LKG- UKG- KG – Nursery Rhymes in Hindi | Nursery Rhymes for Kids
प्रार्थना
हे भगवान, तुझे प्रणाम !
तेरे बछे हम हौ सच्चे,
पढ लिख,कर, योग्य बनेंगे ।
काम करेंगे, नही डरेगे,
नित्य बढेंगे, बढे चलेंगे ।
दो वरदान, हे भगवान ।
हे भगवान तुझे प्रडांम
देश की सेवा
कौन करेगा देश की सेवा?
हम करेंगे हम।
कौन बोलेगा मीठी भाषा
हम बोलेंगे हम
कौन बनेगा अच्छा बच्चा
हम बनेगे हम ।
मेरा स्कूल
मेरा स्कूल बडा महान
इससे मिलता विद्या दान।
रोज स्कूल मे जाती हूँ ।
पढ लिखकर मे आती हूँ।
टीचर का आदर करू
पाठ अप्ना मे याद करू।
टीचर सारे विषय पढाई है ।
अच्छी राह दिखाती है ।
कैसे खाये कविता
ठीक समय पर खाना खाओ,
जल्दी क्या है, धीरे खाओ।
ज्यादा खाना कभी ना खाओ,
जितनी भूख, उतना खाओ,
सेहत अपनी खूब बनाओ ।
होली आई कविता
होली आई, होली आई,
रंग बिरंगी होली आई।
धूम मचाती होली आई,
घर घर मे खुशिया लायी।
बच्चो की टोली आई,
हाथ मे पिचकारी आई।
रंग गुलाल उदाती आई,
होली आई होली आई।
लाल टमाटर कविता
गोल गोल है लाल टमाटर
होते जेसे गाल टमाटर
खूं बढाता लाल टमाटर,
फुर्ती लाता लाल टमाटर।
सेहत बनाता लाल टमाटर,
हम खायेंगे लाल टमाटर।
बन जायेंगे लाल टमाटर।
मुझको खा लो कविता
आलू बोला मुझको खा लो,
मै तुमको मोटा कर दूंगा।
पालक बोली मुझको खा लो,
मै तुमको ताकत दूंगी,
गोभी, मटर, टमाटर बोले,
अगर हमे भि खओगे।
तो खूब बड़े हौ जाओगे।
मेरी मां कविता
मां तुम कितनी अच्छी हो,
मेरा सब कुछ करती हो ।
भूख मुझे जब लगती है,
खाना मुझे खिलाते हो ।
जब मैं गंदा होता हूं,
रोज मुझे नहलाती हो ।
जब मैं रोने लगता हूं ,
मुझको तुम हंसाती हो,
मां मेरे मित्रों में तुम ही
सबसे पहले आते हो।
अगड़म बगड़म
घर के अंदर अगड़म बगड़म
हरदम करते झगड़म झगड़म।
इसको पकड़ा उसको पकड़म
होती रहती पकड़म धकड़म
म्याऊं मौसी के आते ही
मच जाती है भगड़म भगड़म
डर से जाते चक्रम चक्रम
काम ना आती कोई तिकड़म ।
गांधीजी के बंदर
गांधीजी के बंदर तीन
सीख हमें देते अनमोल
बुरा दिखे तो मत दो ध्यान ।
बुरी बात पर दो मत कान ।
कभी ना बोलो कड़वे बोल
याद रखोगे यदि यह बात
कभी नहीं खाओगे मात
कभी ना होगा डामाडोल
गांधीजी के बंदर तीन
सीख यही देते अनमोल।
धोबी आया कविता
धोबी आया धोबी आया
कितने कपड़े लाया
1, 2, 3
1, 2, 3
धोबी आया, धोबी आया
कितने कपड़े लाया
4, 5, 6
4, 5, 6
धोबी आया धोबी आया
कितने कपड़े लाया
7, 8, 9
7, 8, 9
धोबी आया धोबी आया
कितने कपड़े लाया
दस दस दस
बस भाई बस
बच्चों की रेल कविता
छुक छुक करती आई रेल
आओ बच्चों खेलें खेल ।
घर में रोज निकलती है
बस पटरी पर चलती है
सिटी सुनकर यह निकली
स्टेशन से फिर भाग चली
सिग्नल हरा तो चलना है
सिग्नल लाल तो रुकना है
छुक छुक करती आई रेल
आओ बच्चों खेलें खेल ।
चंदा मामा कविता
Aasman Mein nikale Tare
Chanda Mama kitne Pyare
sabka man Bahlate Hain
Nayi Chandni bikhrate Hain
Dekho inki Shan Nirali
Surat Kitni Bholi Bhali
Roj Savere chip jate hain
jaise Humse Sharmate Hain
Aao Chanda Mama Aao
Apne Ghar Ki Baat batao
पानी बरसा कविता
पानी बरसा छम्म छम्म छम्म
उपर छाता नीचे हम ।
छाता लेकर निकले हम
फीसला पेर गिर गए हम
छाता नीचे ऊपर हम
पानी बरसा छम छम छम ।
गर्मी आयी कविता
गर्मी आयी ले के आम
घर से निकले बुद्धू राम।
नहीं लिया हाथो में छाता
गरम हो गया उनका माथा।
दौड़े दौड़े घर को आये
पानी डाला खूब नहाये।
फिर वो बोले ‘हे भगवान्’
कैसे लाऊ अब में आम।
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