हैलोवीन डे पर निबंध
ऑरेंज कलर के कट्टू पर बना फनी या डटावना-सा चेहरा, आत्माओं व भूतों की तरह मेकअप करना और डरावनी जगहों पर जाना इन कुछ खास तरीकों से ही तो हर साल हैलोवीन डे (31 अक्टूबर- हैलोवीन डे पर निबंध) को डरावना औट रोमांचक रूप देने की कोशिश की जाती है।
- क्या यह खास दिन भूतों के लिए है?
- इस दिन क्यों पहनते हैं भूतों का कॉस्ट्यूम?
- इसके बाटरे में डिटेल में जानते है।
भूत -प्रेत, चुड़ैल, वैम्पायर और परियों की रोमांचवक कहानियां यकीनन तुम्हें सुभाती होंगी। दादा-दादी या नाना-नानी से ऐसी कहानियां सुन भी रखी होगी, जिनमें भूत-प्रेत की बातें होंगी। लेकिन क्या तुम्हें पता है कि पश्चिमी देशों में एक ऐसा दिन भी मनाया जाता है, जिसमें लोग भूत प्रेत का डरावना रूप बनाकर घूमते हैं और खूब मस्ती करते हैं। यह खास दिन है हैलोवीन। तुम्हारे लिए यह दिन भले ही पड़ोसी या रिश्तेदारों से कैंडी लेने का हो, मगर घर के बड़े अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति की प्रार्थना करते हैं। तो फिर चलो आज तुम्हें बताते हैं हैलोवीन डे की कुछ खास बातें, जिन्हें जानकर तुम्हें बहुत मजा आएगा।
कितना खास है हैलोवीन डे
पश्चिमी देशों का न्यूईयर के बाद दूसरा महत्वपूर्ण त्योहार है हैलोवीन । लेकिन अब यह हमारे देश में भी मनाया जाने लगा है। यह समूह मेंन एक साथ मिलकर मनाया जाने वाला त्योहार है, जो हर साल 31 अक्तूबर को मनाया जाता है। इस दिन बड़े ही नहीं, बच्चे भी भूत-प्रेत से प्रेरित मेकअप करके कॉस्ट्यूम पार्टी करते हैं। बड़े से कद्दू को लालटेन बनाकर उसे अपने घर के दरवाजे पर रख देते हैं। वैसे कद्दू के अलावा और भी कई तरीकों से इस फेस्टिवल को डरावना या रोमांचक रूप देने की कोशिश की जाती है। लोग इस दिन न सिर्फ भूतों का गेटअप धारण करते हैं, बल्कि डरावनी या हॉन्टेड जगहों पर भी जाते हैं। अपने घरों के आस-पास डेकोरेशन करते हैं और बोनफायरया कस्ट्यूम पार्टी के जरिए स्वादिष्ट पकवानों का भी मजा लेते हैं।
काफी मजेदार है हैलोवीन डे
तुम्हारे लिए यह दिन खास इसलिए भी है, क्योंकि इस दिन स्कूल की छुट्टी होती है, दूसरा, इस दिन की पार्टी के लिए अपने पसंदीदा कैरेक्टर के कॉस्ट्यूम भी पहनने को मिलते हैं। मजेदार गेम ‘ट्रिक एंड ट्रीट’ खेलते हुए पड़ोसियों से बहुत सारे उपहार और कैंडीज इकट्ठा करने का मौका भी मिलता है। कैंडी के साथ-साथ अगर तुम्हे उपहार भी मिले, मजा तो आएगा ही।
तुम जैसे बच्चों के लिए यह खासा मजे का दिन है ही, क्योंकि एक तो इस दिन भूत-प्रेत और वैम्पायर की रोमांचक कहानियां सुनने को मिलती हैं और साथ ही पड़ोसियों व रिश्तेदारों से ढेर सारी केंडीज भी उपहार में मिलती हैं। इस दिन बड़े लोग अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना भी करते हैं। दूसरे त्योहारों पर लोग खूबसूरत रंग-बिरंगे कपड़े पहनकर संजते-संवरते हैं, वहीं इस दिन लोग जान-बूझकर डरावना रूप बनाते हैं। आत्माओं और भूतों की तरह का मेकअप करते हैं। कपड़ों का चुनाव भी इसी थीम को ध्यान में रखकर किया जाता है।
कैसे शुरू हुआ हेलोवीन डे – इसका इतिहास
भूत-प्रेत की शक्ल में अगर इस त्योहार को सेलिब्रेट किया जाता है तो इसका मतलब यह नहीं कि यह दिन भूतों के लिए समर्पित है। इस त्योहार को फसलों की कटाई से जोड़कर देखा जाता है। यूरोप में सैल्टिक जाति के लोग मानते थे कि इस समय उनके पुरखों की आत्माएं धरती पर आएंगी, जिससे उनका फसल काटना आसान हो जाएगा। इसलिए वे चुड़ैल, भूत-प्रेत बनते थे और जानवरों के मुखौटे पहनकर अलाव के आस-पास नाचते-गाते थे। उनका मानना था कि कोई खास प्राकृतिक शक्ति है, जो उनकी रक्षा करती है। इसे ऑल सैन्ट्स डे या हैलोज ईव कहते थे, जो कि धीरे धीरे हैलोवीन में बदल गया।
कदटू का क्या संबंध है
अमेरिका में इसे कद्दू के खेतों की कटाई के साथ भी कद्दू जोड़ा जाता है। इस समय वहां पर बड़े-बड़े आकार के मिलते हैं, जिन्हें आसानी से काटा भी जा सकता है। कददू को काटकर भूतों का मुखौटा तैयार किया जाता है, फिर बीच में जलती हुई मोमबत्ती रख देते हैं। इसे पूर्वजों की याद में अंधेरे में घर की चौखट पर रख दिया जाता है। इसे ‘जैक ओ लेन्टर्न’ कहते हैं।
ट्रिक एंड ट्रीट क्या है?
हैलोवीन की पुरानी और प्रचलित परंपरा है ट्रिक एंड ट्रीट गेम। इस खेल को खेलते समय बच्चे अपने कॉलोनी के सभी घरों में जाते हैं। और घर के मालिक से पूछते हैं कि ट्रिक और ट्रीट। फिर घर का मालिक बच्चों को कैंडीज या मिठाई देता है। अगर घर का मालिक उन्हें कोई कैंडी या मिठाई नहीं देता है तो बच्चों को इसके बदले में उसके साथ डरावने प्रैंक करने पड़ते हैं।
कुछ देशों में बच्चे इसके बदले में जादू का खेल दिखाने, गाना गाने, कोई जोक सुनाने, म्यूजिकल इंस्ट्मेंट बजाने जैसी प्रतिभा दिखाते हैं और इसके बदले में मकान मालिक उन्हें उपहार में रंग-बिरंगी कैंडीज देते हैं। इसमें ट्रीट का मतलब होता है मजेदार पेस्ट्रीज, केक्स, कैंडीज या मिठाइयां और ट्रिक का मतलब होता है कोई बदमाशी भरी शरारत। जब बच्चे एक से दूसरे घर के दरवाजे पर जाकर लोगों से ट्रिक और ट्रीट कहते हैं तो घर के लोगों को इनमें से एक को चुनना होता है। जो ट्रीट चुनते हैं वे बच्चों को उपहार देते हैं। इस ट्रिक एंड ट्रीट की रात को ओहायो और मैसाच्युसैट्स में बैगर्स नाइट भी कहते हैं।
हेलोवीन डे पर लालटेन क्यों जलाते हैं
हैलोवीन डे परेलालटेन जलाने की पूरंपरा है। इसके पीछे कंजूस जैक और शैतान की आवरिश लोक कथा मानी जाती है। आयरलैंड में रहने वाले भुक्खड़ जैक ने अपने एक शैतान दोस्त को घर पर खाना खाने के लिए बुलाया, लेकिन वो नहीं चाहता था कि खाने में उसका पैसा खर्च हो। इसलिए उसने अपने दोस्त को खाने के बदले में घर में लगा पंपकिन यानी कद्दू देने के लिए राजी किया, लेकिन बाद में वो अपनी बात से मुकर गया।
इस पर उसके दोस्त ने गुस्से में पंपकिन की डरावनी लालटेन बनाकर घर के बाहर पेड़ पर टांग दी, जिस पर उसके मुंह की नक्काशी की गई थी और उसमें जलते कोयले डाल दिए। तब से लोगों के लिए सबक के तौर पर इस दिन ‘जैक ओ लैंटर्न’ का चलन शुरू हो गया। यह अपने पूर्वजों को रास्ता दिखाने और बुरी आत्माओं से रक्षा का प्रतीक भी बन गया।
काला और नारंगी रंग ही क्यों
हैलोवीन में काले और नारंगी रंग का विशेष महत्व है। इसके पीछे ऐसी मान्यता है कि नारंगी रंग फसलों के तैयार होने का सूचक है, जबकि काला रंग अंधेरे और मृत्यु का प्रतीक है। काली बिल्ली को चुड़ैलों की शक्तियों की रक्षा का सहायक माना जाता है। इसलिए हैलोवीन के सेलिब्रेशन में लोग ज्यादातर इन रंगों का इस्तेमाल करते हैं।
ऐसे मनाओ हैलोवीन (हैलोवीन डे पर निबंध)
- अपने दोस्तों के साथ बाहर जाकर कोई डरावनी फिल्म देखो, लेकिन फिल्म का चुनाव करते समय अपनी उम्र का ध्यान रखो।
- पंपकिन से जैक ओ लैन्टर्न बनाओ और उसमें मोमबत्ती जलाकर उसे अपने घर के बाहर रखो।
- ट्रिक एंड ट्रीट का खेल खेलते हुए केवल ऐसी जगहों पर ही जाओ, जहां पर लोग रहते हों, अपने घर से बहुत दूर मत जाओ।
- इस गेम में मिली कैंडीज को अपने पेरेंट्स को दिखाने के बाद ही खाओ।
हैलोवीन से जुड़ी रोचक बातें
- पहले के समय में लोग हैलोवीन मनाते समय पोशाक के तौर पर जानवरों की खाल पहनते थे।
- जैक ओ लैन्टर्न चुकन्दर, आलू और शलजम से भी बनाया जाता है।
- अब तक के सबसे बड़े कददू का भी विश्व रिकॉर्ड है। जानते हो उस कटू का वजन कितना था? उसका वजन था 1,385 पॉन्ड।
- प्रतिवर्ष दो बिलियन डॉलर हैलोवीन कैंडी बनने पर खर्च होते हैं।
- हैलोवीन कार्ड के आदान-प्रदान का छठा बड़ा अवकाश है। इस मौके पर प्रतिवर्ष 20 मिलियन हैलोवीन कार्ड एक-दूसरे को भेजे जाते हैं।
- अमेरिका में पेरेंट्स अपने बच्चों की हैलोवीन पोशाक पर तकरीबन एक बिलियन डॉलर खर्च कर देते हैं।
Read Also
0 Comments