मर्सिडीज बेंज- की सफलता का क्या राज है | Success Story of Mercedes Benz

सबसे पुराना कार ब्रांड: who owns mercedes benz

 

मर्सिडीज वेज जर्मन कंपनी डैमलर एजी का मल्टीनेशनल डिवीजन है। यह कारों बसों और ट्रकों का निर्माण करने वाली अग्रणी कंपनी है। इसका मुख्यालय जर्मनी में है।  2011 में डैमलर की आमदनी 129.481 अरब डॉलर थी। और मुनाफा 5.95 7000000000 डॉलर।यह संसार की 24 वीं सबसे बड़ी कंपनी है। मर्सिडीज विश्व का सबसे पुराना कार ब्रांड है। जिसकी सफलता का सिलसिला आज भी जारी है। इंटरब्रैंड के अनुसार मर्सिडीज संसार का  12 वां सबसे मूल्यवान ब्रांड है। और इसके ब्रांड का अनुमानित मूल्य 27.445 अरब डॉलर है। आखिर मर्सिडीज इतना लोकप्रिय ब्रांड क्यों है? इसकी सफलता के मंत्र क्या हैं?



  नायाब विचार:

कार्ल बेंज जब छोटे थे, तभी उनके पिता का देहांत हो गया था। इसीलिए उनकी गरीब मां ने उन्हें पाला। बेंज के पास एक साइकिल थी। लेकिन वह उससे संतुष्ट नहीं थे।  वे एक ऐसे वाहन का सपना देखने लगे जो अपने आप चल सके। जरा सोचें साइकिल चलाते-चलाते उनके मन में कार बनाने का विचार आया। पैसे कमाने के लिए उन्होंने कई जगह नौकरी की। लेकिन उनका मन कहीं नहीं लगा।  कार बनाने का विचार उसके दिमाग पर इस कदर हावी था, कि वे इसके प्रयोग में ही लगे रहते थे। उनकी शादी उनके लिए वरदान साबित हुई। क्योंकि पत्नी के लिए दहेज से उन्होंने एक फैक्ट्री खरीद ली, जहां वे टू स्ट्रोक इंजन पर प्रयोग करने लगे इंजन के आविष्कार के लिए उन्होंने अट्ठारह सौ 78 की डेडलाइन तय की थी और इस डेडलाइन के आखिरी दिन यानी 31 दिसंबर 1818 को वे एक विश्व विश्वास इन ए टू स्ट्रोक इंजन बनाने में कामयाब हुए। 1879 में उन्हें इसका पेमेंट मिल गया। और 1883 में कार्ल बेंज एक साइकिल रिपेयर शॉप खरीदकर कार बनाने के प्रयोग करने लगे।

 कंपनी की स्थापना : mercedes benz company profile

सन् 1886 ऑटोमोबाइल उद्योग के लिहाज से बहुत महत्वपूर्ण वर्ष था। 1886 में 41 वर्षीय जर्मन इंजीनियर कार्ल बेंज ने   ईंधन चलित पहली कार “बेंज पेमेंट मोटरवेगन” बनाई, जो तिपहिया साइकिल जैसी दिखती थी। यहीं से बेंज कंपनी की शुरुआत हुई। दूसरी ओर 1886 में ही जर्मनी के गॉटिलेब डैमलर ने चार पहियों की कार बना दी। इसके लिए उन्होंने घोड़ा गाड़ी निर्माता विम्फ एंड सॉन से गाड़ी मंगाई और उसमें अपना 1.1 एचपी का इंजन फिट कर दिया। यहीं से डैमलर कंपनी शुरू हुई।



 पहले डैमलर अलग कंपनी की थी और बेंज अलग । बहरहाल प्रथम विश्वयुद्ध में जर्मनी का कार उद्योग धराशायी हो गया। फैक्ट्रियां तबाह हो ग,ई मांग घट गई, धन की कमी हो गई, और कारों पर 15% विलासिता कर भी लगने लगा, अपने अस्तित्व को बचाने की खातिर 28 जून 1926 को डैमलर और बेंज कंपनियों ने विलय करने का फैसला किया। नई कंपनी का नाम मर्सिडीज बेंज रखा गया।  वैसे तो नया नाम डैमलर बेंज होना चाहिए था। लेकिन तब तक डैमलर कंपनी की मर्सिडीज कारें, इतनी मशहूर हो चुकी थी, कि डैमलर के स्थान पर मर्सिडीज नाम को बेहतर माना गया।

 शुरुआती संघर्ष : mercedes benz article

शुरुआत में बेंज और डैमलर और  दोनों को ही बहुत संघर्ष करना पड़ा, दोनों ही अपनी दिमागी सूझबूझ से नवाचार करते थे। गलतियां करते थे, और उन्हें सुधार कर आविष्कार करते थे। कार का आविष्कार इतना नया था, कि उसके लिए आवश्यक संसाधन मौजूद नहीं थे। अगर कार बिगड़ जाए तो, उसे सुधारने वाले मकैनिक नहीं थे। पेट्रोल पंप या गैस स्टेशन भी नहीं थे। ग्राहक को गैसोलीन फार्मेंसी से खरीदना पड़ता था। जहां इसकी छोटी सी सीसियां क्लीनिंग प्रोडक्ट्स के रूप में बिकती थी। सड़कों की हालत भी खराब थी, और उन पर कार चलाना मुश्किल था।  उस वक्त कारें इतनी धीमी होती थी, कि घोड़ा गाड़ी  तक उनसे आगे निकल जाती थी। और सबसे बड़ी बात कार उस समय इतनी महंगी होती थी। कि उन्हें खरीदना अमीरों के बूते की ही बात होती थी।  डैमलर और बेंज दोनों ने ही इन शुरुआती समस्याओं को दूर करने के लिए अपने प्रोडक्ट्स में लगातार सुधार करके अपनी कारों के विज्ञापन के लिए वे कार रेसिंग प्रतिस्पर्धाओं में हिस्सा लेने लगे। तब कौन जानता था, कि 1 दिन ऐसा आएगा जब कारों के बिना जीवन असंभव सा लगने लगेगा, और वे आधुनिक संसार की आवश्यकताएं बन जाएंगे।



 महत्वपूर्ण मोड़ : Turning Point

कारों का युग दरअसल मर्सिडीज से ही शुरू हुआ था। फ्रेंच ऑटोमोबाइल क्लब के संचालक पॉल में न्यू मर्सिडीज़ की सफलता को देखकर कहा था, “हम मर्सिडीज युग में प्रवेश कर चुके हैं। मर्सिडीज  के निर्माण की कहानी रोचक है, और यह डैमलर कंपनी के लिए बेहद महत्वपूर्ण मोड़ था। आस्ट्रिया के अमीर बैंकर और कार का रेसर एमील जेलिनेक ने डैमलर कंपनी से ज्यादा तेज बेहतर कार बनाने को कहा।  उन्होंने स्पष्ट निर्देश दिए, कि उन्हें कैसी कार चाहिए। इंजन आगे लगाया जाए, इंजन ज्यादा शक्तिशाली हो, चेसिस नीचे  हो, कार स्टाइलिश हो। और इसकी गति तेज हो, संचालक मंडल इस नई क्रांतिकारी कार को बनाने में झिझक रहा था। जेलिनेक ने उन्हें प्रलोभन दिया, कि इस मॉडल की पहले 36 कारें वें खुद खरीद लेंगे। शर्त बस इतनी थी, कि इसका नाम उनकी 11 साल की बेटी मर्सिडीज के नाम पर होना चाहिए। जिसका स्पेनिश भाषा में अर्थ है, कृपा।  22 दिसंबर 1900 को 4 सिलेंडर की पहली मर्सिडीज कार बिकी। जेलिनेक मर्सिडीज के पहले ग्राहक थे। और मर्सिडीज पहले स्टाइलिश आधुनिक कार थी। मर्सिडीज का यह मॉडल इतना लोकप्रिय हुआ, कि जल्द ही डैमलर कंपनी की सभी कारें मर्सिडीज़ नाम से बिकने लगी। आज इस घटना को 112 वर्ष बीत चुके हैं। लेकिन मर्सिडीज ब्रांड नेम आज भी शान से चल रहा है।।



 

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