश्वेत हैं जो कई जन-जातियों के हैं। कुल जनसंख्या के लगभग दो-तिहाई लोग ” बंतू भाषा” बोलने वाले अश्वेत हैं। जायरे के अधिकतर लोग गाँवों में रहते हैं परन्तु अब शहरों में रहने वाले लोगों की संख्या तेजी से बढ़ रही है।
  • प्रमुख नगर : जायरे के प्रमुख नगर- किशासा ( राजधानी एवं सबसे बड़ा नगर), (एलिजाबेथविले) लुबुंबाशी और किसनगनी आदि । 
  • बंदरगाह : जायरे नदी पर स्थित “मताड़ी” देश का प्रमुख बंदरगाह है।

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