तपेदिक- Define Tuberculosis
Define Tuberculosis:- तपेदिक (Tuberculosis) के अलावा क्षयरोग, यक्ष्मा काक यक्ष्मा और ट्यूबरकुलोसिस इसके नाम है।
तपेदिक (Tuberculosis) को टीवी के नाम से भी जाने वाली या संक्रमण बीमारी शहर और ग्रामीण क्षेत्रों में लगभग समान अनुपात में ही लोगों को अपना शिकार बनाती हैं। इस बीमारी से आबादी में से तकरीबन 5 से 15 फ़ीसदी लोग ग्रस्त हैं, इस बीमारी का मुख्य कारण गरीबी है।
गरीबी के कारण लोग संतुलित आहार और पर्याप्त आहार नहीं ले पाते अंधेरी और छोटे से घर में रहते हैं, और थकाने वाले शारीरिक श्रम करते हैं इससे भी इस बीमारी की चपेट में जल्दी आ जाते हैं।
Define Tuberculosis
यह रोग बहुत जल्द एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलता है। इसके प्रसार का सबसे मुख्य कारण अज्ञानता और अपेक्षित जानकारी का अभाव है। इस बीमारी के रोगी सामान्य लोगों की तरह ही इधर-उधर थूकते हैं। स्वच्छता की ओर ध्यान नहीं देते और लापरवाही बरतते हैं, जिसके कारण वे खुद के साथ-साथ अन्य लोगों को भी हानि पहुंचाते हैं, और उन्हें संक्रमित कर देते हैं।
तपेदिक के रोगी (Tuberculosis patients) के रूप में तपेदिक (Tuberculosis) के जीवाणु ट्यूबरकुली बेसिलस होते हैं। खांसने के समय यह लाखों की संख्या में बाहर आ कर बिखर जाते हैं। खांसते समय यदि धूप की फुहार दूसरे व्यक्ति के शरीर में चले जाए तो उसे भी तपेदिक (Tuberculosis) होने की तीव्र संभावना हो जाती है।
Define Tuberculosis
हालांकि इसके जीवाणु की और प्रदूषित धूल के साथ भी खास के जरिए फेफड़ों में जा सकते हैं। तपेदिक (Tuberculosis) के से पीड़ित माता-पिता बच्चे को चुमते समय अथवा खांसते समय उन्हें संक्रमित कर सकते हैं। रोगी की व्यक्तिगत वस्तुएं भी उनके धूप में संक्रमित हो जाती हैं। और अन्य लोगों द्वारा उन वस्तुओं के इस्तेमाल से उनमें यह रोग फैल सकता है।
तपेदिक (Tuberculosis) के रोगी के रूप में तपेदिक के जीवाणु ट्यूबरकुली बेसिलस होते हैं| खांसने के समय यह लाखों की संख्या में बाहर आ कर बिखर जाते हैं। खांसते समय यदि धूप की फुहार दूसरे व्यक्ति के शरीर में चले जाए तो उसे भी तपेदिक (Tuberculosis) होने की तीव्र संभावना हो जाती है| हालांकि इसके जीवाणु की और प्रदूषित धूल के साथ भी खांस के जरिए फेफड़ों में जा सकते हैं।
तपेदिक (Tuberculosis) के से पीड़ित माता-पिता बच्चे को चुनते समय अथवा खांसते समय उन्हें संक्रमित कर सकते हैं, रोगी की व्यक्तिगत वस्तुएं भी उनके धूप में संक्रमित हो जाती हैं। और अन्य लोगों द्वारा उन वस्तुओं के इस्तेमाल से उनमें यह रोग फैल सकता है।
जिन लोगों में संक्रमण छोटी उम्र में ही तपेदिक हो जाता है, उनमें प्राथमिक तपेदिक (Tuberculosis) कई प्रकार के घातक रूप पैदा कर देता है।
उदाहरण के तौर पर
यह जीवाणु खून के जरिए दिमाग में प्रवेश करके ट्यूबरकुली मेंनिनजाइटिस पैदा कर सकते हैं। इसके अलावा रोगाणु के हड्डियों में जाने पर हड्डी की तपेदिक (Tuberculosis) गुर्दों में जाने पर गुर्दे की तपेदिक उधर में जाने पर पेट की तपेदिक (Tuberculosis) और फुफ्फुस में जाने पर फुफ्फुसीय तपेदिक (Tuberculosis) पैदा हो जाती है।
पल्मोनरी टीबी से लोग सबसे अधिक संक्रमित होते हैं, क्या फेफड़ों के ऊपर वाले भाग को संक्रमित करती है। या अक्सर बचपन में ही हुए प्राथमिक तपेदिक (Tuberculosis) के कारण ही प्रौढ़ावस्था में प्रकट होती है।
जब आप पर्याप्त भोजन और दूसरी बीमारी के कारण शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है, तब तपेदिक (Tuberculosis) के जीवाणु व्यक्ति के फुफ्फुस पर आक्रमण कर देते हैं।
इसरो का आरंभ ग्रंथियों के समूह के रूप में होता हैं| जो बाद में फेफड़ों को भी संक्रमित कर देता है, समय पर इसका इलाज नहीं कराने पर कैविटी बंद बन जाती है। इसके बाद 5 वर्ष का हो जाने पर यह रोग चिरकारी हो जाता है। और रोगी को इससे जल्दी मुक्ति नहीं मिल पाती है।
तपेदिक के लक्षण – Symptoms of Tuberculosis
किसी व्यक्ति के तपेदिक के जीवाणु से संक्रमित होने पर आम तौर पर कई महीनों तक उसमें कोई लक्षण प्रकट नहीं होते, लेकिन बाद में थकान, भूख ना लगने, शाम के समय हल्का हल्का बुखार रहने, बलगम वाली खांसी, खां खांस में खून आने, सीने में दर्द, सांस लेने में दिक्कत, जैसे तपेदिक के लक्षण प्रकट होने लगते हैं।
लेकिन आर्थिक रूप से कमजोर होगी, अक्सर थूक में खून आने सांस फूलने और सांस ना ले पाने की स्थिति में ही अस्पताल आते हैं। ऐसी स्थिति में अगर इनका इलाज तुरंत शुरू नहीं किया जाए तो इनकी जान भी जा सकती हैं।
तपेदिक की जांच – Tuberculosis Test
तपेदिक (Tuberculosis) के लक्षण प्रकट होते ही रोगी को छाती का एक्स-रे और थूक की जांच करवा लेनी चाहिए, तीन-चार दिन तक लगातार खून की जांच कराने पर तपेदिक होने पर थूक में ट्यूबरकुली बेसिलस या A F B मिल सकते हैं| इसके अलावा अगर ट्यूबरकुली बैलिसी टेस्ट बी पॉजिटिव आता है, तो तपेदिक होने की पूरी तरह से पुष्टि हो जाती है |खून और मूत्र की जांच से भी तपेदिक (Tuberculosis) का पता लगाया जा सकता है |
अगर किसी व्यक्ति के थूक में खून नहीं आ रहा हो लेकिन उसकी खांसी 2 सप्ताह में ठीक नहीं हो, तो भी छाती का एक्सरे अवश्य करवा लेना चाहिए| तपेदिक होने पर छाती के एक्सरे में फेफड़ों में धब्बे दिखाई पड़ते हैं , और थूक में तपेदिक (Tuberculosis) के जीवाणु मिलते हैं|
तपेदिक का उपचार – Treatment of tuberculosis
कुछ साल पहले तक तपेदिक का इलाज बहुत कठिन था | लेकिन अब तपेदिक (Tuberculosis) की नई-नई दवाइयों के इलाज होने से इसका इलाज सरल हो गया है। यही नहीं कहीं पहले रोगी को लंबे अरसे तक अस्पताल में रखना पड़ता था।
लेकिन अब इसका इलाज घर पर भी किया जा सकता है। अब नहीं दवाइयों का विकास होने से इलाज की अवधि भी काफी कम हो गई है आजकल तपेदिक के रोगियों को आमतौर पर आइसोनायजिड, रिम्फेसीन, पाइरोजीनेमाइड , इथमबुटोल और इंजेक्शन स्ट्रोप्टोमाइसिन जैसी दवाइयां दी जाती हैं।
Define Tuberculosis
शुरुआती इलाज में अक्सर इनमें से तीन या चार दवाइयों का मिश्रण दो-तीन महीने के लिए दिया जाता है, उसके बाद 6 से 18 महीने तक दो या तीन दवाइयों का मिश्रण दिया जाता है, इसकी खुराक अलग-अलग अंगों की तपेदिक पर निर्भर करती है, क्योंकि अधिकतर दवाइयां मुंह से ही ली जाती है।
इसीलिए रोगी का उपचार घर पर ही हो सकता है, रोगी को सिर्फ डॉक्टर की सलाह पर सुबह खाली पेट नियमित रूप से दवा लेनी होती है| चिकित्सा के आरंभ में आराम करना भी आवश्यक होता है| (Define Tuberculosis)
रोगी की चिकित्सा आमतौर पर डेढ़ से 3 महीने तक ले जाने चाहिए। उसके बाद रोगी सामान्य रूप से काम करने योग्य हो जाता है, सामान्य रोगियों को विशेष आहार लेने की जरूरत नहीं होती है।
लेकिन कमजोर रोगियों को पौष्टिक आहार लेना आवश्यक होता है, उन्हें अपने भोजन में दूध ,अंडे, कॉड, लीवर तेल विटामिन ए और डी तथा कैल्शियम अधिक मात्रा में लेनी चाहिए। रोगी को प्रकाश वाले कमरे में रखना जरूरी है, और खांसी को रोकने के लिए कफ सिरप का प्रयोग करते रहना चाहिए। रोगी के लक्षणों पर लगातार निगरानी रखनी जरूरी है , कि लक्षण कम हो रहे हैं, या नहीं गंभीर किस्म के रोगियों को अस्पताल में भर्ती करवाना चाहिए |
तपेदिक से बचाव – Prevent Tuberculosis, Define Tuberculosis
रोग से बचाव के सबसे अच्छा उपाय बचपन में ही हर शिशु को बीसीजी का टीका लगवाना है। जिन वयस्कों में ट्यूबरकुली टेस्ट नेगेटिव हो उन्हें बीसीजी का टीका लगवाना चाहिए। क्योंकि इससे उनके शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित होती है।
और तपेदिक के कीटाणु के शरीर में प्रवेश करने पर तपेदिक नहीं होता तपेदिक से बचने के लिए अच्छा पोषण हवादार और प्रकाश वाले घरों में निवास बीसीजी का टीका लगवाने तथा स्वास्थ्य की नियमित जांच आवश्यक है।
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