जीवन में उन्नति के लिए किन किन चीजों की जरुरत है | 3 Things You Need to be Successful

जीवन में उन्नति के लिए तीन चीजें आवश्यक है परिश्रम धैर्य और सरलता।

 खलील जिब्रान का कहना है – घर के कारण ही अनेक महापुरुषों ने अपना लक्ष्य प्राप्त किया है। धैर्य और सरलता मन की स्वच्छता के उदाहरण है। जिसमें यह 2 गुण होते हैं। वह सदा सुखी रहता है। क्षमा शांति और सहानुभूति द्वारा आप प्रत्येक व्यक्ति को वश में कर सकते हैं।  चाहे वह किसी भी मिजाज का है। जिन लोगों के मन शांत हैं। जो क्रोध और मत्सरिता की भावना से दूर है। वह हर बात पर गंभीरता और सूझबूझ से विचार कर सकते हैं। वे अपना खर्च हमेशा अपनी आय से कम कर रखते हैं। और आवश्यक चीजों के लिए कंजूसी नहीं करते।  उनके सारे काम में नियम पूर्वक होते हैं। ऐसे लोग समय गवा कर बाद में पछताते नहीं है। ऐसे लोग आवश्यक चीजें महंगी होने पर भी खरीद लेते हैं। और अनावश्यक चीज चाहे कितनी भी सस्ती हो वह नहीं खरीदते।  ऐसे लोग सदा सुखी रहते हैं। दुख ऐसे लोगों के पास भी नहीं भटकता। (things you need to be successful)



 परिश्रम और दूरदर्शिता

 कुछ लोग ऐसे होते हैं, जो स्वयं को बहुत अधिक सयाने और सूझबूझ वाले जाहिर करते हैं। जबकि होते नहीं हैं। वह घर की औरत को मूर्ख समझते हैं। और घर का सारा खर्च अपने हाथ में रखते हैं । जबकि घर का कुल इंतजाम स्त्रियों के हाथ में ही होना चाहिए वह घर की मालकिन है। 24 घंटे घर में रहती हैं। अतः उन्हें घर की हर जरूरत का पता होता है।  कब किस वक्त किस चीज की और कितनी मात्रा में आवश्यकता है या उनसे बेहतर भला कौन समझ सकता है।
यह बात आवश्यक है, कि स्त्री और पुरुष में मेल हो वे एक दूसरे के अनुमोदक हो, इसमें कोई लाभ ना होगा कि पुरुष किफायत सार हो। और स्त्री फिजूल खर्च।  कोई भी व्यक्ति तब तक सफलता प्राप्त नहीं कर सकता जब तक उसकी स्त्री उसे सहायता ना दे। जिस पुरुष के घर में स्त्री चतुर मधुर बांसुरी हो वह कितने आनंद से दफ्तर जाता है। और वापस लौटता है वह घर का हिसाब ठीक रखती हैं बच्चे अच्छे-अच्छे आदित्य सीखते हैं जब उसमें साफ-सुथरी और करीने से सजी होती हैं.
स्त्रियों के हाथ और उंगलियां उनके शरीर से के सबसे महत्वपूर्ण अंग है। क्योंकि उन्हें उन्हीं से सबसे ज्यादा काम करना पड़ता है। सीना पिरोना, खाना पकाना, वगैरह सब काम हाथों से होते हैं। इसमें कोई शक नहीं कि चतुराई भी बहुत जरूरी है। जिस स्त्री में चतुराई नहीं होती वह चाहे कितनी भी सुंदर क्यों ना हो   किसी काम की नहीं।  कुछ स्त्रियां होती है। कि सवेरा होते ही सर समर कर बैठ जाती हैं । उनके घर देखो तो ऐसे मानो महीनों से उनकी सफाई ना हुई हो बच्चे नंग धड़ंग और गंदे घूमते फिरते रहते हैं। ऐसी स्त्रियों को ना पतियों की चिंता होती है ना बच्चों के उन्हें केवल अपनी चिंता होती हैं।



 समय और कार्य विधि का महत्व- things you need to be successful

 होना तो यह चाहिए कि हर एक काम को करने की एक विधि मुकर्रर कर ले। यह काम करने का सबसे बढ़िया तरीका है। परंतु स्त्रियों में या भारी खामी है। कि वह कोई विधि मुकर्रर नहीं करती वह सारे दिन काम तो करती रहती है। पर बिना सिर पैर का अस्त व्यस्त।  वे समय की कद्र नहीं करती कौन सा काम पहले और कौन सा बाद में करना चाहिए। इन बातों का बिल्कुल विचार नहीं पड़ती अंधाधुंध काम करती जाती है। अगर ऐसा ही किया जाएगा तो घर का प्रबंध नहीं हो सकता और फिर सुख भी नहीं मिल सकता।
परिश्रम और दूरदर्शिता से तो बड़ी भारी नियामत है परिश्रम तो काम की जान है।  बिना परिश्रम कोई भी काम नहीं हो सकता परंतु परिश्रम के साथ इंतजाम और व्यवस्था जरूरी होनी चाहिए। जो स्त्री काम किया जाए और व्यवस्था से कामना ले। वह कभी भी किसी कार्य को अच्छे ढंग से नहीं कर सकती। दूरदर्शिता बड़े विचारों और अनुभवों से प्राप्त होती है। इसके द्वारा हम सब काम ठीक और से कर सकते हैं।

 समय की उपयोगिता का ख्याल रखना स्त्रियों के लिए सबसे जरूरी बात है।

साहस और दृढ़ निश्चय भी स्त्री में जरूर होना चाहिए । जिस बात का विचार करके निर्णय कर लिया उससे कभी पीछे नहीं हटना चाहिए। अगर इस तरीके स्त्री में यह गुण ना हो तो उसकी संतान भी कभी व्यवस्थित नहीं हो सकती। किसी प्रकार के नशे का सेवन ना करना अपने को तब सब तरह की बुरी वासनाओं से बचाए रखना बुरी प्रवृत्तियों से मन को रोकना यह सभी सुखी रहने के लक्षण है।



सभ्यता : सम्मान प्राप्ति में सहायक- things you need to be successful

स्त्रियों का आभूषण सभ्यता है। जहां तक बने सभ्यता को कभी हाथ से नहीं जाने देना चाहिए। दूसरे गुणों की तरफ जो व्यक्ति का ध्यान बात में ही जाता है। सबसे पहले तो सभ्यता ही देखी जाती है।
 कुछ लोग ऐसे होते हैं। जिनमें बहुत से गुण होते हैं। किंतु सभ्यता नहीं होती ऐसे लोग किसी को दुख नहीं खुश नहीं रख सकते ऐसे लोग कहीं सम्मान भी नहीं पाते। किंतु जिस व्यक्ति में नम्रता और सभ्यता होती हैं। वह सभी को वश में कर लेता है। सभी उसका आदर भी करते हैं। सभ्यता और नम्रता पूर्व व्यवहार करने में किसी का कौड़ी पैसा भी नहीं खर्च होता। यह सब तो व्यक्ति बचपन में ही अपने घर से सीखता है। किंतु जो मां-बाप स्वयं असभ्य हैं। वह अपनी संतान को भला अच्छे संस्कार कैसे दे सकते हैं।
कभी भूल कर भी किसी को कड़वी बात नहीं कहनी चाहिए, विवाह शादियों में चलते फिरते घर या बाहर सभ्यता का व्यवहार करो। दूसरे के साथ प्रेम करने से उसके प्रति प्रेम ही नहीं बल्कि विश्वास और भरोसा भी पैदा होता है। यह नहीं समझना चाहिए कि किसी बड़े आदमी से अच्छा व्यवहार करें। और छोटे से असभ्य छोटे से छोटे मनुष्य से लेकर बड़े से बड़े मनुष्य को एक दूसरे के प्रति सभ्यता का व्यवहार करना चाहिए।

 सुखी जीवन का रहस्य

 जीवन को सुखी बनाने के लिए आमोद प्रमोद की आवश्यक है। लेकिन ऐसा आमोद प्रमोद नहीं होना चाहिए। जिसमें बुराई का अंश आ जाए मानसिक और शारीरिक श्रम करने के बाद विनोद और व्यायाम करना मनुष्य के लिए अति आवश्यक है। जो जीवन में व्यायाम और विश्राम को कोई महत्व नहीं देते उन्हें बहुत से लोग और व्याधियों घेर लेते हैं।
 बहुत से लोग मनोविनोद और दिल बनाने के लिए क्लबों में जाते हैं। वहां अनेकों जेब जैसे शराब सिगरेट या अन्य नशे उनके पल्ले बंध जाते हैं। कितनी ही बुराइयों में व्यक्ति फस जाता है। जबकि यदि संगीत विद्या की ओर गंभीरता से ध्यान दिया जाए तो कुछ अधिक ही सार्थक परिणाम सामने आएंगे स्तरीय प्रायः गीत गाती है। और बचपन से ही इस और उनका रुझान होता है। किंतु अत्यंत खेद की बात है, कि इस विषय में युवा अनाड़ी ही रहती हैं। यदि वे सिलसिलेवार संगीत का अभ्यास करें तो उनका जीवन कहीं अधिक सुखी हो सकता है।

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 प्रायः देखा जाता है। कि जो पुरुष संगीत विद्या के शौकीन होते हैं। वह को संगत में पढ़ने से बस जाते हैं। आयरलैंड में संगीत विद्या द्वारा शराब पीना छुड़ा दिया जाता है। और इतना ही नहीं संगीत विद्या के माध्यम से अनेक दूसरी बुराइयों में जैसे भी निजात दिला दी जाती है। लेकिन इस विद्या की ओर लोगों का रुझान अब पूरे विश्व में ही कम हो गया है। दूसरे अभियां विद्या कुछ पेशेवर लोगों के हाथों में चले गए हैं।  अतः इसे विशिष्ट काम समझा जाने लगा है लोगों का रुझान इस वजह से भी इस और कम हो गया है। जबकि प्रत्येक स्त्री-पुरुष को संगीत का थोड़ा बहुत अभ्यास अवश्य करना चाहिए।
घर को फूलों से सजाना बहुत ही सुरुचिपूर्ण बात है। फूल बहुत सस्ती चीज है। अपने घर में दो-चार फूलों के पौधे हर कोई लगा सकता है। फूलों से वायु सदा शुद्ध रहती है। आंखों को आनंद प्राप्त होता है । और चित्र प्रफुल्लित रहता है।  इसीलिए फूलों से प्रेम करना भी बहुत सुखदाई हैं।

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 इसी प्रकार घर में अच्छे-अच्छे चित्र रखना भी मन के भावों को उत्तम बनाना है। जो तो प्रत्येक घर में चित्र होते हैं। पर इतने गंदे गंदे कुरुचिपूर्ण जिन्हें देखने का दिल ही नहीं करता । और उच्च पैदा हो जाती है। घर में अच्छे-अच्छे वीरो महात्माओं और साधु पुरुषों के चित्र होने चाहिए। जिन्हें देखते ही मन में पवित्र भावनाएं पैदा हो अपना जीवन सुखी बनाने के लिए नीचे लिखे नियमों का पालन करना चाहिए।
1- कभी निराश मत होइए।
2- आमदनी का कुछ हिस्सा बचा कर रखें।
3- एक क्षण भी व्यर्थ नष्ट करें।
4- परिश्रम संशय और त्याग का अभ्यास करते रहिए।
5- ईश्वर को हर समय अपने पास महसूस करें।
6- आज का काम कल पर कदापि न छोड़े।

चरित्र हीनता एक अभिशाप- things you need to be successful

       इन होनहार नवयुवकों का जीवन ऐसा भयानक हो गया है, जिसे देखकर सुनकर रोमांच हो जाता है। आमतौर से हमें देखने को मिलता है। कि नवयुवकों के चेहरे पर तेज नहीं है। उनके शरीर दुबले पतले और रोगों से भरे पड़े हैं। दुबले पतले अंदर धंसी  गलती हुई आंखें।  आरोग्यता तो उनसे कोसों दूर है। मंदबुद्धि की शिकायत बनी रहती है। किसी काम के करने की हिम्मत नहीं और कांति भी नहीं चरित्र आरोग बुद्धि बल और साहस का इन नवीन को में सबसे अधिक विकास होना चाहिए।  लेकिन दुख के साथ कहना पड़ता है। कि 100 में से 99 नवयुवक इन से रहित है। और इसका मूल कारण यदि एक ही शब्द में कहें तो यह होगा कि नवयुवक अपरिपक्व अवस्था में ही चरित्रहीन हो जाते हैं।  किसी भी अवस्था में चरित्रहीन चरित्रहीन होना हानिकारक है। परंतु अपरिपक्व अवस्था में चरित्रहीन हो जाना तो और भी भयानक बात है। अपरिपक्व अवस्था में नवयुवक अश्लील किताबों लंपट चीफ मित्रों से काम संबंधी बातें करके अपनी भावनाओं को कुत्सित बना लेते हैं। और अपनी कामवासना को आप प्राकृतिक वृत्ति से प्रीति से समन करने का उपयोग करते हैं। आखिरकार उन्हें इसका भयंकर परिणाम भुगतान पड़ता है।

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          याद रखिए प्रकृति के नियमों में छोटे से छोटे अपराध के लिए क्षमा का स्थान नहीं है। अतः यह इन युवकों की बदकिस्मती है, कि इन्हें किसी प्रकार भी क्षमा नहीं किया जा सकता। प्रत्येक व्यक्ति चाहता है, कि वह सुंदर और स्वस्थ बने और प्रकृति भी यही चाहती है। कि उसकी बनाई हुई सबसे अनमोल कृति मनुष्य अनमोल ही बना रहे। हर दृष्टि से व सुंदर और स्वस्थ दिखाई दे लेकिन किसी प्रकार की इच्छा करने से ही कोई कार्य पूरा नहीं हो जाता। उसके लिए उस पर वास्तविक रूप से अमल करना अति आवश्यक है।
 पुरुष में 17 अट्ठारह वर्ष के लगभग संतानोत्पत्ति के लिए पर्याप्त वीर उत्पन्न हो जाता है। किंतु यदि युवक इससे इससे पूर्व ही या इस आयोग के आसपास उसे अप्राकृतिक रीति इसे वीर्यपात करके व्यर्थ कर देता है। तो उसका जीवन नष्ट हो जाता है।  शरीर खोखला हो जाता है। तब वह किसी कार्य को करने के योग्य नहीं रह जाता। और जब व्यक्ति किसी योग्य ही ना होगा। तो उन्नति क्या वह खा करेगा?  नवयुवक बहुत से कुटेव सीख लेते हैं। और उनके विनाशकारी और विषैले चंगुल में फंस जाते हैं।

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        यदि कोई युवक हत्यारा या कुटेव हो जाए, अथवा ऐसे ही  कोई कुकर्म करें। इसके बाद तो उसके सुधारने और सही रास्ते पर आने के अवसर भी होते हैं। किंतु यदि कोई कुत्ते को में फस जाए, तो उसका सही होना बहुत कठिन है। जब शरीर ही नष्ट हो जाएगा तो आदतें सुधरने से क्या होगा ?  उसकी मां की उम्र तो अपना शरीर सुधारने में ही थक जाएगी। फिर बुढ़ापा उसका उत्साह छेद कर देगा। फिर किस उम्र में उन्नति करेगा वह ।
 अफसोस है, कि आज समत्र इन भयानक को कुटेव का अवसर फैला हुआ है। और इसका प्रत्यक्ष प्रमाण यह है। कि युवकों की जवानी भरने से पूर्व ही मुरझा जाते हैं। ज्ञान तंत्र टूट जाते हैं। शारीरिक सुंदरता नष्ट हो जाते हैं।



क्रोध और उत्तेजना

 यह उन्नति से इच्छुक हैं। तो क्रोध को त्याग संयम को अपनाएं यहां एक व्यक्ति का जिक्र करना न्यायसंगत होगा। जिसने क्रोध में अपना ही नुकसान किया, एवं वह महिला थी। जिसमें संयम से काम लेकर लाभ कमाया।
          सेमी अपने कार्यालय में बैठा बार-बार एक फोन नंबर डायल कर रहा था। किंतु नंबर मिल नहीं रहा था बार-बार इंगेज टोन आ रहे थे। उसकी कंपनी के शेयरों का भाव तेजी से गिर रहा था। अतः वह अपनी कंपनी की तेजी से गिरती साख से बहुत अधिक उत्तेजित और परेशान था। वह चाहता था कि जल्दी से जल्दी अपने ब्रोकर से संपर्क स्थापित करें। उसी का वह नंबर डायल कर रहा था जो कि मिल नहीं पा रहा था। बार-बार इंगेज टोन सुनाई दे रही थी आठ-दस बार उसने संपर्क साधने का प्रयास किया। और हर बार वही इंगेज टोन। अतः सैनी का धैर्य जवाब दे गया।

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      बदतमीज !  न जाने कितनी कितनी देर तक फोन पर बातें करता है। यहां मेरी कंपनी का दीवाना निकला जा रहा है। और उसे कोई फिक्र ही नहीं बढ़ बढ़ाते हुए उसने जोर से मुझे सी व क्रेडिट पर पटका इस हड़बड़ाहट और क्रोध में फोन में से नीचे जा गिरा और टूट गया। इसका सेमी के मस्तिष्क पर ऐसा आधार लगा कि वह पसीने पसीने हो उठा उसकी उत्तेजना बढ़ गई थी। और वह बेहोश होकर एक और लुढ़क गया।
               कंपनी के शेयर तेजी से गिरे और भारी घाटा हो गया। इस सदमे के कारण वह कई दिनों तक बीमार रहा उसकी बीमारी के कारण दलाल भी उस से भेंट न कर सका और इस प्रकार उसे भारी घाटा उठाना पड़ा।



महान गुण

 सूझबूझ और धैर्य मनुष्य के दो महान गुण है डेविड burn-in को देवदूत मानता है और वह हिंदू देवदूत ओं का सदा सदा अपने साथ रखता है और श्रेया है कि वह हमेशा धैर्य और सूझबूझ से काम लेता है कैसी भी स्थिति आ जाए वह विचलित नहीं होता उसे सदा अपने साथ रखता है।  अब आप ही सोचिए कि सेमी को उत्तेजना से मिला क्या ?  टेलीफोन टूट गया स्वयं बीमार पड़ गया उसने अपना ही नुकसान ना किया न।  यदि कुछ देर रुक जाता सैय्यम मोर सूझबूझ से काम लेता तो आखिर उसका क्या जाता ?  कुछ देर बाद दलाल से बात करता तो शायद शेयर पीटने का सिलसिला भी रुक जाता किंतु क्षणिक उत्तेजना के कारण उसने अपना कितना नुकसान कर लिया इसके विपरीत कहती ने कैसे संयम से काम लिया इससे स्पष्ट होता है। कि धैर्य और सूझबूझ आपकी किस प्रकार रक्षा करते हैं। (things you need to be successful)
 सुकरात अपने समय का महान उपदेशक था वह नंगे पैर घूमता था और उसने 40 वर्ष की आयु में एक 19 वर्ष की लड़की से विवाह किया था।    तभी वह एक शानदार व्यक्तित्व था। उस उसने ऐसा शानदार व्यक्तित्व कर दिखाया जो संसार में केवल मुट्ठी भर लोग ही कर पाते हैं। उसने मानव विचारधारा को बदल दिया और आज उसे सारे संसार में एक श्रेष्ठ ज्ञानी प्रवर्तक के रूप में जाना जाता है।

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 उसके काम करने की नीति क्या थी?

 भाई लोगों से इस प्रकार प्रश्न पूछता था। कि उसके विरोधी भी उससे सहमत हो जाते थे। वह किसी को गलत नहीं कहता था। बल्कि लोगों से हर बात का उत्तर हां में लेता था। यही सुकरात नीति कहलाती है।
   चीनियों में एक कहावत है, कि जो पूर्व के युवो की पुरानी निर्विकार बुद्धिमत्ता से भरी हुई है, वह कहावत है, जो नरमी से पावर रखता है, वह दूर तक जाता है।
    सुसंस्कृत चीनियों ने मानव प्रकृति का अध्ययन करने में 5 सहस्त्र वर्ष लगाएं हैं। और उन्होंने बहुत बुद्धि इकट्ठी की है जो नरमी से पावर रखता है। वह दूर तक पहुंचता है।



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