How to Get Out of Confusion at Work in Hindi- सफलता पाने के लिए दुविधा से कैसे निकले

“दुविधा में ना पड़े- Get Out of Confusion

जो व्यक्ति सदा इसी असमंजस (Get Out of Confusion) में रहते हैं, कि पहले कौन सा काम किया जाए, अथवा जो व्यक्ति किसी दूसरे की बात सुनकर अपने निर्णय को बदल देते हैं, वह कभी कुछ नहीं कर सकते। सफल वही हो सकते हैं, जो बुद्धिमत्ता पूर्ण दृढ़ संकल्प के सहारे बिना छोटी मोटी बातों के घबराए निरंतर अपने लक्ष्य की ओर बढ़ते रहते हैं।”

मनुष्य की उन्नति में जो सबसे बड़ी बाधा है, वह है, दुविधा यानि confusion। असमंजस में पड़ा मनुष्य अपनी जिंदगी का ढेर सारा कीमती समय व्यर्थ ही गवा देता है।  वह हर छोटे बड़े काम के प्रति दुविधा में पड़ा रहता है। मान लीजिए कि किसी काम के करने में कुल 15 मिनट खर्च होने होते हैं, तो वह एक घंटा इस दुविधा में खर्च कर रख देगा, कि इस कार्य को करूं, या ना करूं। ऐसे लोगो की यदि गणना करें ,तो पाएंगे कि जवानी के 20 वर्षों में से 10 वर्ष तो उन्होंने सोने में गंवा दिए। 8 वर्ष दुविधा की स्थिति में (Get Out of Confusion), और कुल 2 वर्ष ही उन्होंने काम किया। अब आप स्वयं अनुमान लगाएं, कि ऐसे लोग क्या उन्नत करेंगे।

ऐसे लोगों का अध्ययन करने के बाद डॉक्टर जॉनसन ने कहा है- ” जितना समय आप यह फैसला करने में लगाते हैं, कि आपका बालक दो पुस्तकों में से कौन सी पुस्तक पढ़े। इतनी देर में कोई दूसरा बच्चा वह दोनों पुस्तकें पढ़ लेता है। “

जॉन ऑफ आर्क की सफलता का यही रहस्य था, कि वह समस्या को समझते ही उसके बारे में तुरंत निर्णय ले डालती थी। कोलंबस की सफलता का रहस्य उसका दृढ़ संकल्प था- मुझे तो आगे बढ़ना है, बस।  और फिर इतिहास गवाह है, कि उसने पीछे मुड़कर नहीं देखा।  आप भी अपने आसपास ऐसे बहुत से लोगों को देखते होंगे। जो इस प्रवृति के होते हैं, कि जो कुछ भी करना है, करना है। चाहे दुनिया इधर से उधर हो जाए। ऐसे लोग निर्णय करने में एक पल भी नहीं लगाते, वह परिणाम की  भी चिंता नहीं करते।
 इसके विपरीत आप ऐसे लोगों को भी जानते होंगे, जो उद्देश्यहीन जीवन बिताते चले आ रहे हैं। उनके पास योजनाएं तो होती हैं, विचारों का ढेर भी होता है, किंतु ठीक इसी प्रकार जैसे किसी बक्से में रखे औजार।  ऐसे व्यक्ति ना तो जीवन में कुछ कर पाते हैं, और ना स्वयं खुश रह पाते हैं, ना दूसरों को खुश रख सकते हैं।  ऐसे लोग किसी के लिए लाभदायक भी सिद्ध नहीं होते।

गुजरे कल से प्रेरणा लें- Take Inspiration From the Past for Get Out of Confusion

दुविधा ग्रस्त मस्तिक यानि असमंजस में पड़ा आदमी से कोई काम नहीं हो सकता। आप इतिहास के पन्नों पर दृष्टि डालें, तो देखेंगे की दृढ़ निश्चय व्यक्तियों ने ही राष्ट्र का निर्माण किया है। और उन्होंने ही यश हासिल किया है। आज दुनिया उन्हीं के गुण गाती है। किंतु जो आरामतलब थे, वे अपने मुकद्दर को ही कोसते रहे। और ऐसे लोग आज भी यही कर रहे हैं। गुजरे वक्त से उन्होंने आज भी कोई सीख नहीं ली है।
इंग्लैंड के प्रधानमंत्री विलियम पिट का ध्यान सदा अपने उद्देश्य की ओर रहता था। बचपन से ही उन्होंने ठान लिया था, कि वह कुछ बनकर रहेंगे। इसमें कोई दुविधा नहीं थी। एक बार जो निर्णय कर लिया, सो कर लिया। फिर पलटकर पीछे नहीं देखा। और इसी दृढ़ता का परिणाम था, कि जीवन के 22 वें वर्ष में वे संसद सदस्य बन गए। और इसके 3 साल बाद ही उन्होंने प्रधानमंत्री का पद भी पा लिया । दृढ़ संकल्प का इससे शानदार और प्रेरणादाई उदाहरण और क्या होगा।

सफलता का रहस्यः तुरंत निर्णय- Secret of Success: Instant Decision for Get Out of Confusion

विलियम मैथ्यूज का यह कहना आज के लोगों पर कितना सटीक बैठता है कि- हर 10 व्यक्तियों में से 9 ऐसे होते हैं, जो योजनाएं तो बड़े पैमाने पर बनाते हैं, लेकिन करते कुछ नहीं। जबकि उनमें से कई ऐसे भी होते हैं, कि यदि चाहे तो बहुत कुछ कर सकते हैं, इसका कारण यही है, कि उनके पास विचार तो होते हैं, लेकिन वह संकल्प शक्ति नहीं होती, जो कुछ करने के लिए आवश्यक होती है। आज हमारे इर्द-गिर्द ऐसे लोग की कमी नहीं है, बहुत से बल्कि अधिकांश लोग ऐसे ही हैं।

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       आप मानसिक तौर पर कितने भी सशक्त संतुलित व विचार वान क्यों ना हो। किंतु यदि आप में संकल्प शक्ति और तुरंत निर्णय लेने की क्षमता का अभाव है, तो आपकी सफलता संदिग्ध है या यु  कह ले की आप सफलता नहीं पा सकते।
       आपकी सफलता का रहस्य केवल एक शब्द में समाया हुआ है, और वह है, तुरंत निर्णय लेना। यदि आप तुरंत निर्णय लेने की क्षमता रखते हैं, तो कामयाबी आपके कदम चूमेगी। अन्यथा आप की गिनती भी 10 में से उन 9  व्यक्तियों में की जाएगी, जो हांकते तो बड़ी लंबी चौड़ी हैं, मगर करते कुछ नहीं।

    किसी ने सिकंदर से पूछा-” इतनी देश आपने कैसे जीत लिये? “

 सिकंदर का उत्तर था-” मैं जो सोचता हूं, उस पर फौरन अमल करता हूं। “

        ऐसा ही हाल नेपोलियन का था। उसमें भी झिझक नहीं थी। जो भी कार्य उसकी नजर में उचित होता, वह उसे फौरन ही कर डालता था। और केवल अपने इस 1 गुण के कारण ही दुनिया जानती है, कि उसने समस्त यूरोप पर शासन किया। वाटरलू के युद्ध में उसकी हार का एकमात्र कारण यही था, कि वह तुरंत निर्णय लेने में असमर्थ रहा था।

सफलता का मंत्र




     अतः आप भी यदि सफल होना चाहते हैं, तो तुरंत निर्णय लेने की आदत डालिए। लेकिन इसका अर्थ यह कदापि नहीं कि आप जो निर्णय लें, उसके बारे में कोई विचार ही ना करें। उल्टे सीधे निर्णय लेकर लाभ की जगह अपनी हानि कर बैठे। खूब सोच समझकर ही निर्णय लें। निर्णय तो मूर्ख व्यक्ति भी कर सकता है, लेकिन उसका परिणाम आप स्वयं समझ सकते हैं। उससे कुछ निर्माण नहीं हो सकता, विनाश ही होगा।
      जो व्यक्ति इसी दुविधा में पड़े रहते हैं, कि पहले कौन सा काम किया जाए।  अथवा वह व्यक्ति जो किसी अन्य व्यक्ति की बात सुनकर अपने निर्णय को बदल देते हैं, कभी कुछ नहीं कर सकते।  सफल वही हो सकते हैं, जो बुद्धिमत्ता पूर्व संकल्प के सहारे बिना छोटी मोटी बातों से घबराए निरंतर अपने लक्ष्य की ओर बढ़ते रहते हैं। बहुत से व्यापारी अपने निर्णय पर ही अटल रहकर भारी लाभ कमा लेते हैं। हालांकि उन्हें कई बार हानि भी उठानी पड़ती है। लेकिन अंत में उन्हें लाभ ही होता है।

    इसी प्रकार यदि आपके विचार भी पूर्ण परिपक्व और मजबूत हों और आपका मस्तिक शांत एवं संयत हो, तो कोई कारण नहीं, कि आप भी शीघ्र निर्णय न लें सके, और सफल ना हो सके।

       यदि कोई व्यक्ति दृढ़ निश्चय ही होने के बावजूद बार-बार असफल होता है। और निराश होकर बैठ जाता है। तो यह बात उसके लिए बड़ी विनाशकारी सिद्ध होती है। इससे पता चलता है, कि उस व्यक्ति के मन में दृढ़ निश्चय तो है, परंतु वह दुविधा ग्रस्त (Get Out of Confusion) भी है। और शायद इसीलिए बार-बार असफल हो रहा है।
      किसी ने ठीक ही कहा है, कि शीघ्रता की अपेक्षा दुविधा बहुत बुरी (Get Out of Confusion) है। पर दुविधा पूर्ण स्थिति में लिया गया निर्णय, उससे भी बुरा है। अतः यदि आप सफल होना चाहते हैं, तो दुविधा को छोड़िए और शांत एवं संयत  मन से दृढ़ निश्चय करके काम में जुट जाइए, आप अवश्य ही सफल होंगे।।

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