जमशेदजी टाटा का जीवन परिचय | Biography of Jamshetji Tata in Hindi

जमशेदजी टाटा का जीवन परिचय | Biography of Jamshetji Tata in Hindi

जमशेदजी टाटा का जीवन परिचय- Biography of Jamshetji Tata in Hindi:-भारत का सबसे धनवान समूह – टाटा समूह भारत एक भारतीय मल्टीनेशनल कंपनी समूह है जिसका मुख्यालय मुंबई में है या केमिकल्स कंज्यूमर प्रोडक्ट्स एनर्जी इंजीनियरिंग आईटी और सेवाओं के क्षेत्र में कार्यरत हैं, यह 80 से अधिक देशों में सक्रिय हैं। और इसके प्रोडक्ट व सेवाएं 80 देशों में निर्यात होते हैं। समूह में 114 कंपनियां शामिल हैं।  जिनमें से 31 भारतीय शेयर बाजार में लिस्टेड है।
टाटा स्टील टाटा मोटर्स एसी टीसीएस टाटा, टाटा केमिकल्स, टाइटन इंडस्ट्रीज, टाटा टेलीसर्विसेज आदि प्रमुख कंपनियां है। 2010 से 11 में टाटा समूह के आमदनी 3796.75  रुपए थी। टाटा समूह में 425 000 से अधिक कर्मचारी काम करते हैं । जून 2011 में मार्केट वैल्यू के आधार पर टाटा समूह भारत का सबसे धनवान समूह था। और इसके पास 98.7 अरब डॉलर की संपत्ति थी।
टाटा ग्रुप – जमशेदजी टाटा “ हम दूसरों के अधिक निस्वार्थ उदारियां परोपकारी होने का दावा नहीं करते हैं लेकिन हम सोचते हैं, कि हम ठोस और इमानदार व्यवसायिक सिद्धांतों पर चलने हैं अपने शेयर होल्डर्स के हितों को अपना हित बनाते रहे और हमने अपने कर्मचारियों के स्वास्थ्य व कल्याण को अपनी सफलता की मजबूत नींव माना है। “




 भारत का सबसे विश्वसनीय समूह

टाटा समूह को भारत में सबसे धनवान समूह होने पर उतना गर्व नहीं होगा जितना कि अपने सबसे विश्वासनीय  समूह होने पर होगा। 2011 में इक्विटीमास्टर के एक सर्वे में 61% लोगों ने टाटा को सबसे विश्वास ने कंपनी घोषित किया बहुत दुर्लभ है। कि कोई समूह सबसे धनवान भी हो और विश्वासनीय भी,   लेकिन यही तो टाटा की पहचान है। उसकी साख है और टाटा ब्रांड का जादू है !

 

नायाब विचार- जमशेदजी टाटा का जीवन परिचय 

जमशेदजी टाटा के पिता नासेरवानजी टाटा मुंबई में  ट्रेडिंग करते थे। चीन और ब्रिटेन के साथ जूठ का कारोबार करते थे। जमशेदजी जब 14 वर्ष के हुए तो मुंबई आकर अपने पिता के मदद करने लगे कॉलेज की पढ़ाई पूरी करने के बाद , 20 साल की उम्र में  वे अपने पिता की ट्रेडिंग फर्म में काम करने लगे उन्होंने 9 साल तक यहां काम किया। फिर एक दिन उनके मन में या विचार आया कि छुटपुट व्यवसाय करने के बजाय बड़े पैमाने पर कोई ऐसा कारोबार करना चाहिए। जिससे देश की तरक्की हो और आधुनिक भारत के  स्थापना को विदेश यात्राओं के दौरान जमशेदजी टेक्सटाइल उद्योग की संभावनाओं को परख चुके थे। इसीलिए उन्होंने सोचा कि टेक्सटाइल उद्योग में उतरना सबसे अच्छा रहेगा क्योंकि इसी की बदौलत भारत ब्रिटेन के शोषण चक्र से मुक्त हो सकता है।

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कंपनी की स्थापना- जमशेदजी टाटा का जीवन परिचय

भारत के सबसे बड़े कंपनी समूह टाटा ग्रुप की स्थापना जमशेदजी नासेरवानजी टाटा (1836-1904)  ने की। जिन्हें औद्योगिक भारत का जनक कहा जाता है। टाटा समूह की शुरुआत 18 68 में हुई। जब जमशेदजी टाटा ने ₹21000 की पूंजी से चिंचपोकली में एक दिवालिया आईल  मिल खरीदी। उन्होंने इसे कॉटन मिल में बदला , और इसका नाम अलेक्जेंड्रिया मिल रखा। 2 साल बाद उन्होंने इसे अच्छे मुनाफे में बेच दिया, और इससे बेहतर मिल बनाने की कोशिश में जुट गए। 1874 में डेढ़ लाख रुपए की पूंजी से उन्होंने नागपुर में एक कॉटन मिल स्थापित की। जिसका नाम था सेंट्रल इंडिया स्पिनिंग वीविंग एंड मैन्युफैक्चरिंग कंपनी।  जब महारानी विक्टोरिया को भारत की साम्राज्ञी घोषित किया गया, तो 1 जनवरी 1877 को इसका नाम बदलकर एंप्रेस मिल कर दिया गया।




शुरुआती संघर्ष –

1869 तक टाटा परिवार को छोटा व्यापारी समझा जाता था। इसे मुंबई व्यवसाय जगत में पीछे की बेंच पर बैठने वाला माना जाता था। जमशेदजी ने इस भ्रम को तोड़ते हुए एंप्रेस मिल बनाई, जो उनकी पहली बड़ी औद्योगिक कंपनी थी। जब जमशेदजी ने नागपुर में कॉटन मिल बनाने की घोषणा के उस वक्त मुंबई को टेक्सटाइल नगरी कहा जाता था। अधिकांश कॉटन मिल्स मुंबई में ही थी। इसीलिए जब जमशेदजी ने नागपुर को चुना तो उनकी बड़ी आलोचना हुई एक मारवाड़ी फैन फाइनेंसर ने एंप्रेस मिल में निवेश के बारे में कहा। यह तो जमीन खोदकर उसमें सोना दबाने जैसा है। दरअसल जमशेदजी ने नागपुर को तीन कारणों से चुना था। कपास का उत्पादन आसपास के इलाकों में होता था रेलवे जंक्शन समीप था। और पानी तथा ईंधन की प्रचुर अपूर्ति थी। (जमशेदजी टाटा का जीवन परिचय )

 

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अपने कारोबारी जीवन की शुरुआत में ही जमशेदजी एक गंभीर आर्थिक झटका लगा, कारोबारी साझेदारी प्रेम चंद्र राय चंद्र का कर्ज उतारने के लिए उन्हें अपना मकान और जमीन जायजा बेचनी पड़ी। इसके अलावा,1887 में खरीदी स्वदेशी मिल्स में उनका पूरा पैसा लग गया, और वे आर्थिक संकटों में घिर गए, बहरहाल टाटा ने हिम्मत नहीं हारी और अंततः सभी संकटों से उबर गए।

 

महत्वपूर्ण मोड़

एक बार जमशेदजी टेक्सटाइल मिल की नई मशीनें लेने के लिए मैनचेस्टर इंग्लैंड गए थे। वहां उन्होंने टॉमस कार्यालय का एक लेक्चर सुना यहीं से उनके मन में भारत में स्टील प्लांट बनाने का विचार आया। उन्होंने सोचा कि स्टील प्लांट के बिना कोई भी देश आदमी की उम्र में कदम नहीं रख सकता। इसीलिए उन्हें स्टील प्लांट बनाना चाहिए 19 वीं सदी के अंत में भारत में स्टील प्लांट बनाने के बारे में सोचना ही कई लोगों को मूर्खतापूर्ण लग रहा था, बहुत पैसे लगेंगे, आदमी मशीनों की जरूरत पड़ेगी, और ब्रिटिश सरकार की शत्रुता पूर्ण या असहयोग पूर्ण नीति रहेगी, जमशेदजी के सपने का माहौल उड़ाने वाले लोग बहुत हैं।

 

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 मिसाल के तौर पर ग्रेट इंडियन पेनिन्सुलर  रेलवे के चीफ कमिश्नर सर फ्रेंड रिक ऑफ कोर्ट ने यहां हास्यास्पद शर्त लगाई। अगर टाटा का प्लांट स्टील की छवि बनाने में सफल हो जाता है। तो मैं उसकी बनाई सारी  छड़ें खा  जाऊंगा। किसी को भी कल्पना नहीं थी कि स्टील प्लांट के से भविष्य में कितना अधिक लाभ होगा। बहरहाल जमशेदजी टाटा को पूरा विश्वास था, कि आधुनिकीकरण में ही भारत की प्रगति निहित है।

 

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स्टील प्लांट का उनका सपना उनकी मृत्यु के 3 साल बाद 1960 में साकार हुआ। जब टाटा आयरन एंड स्टील फैक्ट्री की स्थापना हुई। 1912 में यहां 200 टन की क्षमता से प्रोडक्शन शुरू हो गया। और यहीं से टाटा समूह की वास्तविक प्रगति का दौर शुरू हुआ। भारत के आधुनिकीकरण में टाटा समूह के योगदान का अंदाजा इसी बात से चलता है, कि टाटा समूह ने भारत का पहला स्टील प्लांट बनाय।
पहला पावर प्लांट बनाया, पहली एयरलाइन बनाई ,लग्जरी होटल की पहली राष्ट्रीय चयन बनाई, भारत के पहले स्वदेशी यात्री कार इंडिका बनाई, जमशेदजी टाटा और उनकी कंपनी ने वाकई भारत को आधुनिक युग में पहुंचा दिया।।




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