Tips for Healthy Lifestyle in Hindi - स्वास्थ्य जीवन के आधार

हर व्यक्ति निरोग रहकर लंबी उम्र जीना चाहता है, लेकिन ज्यादातर लोग कोई प्रयत्न किए बगैर लंबे और स्वास्थ्य जीवन का वरदान चाहते हैं स्वस्थ जीवन का मतलब केवल बीमारियों से ही मुक्त रहना नहीं बल्कि शारीरिक मानसिक और सामाजिक तौर पर भी बेहतर होता है इसके लिए सही रहन-सहन खान-पान सही आचार व्यवहार एवं सकारात्मक सोच जरूरी है |

 बीमारियों के प्रति लापरवाही घातक – Negligence Towards Diseases

लंबी एवं स्वस्थ जीवन के लिए बीमारियों से यथासंभव बचना और कोई बीमारी होने पर तत्काल उसकी सही पहचान करके उपचार किया जाना अत्यंत जरूरी है,  क्योंकि शरीर जितना अधिक समय तक रोग ग्रस्त रहेगा उतना ही कमजोर होगा| कुछ लोग किसी बीमारियां तक तकलीफ को यह सोच कर कुछ दिनों से लेकर महीनों तक और यहां तक कि वर्षों तक डालते रहते हैं | कि बीमारी शायद अपने आप ठीक हो जाएगी जवानी में तो शरीर इस तरह की लापरवाही कुछ हद तक झेल लेता है लेकिन उम्र बढ़ने पर इस तरह की लापरवाही जानलेवा भी साबित हो सकती है |

कई बीमारियां खान-पान और रहन-सहन में सुधार होने पर ठीक हो जाती है| लेकिन कई बीमारियां ठीक करने के लिए दवाइयां जरूरी होती हैं कहा जाता है, कि वक्त पर मिली चेतावनी आने वाली संकटों से लड़ने का एक शक्तिशाली हथियार है, इसीलिए शरीर की चेतावनियों को कभी अनदेखा नहीं करना चाहिए |इसमें साथ ही समय-समय पर शारीरिक जांच करानी चाहिए ताकि अगर कोई बीमारी चुपके-चुपके बढ़ रही हो तो उसका समय पर ही पता चल जाए |

टानिको  से मोह लाभकारी नहीं – Tonic is Not Beneficiary

   कई ऐसे लोग होते हैं, जो शरीर की तंदुरुस्ती को बनाए रखने के लिए घूमना, फिरना , दौड़ना, कसरत करना ,आदि से जी चुराते हैं| लेकिन बाजार में टॉनिक के नाम पर मिलने वाली रंग बिरंगी गोलियां, कैप्सूल, और सिरप का सेवन करके अपनी तंदुरुस्ती कायम रखना चाहते हैं | लेकिन तंदुरुस्ती में इनके कोई भूमिका नहीं है | बेहतर तो यह होगा कि टॉनिक के बजाय पौष्टिक आहार पर खर्च किया जाए | तंदुरुस्ती के लिए संतुलित आहार नियमित व्यायाम सही रहन सहन और अच्छी नींद जरूरी है, टॉनिक नहीं |

दवाइयों पर अधिक निर्भरता ठीक नहीं – Over Dependence on Medicines is not Good

दवाइयां कई बीमारियों से ठीक होने के लिए जरूरी होती है, लेकिन ज्यादातर बीमारियों के लिए दवाइयों की जरूरत नहीं होती| परहेज समुचित आहार व्यायाम आदि के जरिए कई बीमारियों से उबरा जा सकता है | कई लोग उन बीमारियों के लिए भी चिकित्सकों के पास दौड़ जाते हैं, जिनके लिए दवाइयों की जरूरत नहीं होती है|  मिसाल के तौर पर साधारण बुखार और सर्दी जुकाम जैसी बीमारियों का नाम लिया जा सकता है |
जिसके लिए कहा गया है कि इलाज के बगैर सर्दी जुकाम को ठीक होने में 3 दिन लगते हैं| जबकि इलाज करने पर या 1 सप्ताह में ही ठीक होता है | सर्दी जुकाम का सबसे अच्छा इलाज आराम करना, काफी मात्रा में पानी पीना , और परेशानियां ज्यादा होने पर    एस्प्रिन  लेना है |
   दूसरी तरफ कई लोग मामूली समस्याओं के अलावा गंभीर समस्याओं में भी चिकित्सक के परामर्श के बगैर अपनी मर्जी से अंधाधुंध दवाइयों का सेवन करने लगते हैं और स्वयं को भयानक संकट में डाल लेते हैं |  कुछ लोग सिर दर्द में डिस्प्रिन या एस्प्रिन,  कमजोरी में विटामिन की गोलियां कैप्सूल अथवा सिरप हाजमा ठीक करने के लिए एंजाइम की गोलियां नींद नहीं आने पर किसी से डेटिव या ट्रेंक्विलाइज  की गोलियां खाते रहते हैं |




कई लोग तो कोई परेशानी नहीं होने पर भी कोई ना कोई दवाई या विटामिन खाते रहते हैं | इन दवाइयों का बिना सोचे समझे सेवन करने से न केवल पर दुष्प्रभाव पैदा करती हैं | बल्कि जब वाकई इनके जरूरत होती है| तो वे बेअसर साबित होती हैं |इसीलिए बेहतर है, कि दवाइयों का सेवन चिकित्सक के परामर्श से ही किया जाए |

 बीमार की सुश्रूषा

   सबसे जरूरी यह है, कि बीमारियों से बचा जाए| लेकिन तमाम सावधानियों के बावजूद भी अगर बीमार पड़ जाए , तो क्या करना चाहिए, बीमारी शरीर को कमजोर बना देती है|  खोई हुई शक्ति दोबारा हासिल करने और शीघ्र स्वास्थ्य होने के लिए विशेष देखभाल की जरूरत होती है |

आराम

 बीमार व्यक्ति को शीघ्र ठीक होने के लिए दवाइयों के अलावा पूर्ण आराम की जरूरत होती है | बीमार व्यक्ति को शांत और आरामदेह जगह पर आराम करना चाहिए | जहां रोशनी और हवा पर्याप्त हो|  वहां ना तो ज्यादा गर्मी हो और ना ही ज्यादा ठंड हो | हवा के ठंडी होने पर यदि मरीज को कंपकपी छूटने पर कंबल या रजाई उढ़ा देना चाहिए | अगर मौसम गर्म हो और व्यक्ति को बुखार हो, तो उसे कुछ भी नहीं उढ़ाना चाहिए, और कम कपड़े पहनाना चाहिए |

आहार




मरीज को सभी सामान्य रोगों में विशेषकर जब बुखार अथवा दस्त हो तो पानी , फलों का रस , दाल का पानी, दूध ,जैसे तरल काफी मात्रा में देने चाहिए | मधुमेह ,हृदयरोग, पित्ताशय के रोगी और पेट के अल्सर जैसे कुछ रोगों को छोड़कर अन्य रोगों के मरीजों के खाने-पीने पर कोई प्रतिबंध तक नहीं लगाना चाहिए | जब तक चिकित्सक ऐसा करने को ना कहें |
मरीज अगर कोई विशेष चीज खाना चाहे तो उसे खाने को देना चाहिए | मरीज को काफी अधिक मात्रा में तरल पदार्थ और शक्तिवर्धक भोजन देना चाहिए | जैसे की दाल, फलियां, हरी पत्तेदार सब्जियां, और दूध | अगर मरीज मांसाहारी हो, तो उसे अंडे और मछली आदि भी देना चाहिए | अगर रोगी बहुत अधिक कमजोर हो गया हो ,तो उसे पौष्टिक आहार  सूप के रूप में देना चाहिए, अगर रोगी एक समय में कम भोजन खा सकता है, तो उसे कई बार थोड़ा-थोड़ा भोजन देना चाहिए |

स्वच्छता

बीमार व्यक्ति की स्वच्छता और साफ-सफाई पर ध्यान देना आवश्यक है , मरीज को नियमित तौर पर गुनगुने पानी से स्नान कराना चाहिए , अगर मरीज बिस्तर से नहीं उठ सकता तो, स्पंज या कपड़े की मदद से गर्म पानी से सफाई करनी चाहिए|  मरीज के कपड़े और चादर बिस्तर रोज बदलने चाहिए |




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