Benefits of Wood Apple Fruits | बेल फल खाने के फायदे बताइए | Health Benefits of Bael Fruit |
Benefits of Wood Apple Fruits | बेल फल खाने के फायदे
बेल फल की अपनी एक विशेषता है। जिस प्रकार अनेक फलों के गुण विशेष प्रकार के होते हैं। और उनके संबंध में लोकप्रियता के स्तर पर विभिन्न होते हैं। अनेक फल जहां देवी देवताओं को भेंट किए जाते हैं। वहां बेलफल शिव जी का बहुत प्रिय फल है । शिवजी की पूजा में बेल के पत्तों का विशेष महत्व है। भगवान शंकर के पुजारी बेल के पत्तों से शिवजी की आराधना करते हैं।
कुछ अन्य फलों के समान बेल का वृक्ष संपूर्ण रूप में प्रयोग में आ जाता है। बेल का फल जहां अनेक रोगों में लाभदायक है। वहीं बेल वृक्ष की लकड़ी पवित्र मानी जाती है। और उसका यज्ञ में समिधा के रूप में प्रयोग किया जाता है। यग्य करने वाले बेल के पत्तों की भष्म और दूध मिलाकर एक सफेद गोल तैयार करते हैं। उस भस्म को बड़ी श्रद्धा पूर्वक शरीर पर लगाया जाता है ।
बेल फल को आहूत के रूप में भी प्रयोग में लाने का विधान है। इससे लक्ष्मी प्रसन्न होती है। और आयु में वृद्धि होती है। इस प्रकार बेल को संपूर्ण रूप में पवित्र माना जाता है।
बेल फल का बाहरी हिस्सा इतना कठोर और मजबूत होता है, कि अनेक दिनों तक उसके भीतर का गूदा सड़ता नहीं। बेल का गूदा विशेष रूप से रेशेदार होता है। और उसमें उसके बीच बसे रहते हैं। गूदे में एक विशेष प्रकार की सुगंध होती है। यह पीलापन लिए हुए हल्के गुलाबी रंग का होता है।
Characteristic of Wood Apple Fruits - बेल फल की विशेषता
- बेल फल की विशेषता यह है, कि इसमें विटामिन और खनिज विशेष मात्रा में रहते हैं। बेल फल का उपयोग प्रायः शरबत अथवा उसके गुदे को सुखाकर चूर्ण के रूप में किया जाता है।
- फल के गूदे को निकाल कर अच्छी तरह मथकर पानी अथवा दूध में मिलाकर इसका शर्बत बनाया जाता है। गुदे को सुखाकर बनाया गया चूर्ण अनेक दवाइयों में काम आता है।
- बेल फल का पका हुआ मुर्दा मीठा होता है। ऐसा विश्वास भी किया जाता है, कि बेल का वृक्ष व्यक्ति को गंभीर चिंतक की ओर प्रेरित करता है। इसका सेवन करने से इंद्रियों की चंचलता समाप्त हो जाती है।
- आयुर्वेद के प्राचीन ग्रंथ चरक सूत्र में बेल फल को एक साथ अनेक रोगों को शांत करने वाला बताया गया है। बेल का फल एक ही समय में जहां अत्यधिक मल के प्रवाह को रोकता है। उसके साथ साथ पाचक अग्नि को भी उत्तेजित करता है। वात अथवा कफ को शांत करता है।
- संस्कृत में बेल फल को बिल्व नाम से पुकारा गया है। इसका अर्थ यह है कि, अर्थात् जो रोगों को नष्ट करता है, वह बिल्व है, बेल फल है।
Wood Apple Fruits Stomach Diseases - पेट के रोग
बेल का पका हुआ गूदा मलशोधन के लिए उपयोगी माना जाता है। गुदे में विद्यमान रासायनिक तत्व जहां आंतों को साफ करते हैं। वहीं उन्हें शक्तिशाली भी बनाने का कार्य करता है। बेल के गूदे का निरंतर 2 से 3 महीने तक प्रयोग करते रहने से पेट में वर्षों से जमा हुआ मल बड़ी सरलता से बाहर हो जाता है। इसके लिए इसे शरबत के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। इसके प्रयोग से आंतों में ताजगी आती है। और वह अपना कार्य नियमित रूप से करने लगती है। आंतों की दुर्गंध बेल फल के गूदे के प्रयोग से दूर हो जाती है।
बेल फल की कठोर त्वचा को तोड़कर चम्मच से उसका गूदा बाहर निकाल लेते हैं। गूदे को अच्छी तरह मिलकर दूध डालकर उसे जान लिया जाता है। उस जिससे बीज अलग हो जाते हैं। यह एक स्वादिष्ट फल बन जाता है। यदि आवश्यकता समझी जाए तो इसका शर्बत बनाकर उपयोग में ला सकते हैं।
Removes Old Diarrhea and Strokes - पुराने अतिसार और दस्तों को दूर करता है
जिस प्रकार बेल का उपयोग दूध के द्वारा अथवा दूध के संयोग से कब्ज दूर करता है। उसी प्रकार बेल का चूर्ण पुराने से पुराने अतिसार और दस्तों को दूर करता है। इस चूर्ण में दही अथवा शक्कर मिलाकर प्रयोग कर सकते हैं।
चूर्ण बनाने का तरीका यह है, कि बेल फल के गूदे को छोटे-छोटे टुकड़े करके सुखा लिया जाता है। उसके बाद इनका चूर्ण बनाकर प्रयोग में लाया जाता है। दस्तों के साथ रक्त आने पर भी बेल के चूर्ण का प्रयोग लाभ करता है।
बेल का शरबत जहां अतिसार में लाभदायक है, वही थोड़ा-थोड़ा करके देने से इससे बच्चे की कुकर खांसी भी समाप्त होती है।
विटामिन सी की अच्छी मात्रा रहने के कारण इससे मसूढ़ो के भयंकर रोग भी शांत हो जाते हैं।
Wood Apple Fruit Beneficial When Abscess in the Stomach - पेट का फोड़ा
बेल फल रोगों में अमृत के समान होता है। जिन लोगों की आंतों अथवा पेट में किसी प्रकार का घाव हो, उन्हें बेल के पत्तों को रात्रि के समय पानी में भिगो देना चाहिए। प्रातः काल उस पानी को छानकर पीने से आंतों के कष्टों में आराम मिलता है। बेल के पत्तों की विशेषताएं है कि वह हाथों के घाव की सूजन दूर करते हैं। जिससे फोड़े के रोगी को आराम मिलता है। इसका कारण यह है, कि बेल के पत्तों में टैनिन नामक तत्व पाया जाता है। जिससे आंतों की सूजन दूर होती है। और फोड़े ठीक हो जाने जाते हैं। बेल के फल का प्रयोग करने से सभी प्रकार के अतिसार और संग्रहणी में लाभ होता है।
बेल के पत्तों का आश्रम मधुमेह के रोगियों के लिए भी लाभदायक सिद्ध होता है। वायु, पित्त आदि दोषों के कारण कब्ज और बवासीर आदमी भी इससे लाभ होता है।
आयुर्वेद में बिल्व फल के सेवन का भी विधान है। इसके प्रयोग से मंदाग्नि अरुचि आदि दोष दूर होते हैं।
Benefits of Wood Apple Fruits in Difficulty of Breathing - सांस लेने में कठिनाई
जिन लोगों को बार बार जुकाम हो जाता है। उन्हें चाहिए कि बेल के पत्तों को पीसकर तिल के तेल में उबालें जब पत्ते पूरी तरह जल जाए तो उसे ठंडा करके छानकर एक बोतल में भरकर रख लें । सोने से पूर्व इस तेल को सिर पर मलने से बार-बार होने वाली खांसी और जुकाम दूर होता है। बेल के पत्तों का रस चाटने से श्वास नली में जमा हुआ कफ बाहर आ जाता है। बेल के पत्तों के रस को गर्म पानी और थोड़ी सी काली मिर्च मिलाकर पिलाने से लाभ होता है। बेल में जहां अमृत के समान गुण है, वहीं यदि बेल के फल का उपयोग बरसात के प्रारंभ के दिनों में किया जाए तो इससे हानि होती है। इसलिए इन दिनों इसका प्रयोग नहीं करना चाहिए।
0 Comments