Food Poisoning क्या है- कैसे होता है, और इसके उपाय क्या है

फूड प्वाइजनिंग – Food Poisoning

 गर्मियों में खासकर बच्चों में फूट प्वाइजनिंग  एक आम समस्या है , गंदे हाथों से खाद्य पदार्थों को छूने और खराब हो चुके, खाद्य पदार्थों को खाने से हानिकारक जीवाणु और विषैले पदार्थ पाचन तंत्र में चले जाते हैं , ऐसा आमतौर पर आलू के सलाद, फ्राई किए हुए चावल, मांस, चिकन, मछली, अंडे से बने खराब हो चुके व्यंजनों को खाने से होता है |
  ग्रीष्म और वर्षा ऋतु अर्थात मई – जून और जुलाई माह में इस रोग का प्रकोप इस कारण के अधिक होता है | क्योंकि इन महीनों में इसके जीवाणु अधिक पनपते हैं , साथ ही कटे हुए फल, सब्जियां , मिठाइयां, एवं अन्य खाद्य पदार्थ जल्दी खराब हो जाते हैं| मक्खी और मच्छर इनके जीवाणुओं को एक खाद्य पदार्थ से दूसरे खाद्य पदार्थ तक ले जाते हैं| जब जीवाणुओं के संक्रमित खाद्य पदार्थ को कोई व्यक्ति खाता है, तो वह खाद्य विषाक्तता का शिकार हो जाता है|

फूड पॉइजनिंग का कारण क्या है?

 

अधिकांश खाद्य विषाक्तता निम्नलिखित तीन प्रमुख कारणों में से एक का पता लगा सकती है:



 

जीवाणु

 

बैक्टीरिया खाद्य विषाक्तता (Food Poisoning) का सबसे प्रचलित कारण है। खतरनाक बैक्टीरिया के बारे में सोचते समय, ई-कोलाई, लिस्टेरिया, ( E. coliListeriaand Salmonella) और साल्मोनेलैकोम जैसे नाम अच्छे कारणों के लिए दिमाग में आते हैं।

 

परजीवी

परजीवियों के कारण खाद्य विषाक्तता (Food Poisoning) बैक्टीरिया के कारण खाद्य विषाक्तता (Food Poisoning) के रूप में आम नहीं है, लेकिन भोजन के माध्यम से फैलने वाले परजीवी अभी भी बहुत खतरनाक हैं। टोक्सोप्लाज़मिस परजीवी को भोजन विषाक्तता के मामलों में सबसे अधिक बार देखा जाता है। परजीवी आपके पाचन तंत्र में वर्षों तक बिना रुके रह सकते हैं। हालांकि, कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोग और गर्भवती महिलाएं गंभीर दुष्प्रभाव का जोखिम उठाती हैं यदि परजीवी उनकी आंतों में निवास करते हैं।

                         लक्षण – Food poisoning symptoms

 फूड प्वाइज़निंग होने पर रोगी के पेट में ऐठन, जी मिचलाने, डायरिया और कभी-कभी बुखार और ठंड जैसे लक्षण हो सकते हैं।   इसके लक्षण खाना खाने के 2 घंटे से लेकर कुछ दिनों में प्रकट हो सकते हैं।  कभी-कभी तो फूट  प्वाइजनिंग पेट के फ्लू और वायरल संक्रमण में अंतर कम कर पाना मुश्किल हो जाता है।   क्योंकि इनके लक्षण करीबन एक जैसे ही होते हैं।

                       उपचार- Food poisoning Treatment

 फूड प्वाइज़निंग (Food Poisoning) में रोगी को बहुत परेशानी होती है।  लेकिन आमतौर पर रोगी की हालत गंभीर नहीं होती, और उसी समय पर डॉक्टर की सलाह पर उल्टी रोकने वाली दवा उचित मात्रा में पेय पदार्थ लेने और आराम करने पर रोगी की हालत में जल्दी सुधार हो जाता है| अधिकतर लोगों को एंटीबायोटिक दवा लेने की जरूरत नहीं पड़ती, विषाक्त खाद्य पदार्थों का पता भोजन की जांच अथवा टट्टी की जांच से चल जाता है।  जीआरडिया जैसे परजीवी के संक्रमण होने पर रोगी का इलाज अलग तरीके से किया जाता है।  कभी-कभी इसके लक्षण इनफ्लामेट्री बॉउल सिंड्रोम या गंभीर पाचन समस्या के रूप में प्रकट होते हैं।




                       बचाव – Food Poisoning Prevention

 फूड प्वाइजनिंग से बचने का सबसे बेहतर तरीका यह है, कि किसी खाद्य पदार्थ को छूने से पहले हाथों को अच्छी तरह से धो लेना चाहिए, और कच्चे माल से अंडे को छूने और बाथरूम से आने के बाद हाथों को किसी एंटीबैक्टीरियल साबुन से अच्छी तरह साफ कर लेना चाहिए। जितनी भोजन की जरूरत हो उतना ही बनाना चाहिए।  और पच जाने पर उसे सही तापक्रम पर रखना चाहिए, आमतौर पर लोग बचे हुए सॉस और मसालों को फ्रिज में नहीं रखते, जिससे कि जीवाणु इन में तेजी से वृद्धि करते हैं।
अधिक उम्र के लोगों और बच्चों के पाचन तंत्र के कार्य क्षमता कम होती है , और उनमें जीवाणुओं को नष्ट करने वाले स्ट्रोमैक  एसिड भी कम होते हैं|  इसके कारण उनमें खाद्य विषाक्तता होने पर उनकी हालत गंभीर हो जाती है।  गर्भवती महिलाओं को भी खाने-पीने के मामले में अधिक सतर्कता बरतने की जरूरत होती है|  इसके अलावा मधुमेह कैंसर या एड्स जैसी कर किसी गंभीर बीमारी है, कमजोर प्रतिरक्षा क्षमता वाले लोगों में फूट पाइजिंग होने का खतरा अधिक होता है, और उनका इलाज करना मुश्किल हो जाता है।

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