Sad Poem - सबसे बड़ा रिश्तेदार कौन

Sad Poem - सबसे बड़ा रिश्तेदार कौन



कैसे बताऊँ, जिंदगी एक अजीब कहानी बन गई है

सुनाना भी चाहु, तो कोई सुनता नहीं।

जब पैसा था तब दोस्त भी थे और रिशतेदार भी

और अब ना दोस्त है न रिश्तेदार।

समझ तो गए होंगे तुम

मैं अकेला क्यों हु, कोई पास क्यों नहीं बिठाता।

अपने घर चाय पर क्यों नहीं बुलाता।

मेरा फ़ोन क्यों नहीं उठाता।

मुझे दोस्त या रिश्तेदार कहने में शर्म आती होगी

मुझे देख कर सर में दर्द होता होगा।

में सोचता हु में पहले क्यों नहीं समझा लोगो की बाते

में किसी का भाई, बेटा, दोस्त, रिश्तेदार क्यों था।

दोस्त तो मेने बनाये थे, उनसे क्या उम्मीद करता

मगर रिश्तो पर मेरा कोई जोर नहीं था।

जब बात निभाने की आयी, तो रिश्तो ने पहले दम तोडा।

दोस्त तो थे ही बेगाने, उनसे क्या उम्मीद करता।

तो जिंदगी ने एक बात तो समझा दिया है

बाप बड़ा न भइया, सबसे बड़ा रूपया।

 

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