नाक कान के रोग और उपचार- कान के रोगों में कान का बहना दर्द फोड़े फुंसी कंर्णशूल, कर्णनाद, बहरापन आदि शामिल है। इन्हें दूर करने के लिए उपचार नीचे दिए जा रहे हैं।
फोड़े फुंसी और दर्द
कान में फोड़े फुंसी और दर्द के होने पर निम्नलिखित उपचार करना चाहिए।
- राई का तेल कानों में डालने से कान के फोड़े फुंसी ठीक हो जाते हैं। इससे दर्द में भी आराम मिलता है।
- कान के दर्द अथवा कान में फुंसी हो जाने से मैल जमा हो जाता है। इसके लिए एक पाव तिल्ली के तेल में 30 ग्राम लहसुन की कलियों को धीमी आग पर पकाएं ।जब लहसुन काली पड़ जाए तो उस तेल को छान लें। कान के दर्द में उसकी कुछ बूंदे कानों में डालकर रुई से बंद कर दें। कई दिनों के प्रयोग से कान का मैल फूल जाता है। और फुंसियों साफ हो जाती है।
- कान दर्द में प्याज का रस गर्म करके कानों में बूंद-बूंद करके टपकाना चाहिए। इससे कान दर्द में आराम मिलेगा।
- तुलसी के पत्तों का रस कपूर में मिला कर हल्का गर्म कर लें। और कान में डालने कान का दर्द खत्म हो जाएगा।
- केले के पत्ते का रस और समुद्र फेन मिलाकर शीशी में भरकर रख लें। इसकी दो-दो बूंदें कान में डालने से कान का दर्द ठीक हो जाएगा।
कान का बहना
कान के बहने अर्थात पीब आने पर निम्नलिखित उपचार करने चाहिए-
- 12 ग्राम सरसों का तेल गर्म करके उसमें 4 ग्राम बोरिक एसिड पाउडर मिलाकर कान में मवाद पड़ जाने पर दो बूंद कान में डाले पुराना से पुराना बहता कान 10 दिनों में ठीक हो जाएगा।
- रस और शहद और स्त्री का दूध मिलाकर कान साफ करके दो-तीन बूंद दिन में तीन बार डालने से कान का बहना रुक जाएगा।
- बारीक पिसा सिलोचन नली द्वारा दिन में दो-तीन बार डालने से कान का बहना बंद हो जाता है।
- कान के बहने में कीकर के फूलों को तेल में पकाकर छान लें यह कान के बहने की सबसे उत्तम दवा है।
- बबूल के फल को सरसों के तेल में डालकर आग पर चलाएं। इस तेल को छानकर कान में दो बूंद डालने से कान का बहना बंद हो जाता है।
- स्व-मूत्र को गर्म करके उसकी दो-दो बूंदें कान में डालने से 3 दिन में ही कान का बहना, कान का पकना आदि रोग शर्तिया ठीक हो जाते हैं।
- मूली का रस 60 ग्राम और काले तिलों का तेल 60 ग्राम दोनों को मिलाकर मंदी आंच पर रखें। जब तेल मात्र रह जाए तो उसे उतार लें। इस तेल की चार पांच बूंदें दिन में टपकाने से कान का बहना तथा दर्द ठीक हो जाता है।
बहरापन
कान का बहरापन दूर करने के लिए निम्नलिखित उपचार करने चाहिए- नाक कान के रोग और उपचार
- गुलाबी फिटकरी, केशर और एलुवा एक -एक ग्राम लेकर तुलसी के पत्तों के 80 ग्राम रस में पीसकर मिला लें। उक्त द्रव्य की चार पांच बूंदें रोज कान में टपकायें। यदि कान का पर्दा फटा हुआ नहीं है, तो बहरापन कुछ ही दिनों में ठीक हो जाएगा।
- मूली का रस निकालकर उसमें उस रस का चौथाई भाग तिल का तेल मिलाकर तब तक पकाएं। जब तक तिल का तेल शेष ना रह जाए। इस तेल की 3-4 बूंदे दिन में दो बार कानों में डालने से बहरापन दूर हो जाएगा।
- तिल का तेल 3.73 किलोग्राम गो-मूत्र में पिसी हुई बेलगिरी 936 ग्राम तथा बकरी का दूध 15 किलो ग्राम इन सबको तेल में पाकविधि से पका लें। इस तेल को कान में डालने से कान का दर्द बहरापन आदि अच्छा होता है।
- जलकुंभी कल्क 233 ग्राम, इसी का स्वरस 3.73 किलोग्राम और तिल का तेल 933 ग्राम सबको मिलाकर पकाएं। जब मात्र तेल शेष रह जाए, तो इसे कान में डालें। इससे बहरापन कान का दर्द पकना एवं बहना आज ठीक हो जाता है।
- अदरक के रस में शहद तेल तथा जरा सा सेंधा नमक मिलाकर नमक में डालने से बहरापन और कर्णशूल आदि का नाश होता है।
नाक के रोग
नाक के रोगों में सर्दी, जुकाम, पीनस रोग, नकसीर फूटना, आदि शामिल हैं। इनके होने से भयंकर पीड़ा होती है। अतः इन रोगों पर तत्काल ध्यान देना चाहिए-
पीनस रोग
नाक के रोगों में दुष्ट प्रतिश्याय या पीनस रोग नगर वासियों को बहुत होता है। इसमें नाक झरती है। सर्दी में जुकाम के लक्षण होते हैं। विशेषकर सिर दर्द बहुत होता है। नाक के भीतर शोथ और क्षत हो जाता है।
रोग पुराना होने पर कृमि हो जाते हैं। इसके निवारण हेतु निम्नलिखित उपचार करें- नाक कान के रोग और उपचार
- देवदारू, गूलर, अर्जुन और कुरैया की छाल का काढ़ा बनाकर नाक को धोयें। इनका कल्क तथा क्वाथ बनाकर लगाने से पीनस रोग में लाभ होता है।
- लौह भस्म, अभ्रक भस्म, शुद्ध बछनाम, नागर मोथा, हरड़, बहेड़ा, आंवला, सोंठ, मिर्च, पीपल, शुद्ध धतूरी बीज, शुद्ध भांग, छोटा बड़ा गोखरू और पिपरामुल इन समान का समान भाग छोड़कर के धतूरा के स्वरस में सात भावना दें। फिर ढाई 100 मिलीग्राम की वटी बना लें। यह वटी पीनस रोग का नाश करती है।
- एरंड की जड़, तगर ,सोंठ, जीवंती, रस्ना, सेंधा नमक, दालचीनी, बायबिडंग, मुलहठी और सोंठ का महीन चूर्ण बना लें। फिर 240 ग्राम चूर्ण को बकरी के दूध में भिगोकर पीसकर तिल का तेल बकरी का दूध एवं भांगरे का रस सबको मिलाकर तेल पाकविधि से पकाएं। और छानकर बोतल में भर दें। इसकी 6-6 बूंद 1-1 नाक मे डालने से पीनस रोग में लाभ होगा।
सर्दी जुकाम
सर्दी जुकाम होने पर निम्नलिखित उपचार करना चाहिए-
- राई को पीसकर शहद में मिलाकर सूंघ लें। इससे जुकाम दूर हो जाता है।
- सर्दी जुकाम में हल्दी के टुकड़े मुंह में रखकर चूसते रहने से लाभ होता है।
- 2 माह से छोटी पिपली का चूर्ण शहद के साथ चाटने पर जुकाम भाग जाएगा।
- सर्दी जुकाम में मेहंदी के पत्तों का रस शहद मिलाकर चाटने से आराम मिलता है।
- सर्दी जुकाम में एक प्याला दूध में एक चम्मच हल्दी डालकर गर्म करें और शक्कर मिलाकर पिला दें। शीघ्र आराम मिलेगा।
- सर्दी जुकाम में सोंठ के साथ दालचीनी का काढ़ा पका कर रोगी को देना बहुत हितकर होता है।
- सर्दी जुकाम में सरसों का तेल दो-दो बूंद नथुनों में टपकाने से नाक साफ रहेगी और जुकाम नहीं होगा।
- दही में सफेद बूरा मिलाकर प्रातकाल खाने से सर्दी जुकाम खत्म हो जाता है।
- सर्दी जुकाम खांसी और गले की खराश में तुलसी के पत्तों का रस अदरक व शहद तीनों को समान मात्रा में आपस में मिलाकर रख लें। प्रतिदिन एक एक चम्मच चार बार ले। तत्काल आराम मिलेगा।
नकसीर फूटना
नकसीर फूटने अर्थात नाक से खून आने पर अगले पृष्ठ पर दिए गए प्रयोग आजमाएं- नाक कान के रोग और उपचार
- नकसीर फूटने पर नाक में धनिया के पत्तों का रस डालना चाहिए तत्काल रक्त आना बंद हो जाता है।
- प्याज का रस नाक में टपकाने से रक्त आना बंद हो जायेगा।
- नकसीर फूटने पर आंवला पीसकर घी में भून लें। और उसका लेप नाक पर कर दे। खून आना बंद हो जाएगा।
- ताजी हरी दूब उखाड़कर पानी में धो लें। उसे पीसकर रस निकालने और दो-दो बूंदें नाक में दोनों तरफ टपकाए नकसीर बंद हो जाएगी।
- नकसीर आने पर रोगी को चित लिटा दें। और जिस नथुने में खून आ रहा हो उसके विपरीत बांह में रुमाल कस कर बांध लें। कुछ ही देर में खून आना बंद हो जाएगा।
- सिर पर बर्फ या गीली मिट्टी रखें। और मिट्टी सुखायें। नकसीर बंद हो जाएगी यह नुस्खा गर्मियों के मौसम का है।
- गर्मी के कारण नकसीर फूटने पर सेब के मुरब्बे में छोटी इलायची डालकर खिलाएं।
- त्रिफला में शहद मिलाकर चटाने से नकसीर बंद हो जाती है।
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