इमली खाने के सेहत के लिए क्या फायदे है || What are the benefits of eating tamarind For Health
इमली खाने के सेहत के लिए क्या फायदे है || What are the benefits of eating tamarind For Health |
बहुत से लोग इमली को मसालों में भी गिनते हैं। क्योंकि प्रतिदिन रसोई की खाने पीने की चीजों में इस्तेमाल होती है। परंतु या वास्तव में फल है। इसलिए इसे फल में गिनना उचित है। इसे किसी भी रूप में लिया जाए। बच्चे, बूढ़े, स्त्रियां और नौजवान सभी पसंद करते हैं। कोई इसे चटनी के रूप में तो कोई चाट अथवा किसी ना किसी शरबत के रूप में लेना पसंद करता है।
इमली का पेड़ काफी बड़ा और छोटे छोटे पत्तों वाला परंतु काफी घना होता है। इमली का स्वरूप एक फली के रूप में होता है। फली झिल्लीनुमा गूदे से लिपटी हुई होती है। इसके बीच में गहरे भूरे रंग के कठोर बीज होते हैं। इमली का गूदा एक विशेष प्रकार की खटास लिए हुए परन्तु स्वादिष्ट और मीठा होता है। इसके गूदे में नमी, प्रोटीन, खनिज, रेशा और कार्बोहाइड्रेट्स की काफी मात्रा होती है। इसमें खनिज लवण और कैल्शियम, फास्फोरस, आयरन, कैरोटीन, नियासिन और विटामिन सी, भी उचित मात्रा में रहते हैं।
इमली की विशेषता
इमली की विशेषता यह है, कि इमली का पूरा पेड़ पत्ते फल आदि सभी औषधीय गुणों से युक्त होते हैं। इसकी छाल में त्वचा के संकुचन के साथ साथ ज्वर कोकम करने की शक्ति होती है इमली पाचक को दूर करने वाली मल शोधक शीतल और विश्व को नष्ट करने वाली होती है |
इमली के उपयोग का सबसे अच्छा तरीका यह है, कि उसे खाने से पूर्व पानी में भिगो दिया जाए। अच्छी तरह भीग जाने पर उसे मसलकर या छानकर उसका पानी प्रयोग कर लेना चाहिए। इमली के साथ गुड़ का प्रयोग किया जाए तो इमली से होने वाले विकार नष्ट हो जाते हैं।
अपच आदि रोगों में
पकी हुई इमली का गूदा पित्त की अधिकता के कारण आने वाली उल्टी यों में सहायक सिद्ध होता है। इससे पेट का अफारा और बदहजमी दूर होती है। पेट के रोगों में लाभदायक होने के कारण इसके उपयोग से कब्ज स्वयं दूर हो जाती है।
भूख की कमी
भूख की कमी में इमली को उबाल और छानकर ठंडा करके पानी लाभदायक होता है। काढ़े में कि यदि काली मिर्च एक लॉन्ग इलाइची मिला दी जाए तो इसके गुणों में वृद्धि होती है।
उल्टियां
उल्टियां आने की स्थिति में इमली को पानी में भिगो कर उसका रस छानकर पीने से लाभ होता है। इसका स्वाद बढ़ाने के लिए काला नमक मिलाया जा सकता है।
लू लगना
गर्मियों में अधिक प्यास लगने से मनुष्य जब बेचैनी अनुभव करता है, तो उस समय इमली का पतला शरबत बनाकर पीने से लाभ होता है।
गले के नीचे और हृदय में जब जलन महसूस हो तो इमली के शरबत में मिश्री मिलाकर पीने से लाभ होता है।
फोड़े -फुंसी
फोड़े फुंसियों में इमली का शरबत कुछ दिन लगातार पीने से आराम मिलता है। आंखों की पलकों में छोटी फुंसी हो जाने पर इमली के बीज की गिरी को चंदन की तरह घिसकर लगाने से गुहेरी शांत हो जाती है।
जुकाम
भारत के अनेक स्थानों पर ग्रामीण महिलाएं सामान्य जुकाम हो जाने पर इमली में काली मिर्च डालकर पकाकर रोगी को पिलाती है। इसे बनाने का एक ढंग यह भी है, कि इमली में पानी डालकर उबाल कर छान लिया जाए, इसमें थोड़ी सी काली मिर्च का चूर्ण और गर्म घी मिलाकर पीने से जुकाम में बहुत आराम मिलता है।
पेचिश
पकी हुई इमली को दूध में काढ़ा बनाकर दिन में दो-तीन बार चीनी मिलाकर पीने से पेचिस में लाभ होता है।
जलने और सूजन में
शरीर के किसी स्थान के जलने अथवा सूजन हो जाने पर इमली के कोमल पत्तों का उपयोग में लाया जा सकता है। इमली के पत्तों को जलाकर उनका चूर्ण बनाकर जले हुए स्थान पर छिड़कने से लाभ होता है। पत्तों को कूट पीस कर उन्हें गर्म करके पुल्टिस के रूप में शरीर के सूजे हुए जोड़ों पर लगाने से सूजन तथा दर्द समाप्त हो जाता है।
मर्दाना कमजोरी
शीघ्रपतन से पीड़ित पुरुषों के लिए इमली के बीज बहुत उपयोगी सिद्ध होते हैं। इमली के बीजों को चार-पांच दिन पानी में भिगोकर उसके बीज की गिरी निकाल कर उन का चूर्ण बना लें समान मात्रा में मिश्री मिलाकर दूध के साथ लेने से मनुष्य की संभोग शक्ति बढ़ती है। महीने डेढ़ महीने लगातार इस तरह के सेवन से शरीर में एक विशेष प्रकार की शक्ति पैदा होती है।
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