मुकदमा हार जाने पर भाई को सहानुभूति पत्र – Sympathy Letter to Brother after Losing the Case
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दिनांक
प्रिय भाई हर्ष
आज सुरेंद्र मोहन द्वारा पता चला कि आप अपना मुकदमा हाईकोर्ट में भी हार गए हैं । यह समाचार बहुत ही दुखदाई था । परंतु साहसी आदमी इस प्रकार कभी कठिनाइयों से विचलित नहीं होते ।
मुझे पूर्ण विश्वास है कि तुम पर इसका अधिक प्रभाव नहीं पड़ा होगा । ऐसे मुकदमे ना जाने कितने आज तक तुम जीत और हार चुके हो । मेरे विचार से तुमको इसकी अपील उच्चतम न्यायालय में करनी चाहिए । बहुत संभव है कि तुम्हारी यह अपील बहाल हो जाए । मैं अपनी ओर से मुकदमे की पैरवी में कोई कसर उठा नहीं रखूंगा । इस प्रकार के मामलात में व्यर्थ चिंता करने से काम नहीं चलता । चिंता सर्वदा कार्य को पूरा करने की ही करनी चाहिए ।
तुम्हारा भाई
शशि भूषण
उत्तर में पत्र – मुकदमा हार जाने पर भाई को सहानुभूति पत्र – Sympathy Letter to Brother after Losing the Case
अपना पता
दिनांक
भाई शशि भूषण
आपका पत्र प्राप्त हुआ जिससे विचलित हृदय और मस्तिष्क को बहुत शांति प्राप्त हुई । इस मुकदमे ने मेरे पूरे 3 साल बर्बाद किये है और 3 साल की बर्बादी के बाद भी कोई नतीजा नहीं निकला । बात जहां थी वहीं की वहीं रही । समय रुपया और शक्ति का इतना अपव्यय हुआ कि इसके कारण और सब कारोबार खत्म हो गए ।
इस समय भी मस्तिष्क में चिंता ना मुकदमा हार जाने की है और ना ही रुपया और शक्ति के जाया होने की है । चिंता केवल मान और अपमान की है । आपके दिये सुझाव के अनुसार में उच्चतम न्यायालय में अपील जरूर करूंगा । फिर देखते हैं कि वहां क्या निर्णय होता है । अपना कर्तव्य तत्काल कार्य करने का है फल क्या होता है वह भगवान जाने । इस विषय में परामर्श करने के लिए मैं बहुत जल्द आपके पास दिल्ली आ रहा हूं ।
आपका छोटा भाई
हर्ष
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