सर्वनाम की परिभाषा और उदहारण

सर्वनाम की परिभाषा और उदहारण

 

सर्वनाम की परिभाषा:- वाक्यों में संज्ञा की पुनरावृति बचाने के लिए संज्ञा के स्थान पर जिन शब्दों का प्रयोग किया जाता है वह सर्वनाम कहे जाते हैं। 

 

बदलू मनिहार था। चूड़ियां बनाना बदलू का पैतृक पैसा था और वास्तव में बदलू बहुत ही सुंदर चूड़ियां बनाता था । बदलू की बनाई हुई चूड़ियों की खपत थी । बदलू के पास गांव में सभी स्त्रियां बदलू के बनाई हुई चूड़ियां पहनते थे । आसपास के गांव के लोग भी बदलू से चूडिया ले जाते थे । परंतु बदलू कभी भी चूड़ियों को पैसों से बेचता ना था । बदलू का अभी तक वस्तू विनिमय का तरीका था और लोग अनाज के बदले उससे चूड़ियां ले जाते थे ।

 

 

उपयुक्त अनुच्छेद में संज्ञा शब्द बदलू का बार बार प्रयोग किया गया है जो वाक्य को अटपटा बना रहा है । किसी एक ही शब्द का वाक्य में बार-बार प्रयोग करने से वाक्य की सुंदरता पर भी प्रभाव पड़ता है । संज्ञा शब्दों का बार-बार प्रयोग ना हो इसके लिए संज्ञा के स्थान पर सर्वनाम शब्दों का प्रयोग किया जाता है । अब इसी अनुच्छेद को सर्वनाम शब्दों के साथ पढ़ते हैं ।

 

 

बदलू मनिहार था ।चूडियां बनाना उसका पैतृक पेसा था । और वास्तव में वह बहुत ही सुंदर चूड़ियां बनाता था । उसकी बनाई हुई चूड़ियों की खपत भी बहुत सुंदर बहुत थी । उसके गांव के सभी स्त्रियां उसकी बनाई हुई चूड़ियां पहनती थी । आसपास के गांव के लोग भी उससे चूड़ियां ले जाते थे । परंतु वह कभी भी चूड़ियों को पैसों से बेचता ना था । उसका अभी तक वस्तु विनिमय का तरीका था और लोग अनाज के बदले उससे चूड़ियां ले जाते थे ।

 

इस तरह हमने देखा संज्ञा के स्थान पर प्रयुक्त होने वाले शब्द सर्वनाम कहलाते हैं।

 

 

पुरुषवाचक सर्वनाम

 

जब हम बातचीत करते हैं तो कोई ना कोई श्रोता हमारे सामने अवश्य होता है। तभी तो हम अपने बारे में बात करते हैं कभी सामने वाले श्रोता के बारे में और कभी तीसरे व्यक्ति के बारे में जो वहां उस समय उपस्थित नहीं होता।  ऐसी स्थिति में इन तीनों ही व्यक्तियों बोलने वाले सुनने वाले तथा जो वहां उपस्थित नहीं है उनके लिए जिन सर्वनाम शब्दों का उपयोग किया जाता है वह पुरुषवाचक सर्वनाम कहे जाते हैं। 


जो पुरुष (व्यक्ति) सामने उपस्थित नहीं है वह वक्ता तथा श्रोता के लिए अन्य व्यक्ति हुआ। व्याकरण में उसे अन्य उत्तम पुरुष कहा जाता है। यदि किसी से पूछा जाए कि संसार में सबसे अधिक उत्तम व्यक्ति कौन है तो शायद हर व्यक्ति अपने को ही सर्वोत्तम बताएगा। इस दृष्टि से बोलने वाला (वक्ता) हुआ उत्तम पुरुष अब रह गया श्रोता। श्रोता की स्थिति उत्तम और वह अन्य पुरुष के मध्य की है, अत वह कहलाया मध्यम पुरुष ।

  1. मैने मां की सहायता की ।
  2. तुम बाजार चले जाओ ।
  3. वह फुटबाल बहुत अच्छा खेलता है।

 

उपरोक्त वाक्य में “मैंने” तुम” तथा वह सर्वनाम शब्दों का प्रयोग हुआ है ।जो स्वयं के लिए वक्ता, सुनने वाले श्रोता तथा किसी तीसरे व्यक्ति के लिए प्रयोग हुए हैं ।अतः यह पुरुषवाचक सर्वनाम है ।

 

पुरुषवाचक सर्वनाम के अन्य भेद

 

मै, मैंने, मुझको, मेरे द्वारा, हमने, हमारे लिए, हमारी, हममें, तूने तुमने, तुझको, तुम्हारे द्वारा, तुझ पर, तुममे, वह, उसमें, उन्होंने, उसको, उनके लिए, उन पर ।

 

इस प्रकार पुरुषवाचक सर्वनाम के तीन भेद हो जाते हैं।

 

(क) उत्तम पुरुष- वक्ता या बोलने वाला व्यक्ति अपने नाम के स्थान पर जिन सर्वनाम शब्दों का प्रयोग करता है, वे पुरुष सर्वनाम कहे जाते हैं। मैं (एकवचन) तथा हम (बहुवचन) इसके अंतर्गत आते हैं। जैसे- 

 

मै कल मेला देखने जाउगा।

बडो का आदर करना करना हमारा कर्तव्य है ।

मुझे तुम्हारी सहायता चाहिये।

 

 

(ख) मध्यम पुरुष-वक्ता के द्वारा श्रोता के नाम के स्थान पर जिन सर्वनामों का प्रयोग किया जाता है, उन्हें मध्यम पुरुष सर्वनाम कहते हैं। तू , तुम तथा आप मध्यम पुरुष सर्वनाम के उदाहरण हैं । जैसे-

तुम सीधी खड़ी रहो ।

तुम यहां आकर बैठ जाओ ।

आपका विद्यालय कहां है।

 

(ग) अन्य पुरुष- वक्ता तथा श्रोता से भिन्न अनुपस्थित अन्य तीसरे व्यक्ति या वस्तु के स्थान पर जिस सर्वनाम का प्रयोग किया जाता है सर्वनाम कहलाता है। अन्य पुरुष सर्वनाम के अंतर्गत वह (एकवचन) तथा वे (बहुवचन) रूप आते हैं।

  1. निश्चयवाचक सर्वनाम-

 

वे सर्वनाम जो किसी व्यक्ति, वस्तु, घटना आदि का निश्चित बोध कराते हैं, निश्चयवाचक सर्वनाम कहलाते हैं। यह निश्चित बोध समीप की वस्तुओं का भी हो सकता है तथा दूर की वस्तुओं का भी। दूरवर्ती या दूर की वस्तुओं व्यक्तियों के लिए वह और समीप की वस्तुओं के लिए यह का प्रयोग होता है जैसे-
(दूर पड़ी किताब के लिए) → वह ले आओ। (पास रखी घड़ी के लिए) → यह लाना ज़रा।

  1. अनिश्चयवाचक सर्वनाम-

 

कभी-कभी ऐसा भी होता है कि किसी वस्तु या व्यक्ति का हमें आभास तो रहता है, परंतु निश्चयपूर्वक यह बताना कठिन होता है कि वह वस्तु क्या है या वह व्यक्ति कौन है। किसी वस्तु या व्यक्ति के संबंध में जब इस प्रकार की अनिश्चयपूर्ण स्थिति हो, तब जिन सर्वनामों का प्रयोग किया जाता है वे अनिश्चयवाचक सर्वनाम कहे जाते हैं। अतः अनिश्चवाचक सर्वनाम वे सर्वनाम होते हैं जिनसे किसी निश्चित व्यक्ति, प्राणी अथवा वस्तु का बोध न होता हो। हिंदी में इस अनिश्चितता को प्रकट करने के लिए हम कोई (व्यक्ति के लिए) तथा कुछ (वस्तु के लिए) सर्वनामों का प्रयोग करते हैं जैसे-


(क) मुझे ऐसा लगा जैसे झाड़ियों में कोई खड़ा है।

(ख) आपको कोई बुला रहा है।

(ग) कुछ खाकर बाहर जाना।

(घ) बच्चों के लिए बाज़ार से कुछ ले आना।

  1. प्रश्नवाचक सर्वनाम-

 

अनेक बार हमारे मन में किसी वस्तु, व्यक्ति, प्राणी या किसी घटना (क्रिया) के संबंध में प्रश्न उठते रहते हैं कि वह व्यक्ति कौन है, वह वस्तु या घटना क्या थी आदि-आदि। इन प्रश्नों के लिए हम भाषा में कौन (व्यक्ति के लिए) तथा क्या , कौन-सा , कौन-सी (वस्तु, घटना आदि के लिए) प्रश्नवाचक सर्वनामों का प्रयोग करते हैं जैसे-


(क) कौन है वहाँ, सामने आओ।

(ख) मेरे साथ कौन चलेगा। 

(ग) आप आज शाम को क्या कर रहे हैं।

(घ) व्रत के दिन आप क्या खाते हैं।

(ङ) इन किताबों में से कौन-सी चाहिए आपको। 

(च) आपने इतने मकान देखे, बताइए कौन-सा पसंद आया। 

इस प्रकार जो सर्वनाम किसी व्यक्ति, प्राणी, वस्तु, घटना आदि के बारे में प्रश्न का बोध कराते हैं, प्रश्नवाचक सर्वनाम कहलाते हैं।

  1. संबंधवाचक सर्वनाम-

 

कुछ सर्वनाम ऐसे होते हैं जो प्रधान उपवाक्य में आए संज्ञा या सर्वनामों संबंध जोड़ने का कार्य करते हैं। ऐसे सर्वनामों को संबंधवाचक सर्वनाम कहा जाता है। हिंदी में जो, जिस संबंधवाचक सर्वनाम साथ आश्रित उपवाक्यों का के उदाहरण हैं। देखिए निम्नलिखित उदाहरण। 


(क) वह लड़का पकड़ा गया, जो कल यहाँ आया था।

(ख) वह पेंसिल लाओ जो पिता जी ने दिलाई थी।

(ग) यह वही फ़िल्म है जिसे तुम देखना चाहते थे।

(ङ) जिसको पैसा मिलेगा, वह काम क्यों नहीं करेगा।

(घ) यह वही लड़की है जिससे मदन की शादी हो रही है।

(च) जो झूठ बोलता है वह कभी आगे नहीं बढ़ सकता।

  1. निजवाचक सर्वनाम-

 

निज शब्द का अर्थ होता है-अपना। जिन सर्वनामों का प्रयोग स्वयं के लिए किया जाता है वे निजवाचक
सर्वनाम कहे जाते हैं जैसे-


(क) मै स्वयं चला जाऊँगा।

(ख) आप रहने दीजिए वह अपने आप ठीक कर लेगा।

(ग) वह आप ही अंदर आया था।


इस प्रकार हिंदी में स्वयं, अपने आप, आप ही आदि निजवाचक सर्वनाम हैं। निजवाचक सर्वनाम का संबंधवाची रूप-अपना, पुरुष अपनी, अपने भी बनता है।

 

Read More

 

  1. अनुप्रास अलंकार की परिभाषा | अनुप्रास अलंकार क्या है
  2. उपसर्ग की परिभाषा और इसके प्रकार बताये
  3. द्वंद समास की परिभाषा और उदहारण
  4. List of Anekarthi Shabd in Hindi – अनेकार्थी शब्द की लिस्ट | Hindi Vyakaran
  5. बैंक खाते के मोबाइल नंबर बदलवाने के लिए पत्र || Bank Application
  6. A Letter to the SHO about Your Missing Brother
  7. Write a letter to The Police Commissioner Complaint Against the Negligence of Police
  8. A Letter to the SHO about Your Missing Brother
  9. Possessive Adjectives in Hindi | What is Possessive Adjectives | Possessive  Adjectives Examples
  10. Write a Letter to The Postmaster Complaining Against the Postman of Your Area
  11. पढाई के लिए बैंक से ऋण प्राप्ति के लिए आवेदन पत्र || letter for study loan
  12. आवेदन पत्र या प्रार्थना पत्र क्या होते हैं लिखते समय किन किन बातों का ख्याल रखना चाहिए ।
  13. Bank Related Letter Format- बैंक संबंधी पत्र
  14. Invitation Letters in Hindi-मनोरंजन संबंधी निमंत्रण पत्र
  15. लिखित परीक्षा और साक्षात्कार की सूचना देने के लिए पत्र 
  16. रिक्त पदों की भर्ती हेतु सूचना जारी करने के लिए संचार माध्यमों से पत्र व्यवहार – Correspondence Through Media to Release Information for the Recruitment of Vacant Posts

Post a Comment

0 Comments