टाइफाइड क्या है – What is Typhoid
What is Typhoid:- दूषित पानी और भोजन के माध्यम से होने वाला एक अन्य प्रमुख रोग टाइफाइड है। जो साल्मोनेला टाइफी नामक जीवाणु के कारण होता है। इस रोग के जीवाणु मल मूत्र में रहते हैं , इसीलिए इनका प्रसार पानी और भोजन के द्वारा हो जाता है। भारत में टाइफाइड को मोती झारा या मियादी बुखार के नाम से जाना जाता है। अगर टाइफाइड का इलाज समय से न किया जाये तो ये इंसान के लिए घातक सिद्ध हो सकता है।
टाइफाइड के लक्षण क्या है – What are the symptoms of typhoid
बैक्टीरिया के संपर्क में आने के बाद 6 से 30 दिन के अंदर इसके लक्षण दिखने लगता है। टाइफाइड की अवधि 2 से 4 सप्ताह होती है, पहले सप्ताह रोगी के शरीर का तापमान बढ़ता है। और अगले सप्ताह सामान्य हो जाता है। इस बुखार में काफी आवृत्ति पाई गई है, इसीलिए ज्वर उतरने के बाद भी अक्सर 1 सप्ताह तक दवा दी जाती है या दवा की पूरी खुराक दी जाती है।
इस ज्वर की विशेषता यह है, कि इस रोग के वाहक लगभग हर समुदाय में पाए जाते हैं। वह खुद तो इस रोग से पीड़ित नहीं होता, लेकिन उसके शरीर के अंदर टाइफाइड के जीवाणु मौजूद होते हैं। ऐसा व्यक्ति अपने मल और मूत्र के साथ टाइफाइड के रोगाणु विसर्जित करता रहता है, जो दूषित पानी और भोजन के द्वारा एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में संचारित हो सकता है। इसीलिए रोगी को दवा बंद करने से पहले यह सुनिश्चित करना जरूरी है, कि उसके मल मूत्र में यह रोग और उपस्थित ना हो टाइफाइड ज्वर की तरह ही एक दूसरा ज्वर भी होता है, जिसे पैराटायफाइड कहते हैं। इस ज्वर की अवधि 1 से 3 सप्ताह तक हो सकती है।
शुरुआती अवस्था में टाइफाइड के रोगाणु की पहचान रक्त और अस्थि मज्जा को कल्चर करके की जाती है। पहले और दूसरे सप्ताह में रोगाणु रक्त और अस्थि मज्जा में उपस्थित होते हैं, लेकिन बाद में मल और मूत्र में भी रोगाणु पैदा हो जाते हैं। 5 से 7 दिन में वाइडल टेस्ट पॉजिटिव आने लगता है।
टाइफाइड के उपचार – Treatment of typhoid
इस रोग के इलाज में क्लोराइड फेविकॉल, एंपीसिलीन/एमाक्सीसिलिन आदि औषधियां इस्तेमाल होती है। कुछ कीटाणु इन दवाओं के प्रतिरोधी होते हैं, उनमें से सेप्ट्रीएक्जोन और फ्लोरोक्यूनोलोंस जैसी सिप्रोफ्लोक्सासिन, पीफ्लोक्सासिन आदि दवाइयां इस्तेमाल की जाती है। वहां से शरीर के कीटाणुओं को खत्म करने के लिए अक्सर एंपीसिलीन या कोट्रामोक्साजोल दवा दी जाती है। वाहक के शरीर में पित्त की थैली निकाल देने से भी उनके शरीर से टाइफाइड के कीटाणु खत्म हो जाते हैं।
टाइफाइड की रोकथाम कैसे करे – How to prevent typhoid
चूंकि यह रोग दूषित भोजन और पानी से फैलता है, इसीलिए पानी भी संक्रमित करके पीना चाहिए। और भोजन को मक्खियों तथा धूल से बचाना चाहिए। रसोइयों के अक्सर जांच होती रहनी चाहिए। ताकि वे वाहक का काम ना कर सके। उन्हें भी यह बता देना चाहिए, कि शौच के पश्चात साबुन से अच्छी तरह हाथ धो लें। घर , मोहल्ले में स्वच्छता अत्यंत आवश्यक है। जिससे मक्खियां पनपकर रोग न फैला सकें। रोग से बचाव के लिए हर वर्ष मई-जून में टाइफाइड रोधी टीका लगवा लेना चाहिए। अब इसकी गोलियां भी उपलब्ध हो गई है।
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