गला और श्वास रोग कैसे होते है इन्हे ठीक घरेलु उपचार क्या है || Home Remedy for Throat and Breathing Diseases

गला और श्वास रोग कैसे होते है- Remedy for Throat and Breathing Diseases

 

गला और श्वास रोग प्रायः वायु प्रदूषण, ठंडा गर्म मौसम, चिकने पदार्थों का सेवन कब्ज, धूम्रपान, खट्टा मीठा या चरपरा खाने, दूषित और गंदी चीजों के भक्षण करने तथा मौसम के बदलते मिजाज के कारण उत्पन्न होते हैं।  अत्यधिक शराब पीने, चिंता करने, तंबाकू, गुटका आदि खाने तथा प्रदूषित वातावरण में रहने से भी इन रोगों का आक्रमण होता है।
टॉन्सिल्स कफ खांसी दमा सर्दी नजला क्षय रोग फेफड़ों की सूजन श्वास रोग आदि गला और श्वास रोग के  कारणों से होते हैं। यह ऐसे रोग हैं, जो अच्छे भले आदमी की जिंदगी नरक तुल्य बना देते हैं। इन रोगों से बचने के लिए जरूरी है, कि प्रदूषित और बदलते हुए मौसम से बचा जाए। साथ ही उन चीजों से सेवन से  परेहज किया जाए। जो गले और श्वास नालियों की कोमलता पर  सीधे प्रभाव डालते हैं।

 कफ खांसी- Cold and Cough 

 

 कफ खांसी दूर करने के लिए निम्नलिखित उपचार करें- Take the following remedies to relieve cold and cough
  1. नमक मिली अदरक की चटनी अथवा उसके टुकड़ों को मुंह में डालकर चूसते रहने से कफ और खांसी में जल्दी आराम मिलता है।
  2. अदरक के रस को शहद में मिलाकर चाटने से कफ और खांसी में तत्काल आराम मिलता है। इससे दमा भी ठीक हो जाता है।
  3. कफ और खांसी में छोटी पीपली को घिसकर उसे शहद के साथ रोगी को चटाने जल्दी ही आराम मिलेगा।
  4. तुलसी के पत्ते पान के साथ चूसने से खांसी दूर हो जाती है। इसे अदरक के साथ भी ले सकते हैं। बड़ों के लिए 10 पत्ते और बच्चों के लिए पांच पत्ते पर्याप्त होते हैं। तुलसी का प्रयोग हर रोग के लिए किया जा सकता है।  इसे प्रयोग में लाने से पूर्व इसकी बारीक चटनी बना लेनी चाहिए।
  5. अजवाइन के चूर्ण की फंकी लेने से पुरानी खांसी और कफ दूर हो जाती है।  साथ ही स्वास रोग का विनाश होता है।
  6. काली खांसी में 1 से 4 रत्ती तक शोधित हींग  चटाने पर तत्काल आराम मिलता है।
  7. फिटकरी भूनकर बारीक कर लें। एक रत्ती भुनी फिटकरी में थोड़ी-सी चीनी मिलाकर दिन में दो बार खाएं। 5 दिन में काली खांसी ठीक हो जाएगी। बड़ा आदमी दो रत्ती  तक ले सकता है।
  8. आधा शुद्ध किया भिलावा गाय के दूध के साथ घुटाकर पीने से कफ नजले की शिकायत दूर हो जाती है।
  9. मेहंदी के पत्तों के रस में थोड़ा-सा शहद मिलाकर चाटने से खांसी में लाभ होता है।
  10. एक गिलास पानी में दो चम्मच मेथी के दाने डालकर उबालें जब चौथाई पानी रह जाए, तो उसमें चार चम्मच शहद मिलाकर पी लें। कफ और खांसी में तत्काल आराम मिलता है।
  11. सूखी खांसी में काली मिर्च चूसने से तुरंत लाभ पहुंचता है। यदि कफ खॉसी, हो तो काली मिर्च का प्रयोग पानी में उबालकर करें।
  12. तुलसी के पत्ते या सोंठ पीसकर शहद के साथ चाटने से कफ खांसी जड़ से समाप्त हो जाती है।
  13. जिन्हें कफ खांसी की शिकायत रहती हो उन्हें गाजर के रस में मिश्री एवं काली मिर्च मिलाकर सेवन करना चाहिए।
  14. दालचीनी, सौंफ, मुलेठी और मुनक्का को बराबर मात्रा में मिलाकर चूर्ण कर लें। तथा उसकी छोटी-छोटी गोलियां बनाएं। सुबह दोपहर और शाम को उन गोलियों को चूसने से पुरानी खांसी नहीं उठेगी।।
  15. बच्चों की खांसी में फुलाया हुआ सुहागा 2 -3 रत्ती की मात्रा में दूध या शहद के साथ देने पर तत्काल आराम मिलता है। इसमें मां का दूध सर्वश्रेष्ठ होता है।
  16. लोंग कालीमिर्च और बहेड़ी का छिलका 20- 20 ग्राम कत्था 120 ग्राम एवं बबूल की छाल 20 ग्राम  खरीद लाएं। सर्वप्रथम बबूल की छाल को मोटा-मोटा कूटकर 4 कप पानी में डालकर उबालें। जब पानी 1 कप रह जाए तो छानकर रख दें।  अब चारों औषधियों को खूब कूट पीसकर महीन चूर्ण बना लें। फिर बबूल के काढ़े में इस चूर्ण की घुटाई करके चने के बराबर गोलियां बराबर छाया में सुखा लें। दिन में चार या पांच बार एक-एक गोली मुंह में डालकर चूसें सूखी गीली कैसी भी खांसी या कफ हो तो  नष्ट हो जायेगा।
  17. 15 नग काली मिर्च सिल पर पीस लें। एक कटोरी में 5 चम्मच शक्कर डालकर थोड़ा पानी डाल दें। और उसमें काली मिर्च का पिसा हुआ चूर्ण डालकर पकाएं।  जब वह शहद की तरह गाढ़ा हो जाए तो उतारकर ढक दें। रोज दो 2 घंटे के बाद आधा- आधा चम्मच लेकर चाटे और उबालकर पानी पिएं। सूखी खांसी अथवा गीली खांसी दोनों में या नुस्खा लाभदायक है।

 

 दमा एवं श्वास भी गला और श्वास रोग की बीमारी है – Asthma and Breathing

 

 दमा और सांस रोग दूर करने के लिए निम्नलिखित उपचार करना चाहिए-
  1. आडूसे के रस के साथ तुलसी का रस देने से दमा तथा पुरानी खांसी मिट जाती है। अडूसा का रस अथवा पत्ते पंसारी के यहां मिल जाते हैं। पत्तों को भिगोकर उनका रस निकाला जाता।
  2. तीन तोले फूले हुए सुहागे को चार तोले शहद में मिलाकर प्रतिदिन लेने से दमा रोग मिट जाता है।
  3. तेजपात के पत्तों के चूर्ण को अदरक के रस के साथ अथवा अदरक के मुरब्बे के साथ लेने पर दमे का प्रकोप नष्ट होता है।
  4. दमा होने पर बड़ी पीपल 4 ग्राम और काकड़ासिंगी 6 ग्राम दोनों को बारीक करके रख लें।पूर्णमासी के दिन गाय के दूध में चावल की खीर बनाकर कांसे की थाली में रात को चांदनी में रख दें। अब उक्त दवा खीर पर फैला दें। या बुरक दें। दूसरे दिन निहार मुंह उस खीर को खा लें।इसे हर पूर्णमासी को 1 साल तक खाएं। दमा एवं श्वास ठीक हो जाएगा।
  5. प्रातकाल 100 ग्राम अदरक का रस शहद के साथ पीने से दमा ठीक हो जाता है।
  6. रात में एक एक तोला सोंठ भारंगी और बड़ी हरड़ का चूर्ण पानी के साथ लेने से दमा नष्ट होता है।
  7. दो प्याले पानी में एक चम्मच मुलहटी डालकर उबालें और काढ़ा बना लें। जब पानी पौन प्याला रह जाए। तो उसे पी जाएं। रोज सुबह-शाम खाना खाने के बाद इस काढ़े को 7 दिन तक कैसा भी दमा हो दूर हो जाएगा।
  8. यदि दमा प्रारंभिक अवस्था में है। तो तुलसी के पत्तों के साथ दो-तीन काली मिर्च चबाएं। दमे का रोग शांत हो जाएगा।
  9. कांसे के दो बर्तन लें। एक बर्तन में 200 ग्राम अदरक का रस निकालने दूसरे बर्तन में गाय का शुद्ध घी 200 ग्राम डालकर, दोनों बर्तनों को आग पर रख दें। जब दोनों गरम हो जाए तो अदरक का रस गाय के घी में डाल दें। फिर नीचे उतारकर थाली में ढक दें। ठंडा होने पर बोतल में भर लें। रोज शाम को एक गिलास मीठे दूध में 2 बड़े चम्मच या दवा डालकर रोगी को  खिलायें। थोड़ी देर में ही कफ निकल जाएगा। दमे का दौरा बंद हो जाएगा। यह प्रयोग
  10. 10 -12 दिन करने से दमे का समूल नाश होता है।
  11. जब दमे का दौरा पड़ रहा हो तो चने के बराबर फिटकरी जीभ पर रखकर चूसने दौरे में तुरंत आराम मिल जाएगा।
  12. गर्म पानी में कपड़ा भिगोकर उससे छाती को सेंकने से दमे का दौरा रुक जाता है।
  13.  एक चौड़े गहरे बर्तन में गर्म पानी भरकर उसमें रोगी को आधा घंटा बैठाने से दमे का दौरा रुक जाता है।
  14.  दमें में  सांस फूलने पर रोगी को गर्म पानी पिलाना चाहिए।
  15.  श्वास रोग में सेंधा नमक और गाय का घी मिलाकर छाती पर मलने से तुरंत आराम मिलता है।
  16.  भुनी अलसी 50 ग्राम और भुनी कालीमिर्च -12 ग्राम दोनों को पीसकर रख देना चाहिए। इसमें से 3 ग्राम चूर्ण सुबह पानी के साथ सेवन करने पर दमा एवं श्वास रोग में आराम पहुंचता है।

 

  टॉन्सिल घाव एवं गला बैठना- Tonsil Wounds and Strangulation

 

 गला बैठने घाव एवं टॉन्सिल होने पर निम्नलिखित उपचार से लाभ होता है-
  1.  यदि टॉन्सिल बढ़ गए तो मेहंदी के पत्ते जला कर काढ़ा बना लें। और उससे गरारे करें तत्काल लाभ होगा।
  2.  मूली के रस में समान मात्रा में पानी मिलाकर गरारे करें गले की सूजन और घाव ठीक हो जाएंगे।
  3.  गले में खराश होने पर सुबह सौंफ चबाएं। इससे बंद गला भी खुल जाता है।
  4.  आवाज बैठ जाने पर मूली के 5 ग्राम बीज पीसकर गर्म पानी में सेवन करें। इससे आवाज खुल जाएगी ।और गले की खराश खत्म हो जाएगी।
  5.  टॉन्सिल बढ़ जाने पर सफेद नमक हल्दी और बायबिडंग- तीनों को अलग-अलग पीसकर शीशी में भरकर रख लें। जब तकलीफ हो तो एक गिलास सहते हुए गर्म पानी में आधा आधा चम्मच चूर्ण डालकर घोल बना लें। और सुबह शाम गरारे करें टॉन्सिल ठीक हो जाएगा।
  6.  गला बैठ जाने पर अकरकरा कुलंजन और मुलहटी के टुकड़े मुंह में डालकर चूसें। बैठा गला खुल जाएगा।
  7.  आंवले का चूर्ण गाय के ताजा कच्चे दूध के साथ लेने से बैठा गला खुल जाता है।
  8.  गन्ना भूनकर चूसने से बैठा गला खुल जाता है।

जानिए अनिद्रा को दूर भगाने के घरेलू नुस्खे, जल्द राहत के लिए अपनाइए || How to Overcome from Insomnia Home Remedy

ब्रोंकाइटिस तथा ब्रोंकोन्यूमोनिया- Bronchitis and Bronchneumonia

 

 ब्रोंकाइटिस तथा ब्रोंकोनिमोनिया का पूर्ण उपचार ना होने पर फेफड़ों में कफ शेष रह कर श्वास रोग उत्पन्न हो जाता है। अतः इनका उपचार शीघ्र किया जाना चाहिए। इन रोगों का निवारण निम्नलिखित घरेलू उपचार द्वारा किया जा सकता है-
  1.  मदार के दूध से भावित बाजरे से के आटे का भस्म गाय के दूध के साथ देने से ब्रोंकाइटिस एवं ब्रोंकोन्यूमोनिया रोगों में लाभ होता है। अथवा 60 मिली.ग्राम भस्म पान के साथ दिन में 2 बार ले। बिना नमक की जौं की रोटी और गर्म जल 7 दिन तक लेने से इस रोगों में चमत्कारिक लाभ होगा।
  2.  रक्त में श्वेत कणों की वृद्धि से प्रायःसूखा दमा भी होता है। इसके लिए संखिया मिश्रित दवा बहुत लाभ करती है। 125 मिलीग्राम शुद्ध मैनसिल सितोपलादि चूर्ण के साथ देने से शीघ्र लाभ होता है।
  3. एलर्जिक श्वास रोगों में हल्दी बहुत फायदेमंद है। बालू में भूनकर हल्दी चूर्ण 6 से 12 ग्राम तक दिन में दो बार रोगी को दें। यह चूर्ण सभी तरह के श्वास रोगों में लाभ करता है।
  4.  स्वर्णघटित दवा वृहद श्वास चिंतामणि बसंत सुकुमाकर  आदि से ब्रोंकाइटिस और ब्रोंकोन्यूमोनिया रोग में आराम होता है।
  5.  यदि भयंकर ब्रोंकाइटिस हो तो और ऊपर वाली दवाओं से शांत ना हो रहा हो तो, सोम डेढ़ से तीन ग्राम की मात्रा में लेने से तुरंत लाभ होता है।।।।।

 

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